यूपीः गर्मी से बेहाल लोगों की बिजली कटौती ने बढ़ दी और परेशानी, गांव और शहरों में 8 से 9 घंटे हो रही कटौती
बिजली कटौती ने परेशानी बढ़ दी है। ऊर्जा मंत्री और सरकार के लाख दावों के बाद भी कटौती बढ़ते जा रही है। स्थिति यह है कि एक सप्ताह पहले जो गांव में 3 घंटे के लिए पावर कट हो रहा था, अब वह संख्या करीब नौ घंटे तक पहुंच चुकी है। स्थिति यह है कि कटौती से सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता भी परेशान होने लगे है। उन लोगों ने सरकार ने गुहार लगाना शुरू कर दिया है।
गर्मी से बेहाल लोगों के लिए बिजली कटौती ने परेशानी बढ़ दी है। ऊर्जा मंत्री और सरकार के लाख दावों के बाद भी कटौती बढ़ते जा रही है। स्थिति यह है कि एक सप्ताह पहले जो गांव में 3 घंटे के लिए पावर कट हो रहा था, अब वह संख्या करीब नौ घंटे तक पहुंच चुकी है। स्थिति यह है कि कटौती से सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता भी परेशान होने लगे है। उन लोगों ने सरकार ने गुहार लगाना शुरू कर दिया है। स्थिति यह है कि तय शेड्यूल से गांव में नौ, तहसील में करीब सात और नगर पंचायत में 8 घंटे के लिए बिजली कट रही है।
पिछले दिनों संतकबीरनगर की विधानसभा घनघटा के विधायक ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर माफी मांगी है। उन्होंने जनता से कुछ समय दिए जाने की मांग की थी। कहा था कि जल्द समस्या का समाधान करा देंगे। वहीं, पीलीभीत की पूरनपुर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक बाबूराम पासवान ने शुक्रवार को ऊर्जा मंत्री एके शर्मा को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने खराब बिजली सप्लाई पर नाराजगी जताई। जल्द ही इस समस्या का समाधान किए जाने की मांग उठाई है। ऐसे में सपा के विधायक भी बिजली कटौती पर स्थानीय स्तर पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
बिजली की डिमांड 22000 मेगावॉट तक पहुंच गई
प्रदेश में अभी बिजली की डिमांड करीब 22000 मेगावॉट तक पहुंच गई है। लेकिन अभी सब कुछ करने के बाद भी पावर कॉर्पोरेशन के पास 18 हजार मेगावॉट से ज्यादा बिजली नहीं है। प्रदेश सरकार के पावर प्लांट तो कम उत्पादन कर ही रहे हैं। स्थिति यह है कि केन्द्रीय कोटे से मिलने वाली बिजली भी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल रही है। इसकी वजह से प्रदेश में लगातार बिजली संकट गहरा होते जा रहा है। आने वाले एक मई तक स्थिति में कोई सुधार नहीं होगा।
गांव, तहसील और नगर पंचायत में एक जैसी स्थिति
गांव, तहसील और नगर पंचायत में घोषित कटौती हो रही है। जबकि शहरों में अघोषित कटौती हो रही है। बड़े - बड़े शहर में फॉल्ट और मरम्मत के नाम पर करीब चार से पांच घंटे के लिए सप्लाई बाधित होती है। गोमती नगर विस्तार सेक्टर छह निवासी विनीत ठाकुर का कहना है कि प्रतिदिन 3 से पांच घंटे के लिए बिजली कटती है। इसमें 30 मिनट से लेकर दो घंटे का कट लगता है। लखनऊ के अलावा कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, आगरा, गोरखपुर, बरेली, मुरादाबाद, मेरठ, गाजियाबाद और नोएडा में भी घंटो की अघोषित कटौती हो रही है। आने वाले दिनों में कटौती अभी और बढ़ेगी। इसके पीछे एक बड़ी वजह कई पावर प्लांटों से बिजली उत्पादन बंद होना भी है।
कोयले की जरुरत है
कोयला अगर आने वाले दिनों में नहीं मिलेगा तो परेशानी बढ़ती जाएगी। अनपरा में रोजाना 40000 एमटी कोयले की जरुरत है लेकिन 32000 एमटी कोयला मिल पाया। सूत्रों का कहना है कि अनपरा में 6 दिन के कोयले का स्टॉक बचा है। ओबरा में रोजाना 12500 एमटी कोयले की जगह 7900 एमटी कोयला मिल पाया। पावर प्लांट में चार दिन का कोयला बचा है। सबसे कम हरदुआगंज को कोयला मिला। यहां 19000 एमटी की जगह 3800 एमटी कोयला मिला।
कहां से कितनी बिजली मिल रही
- सेंट्रल सेक्टर 8000 मेगावाट
- आईपीपी 5500 मेगावाट
- जनरेशन 500 मेगावाट
- उत्पादन निगम 4000 मेगावाट
- हाइड्रो 600 मेगावाट
बिजली कटौती कहां कितने घंटे
ग्रामीण 8.35 घंटे
नगर पंचायत 8.15 घंटे
तहसील 7.00 घंटे