लोकसभा 2024: BJP में बची हुई 12 लोकसभा सीटों को लेकर असमंजस बरकरार, कहीं विरोधी दल के पत्ते खुलने का इंतजार तो कहीं पर कई दावेदार
भाजपा अब तक प्रदेश की 63 लोकसभा सीटों के लिए प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। पांच सीटें उसने अपने सहयोगी दलों के लिए छोड़ी हैं। पार्टी को अब बची हुई 12 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा करनी है। बची हुई इन सीटों में कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली रायबरेली सीट पर भाजपा के लिए वर्ष 1999 से सूखा रहा है।
भाजपा में बची हुई 12 लोकसभा सीटों को लेकर असमंजस बरकरार है। कहीं एक से ज्यादा दावेदार हैं जिन्हें नापने-तौलने में पार्टी लगी है तो कहीं विपक्षी दल के पत्ते खुलने का इंतजार है। भाजपा अब तक प्रदेश की 63 लोकसभा सीटों के लिए प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। पांच सीटें उसने अपने सहयोगी दलों के लिए छोड़ी हैं।
पार्टी को अब बची हुई 12 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा करनी है। बची हुई इन सीटों में कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली रायबरेली सीट पर भाजपा के लिए वर्ष 1999 से सूखा रहा है। भाजपा यहां कांग्रेस पार्टी के पत्ते खुलने का इंतजार कर रही है।
रायबरेली सीट पर कांग्रेस बनाए हुए है सस्पेंस
रायबरेली सीट पर सोनिया गांधी का उत्तराधिकारी कौन होगा? कांग्रेस भी इसे लेकर सस्पेंस बनाए हुए है। मैनपुरी सीट को भाजपा कभी जीत नहीं सकी है। मिशन-80 की तैयारियों में जुटी भाजपा इस बार सपा को उसके गढ़ में घेरना चाहती है। मैनपुरी से सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के सामने कौन मोर्चा संभालेगा? भाजपा में इस पर मंथन जारी है।
मैनपुरी की चुनावी जंग के लिए भाजपा ढूंढ़ रही सूरमा!
सूत्रों के अनुसार, मैनपुरी में शाक्य मतदाताओं की बड़ी तादाद को देखते हुए वहां की स्थानीय इकाई ने इसी बिरादरी के पार्टी के एक बड़े नेता को चुनाव लड़ाए जाने की इच्छा जताई थी, लेकिन इस पर बात आगे बढ़ी नहीं। पार्टी का इरादा राज्य सरकार के एक मंत्री को भी मैनपुरी से चुनाव लड़ाने का था, लेकिन उन्होंने भी अनिच्छा जता दी। फिलहाल मैनपुरी की चुनावी जंग के लिए पार्टी सूरमा ढूंढ़ रही है। पड़ोस की फिरोजाबाद सीट को भी पार्टी चुनौतीपूूर्ण मानती है। यहां के लिए भी पार्टी दमदार उम्मीदवार तलाश रही है। मैनपुरी और फिरोजाबाद सीटों पर तीसरे चरण में चुनाव होगा जिसके लिए 12 अप्रैल से नामांकन शुरू होगा।
कैसरगंज सीट को लेकर भी ऊहापोह की स्थिति है। यहां के वर्तमान सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष रहे बृजभूषण शरण सिंह का महिला पहलवानों से विवाद के बाद उन्हें फिर मैदान में उतारा जाए या नहीं, इस पर असमंज बरकरार है।
कौशांबी, इलाहाबाद और फूलपुर सीटों पर फंसा है पेंच
चर्चा थी कि पार्टी बृजभषण की बजाय उनके बेटे या पत्नी को टिकट दे सकती है। उधर, बृजभूषण खुद चुनाव लड़ने पर अड़े हुए हैं। ऐसे में देखना होगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा। कौशांबी, इलाहाबाद और फूलपुर सीटों के प्रत्याशियों को लेकर भी पेंच फंसा हुआ है। इलाहाबाद सीट पर औद्योगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता ‘नन्दी’ अपनी पत्नी व प्रयागराज की पूर्व महापौर अभिलाषा गुप्ता को टिकट दिए जाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हैं लेकिन पार्टी के ही एक बड़े नेता इसका विरोध कर रहे हैं।
गाजीपुर सीट भाजपा पिछले लोकसभा चुनाव में हार गई थी। मुख्तार अंसारी की मौत के बाद गाजीपुर में परिस्थतियां तेजी से बदली हैं और यहां का सियासी तापमान अचानक बढ़ गया है। ध्रुवीकरण की संभावना के दृष्टिगत भाजपा यहां अपनी रणनीति पर पुनर्विचार कर रही है। बलिया में क्षेत्र के पूर्व सांसद नीरज शेखर समेत कुछ और नामों पर पार्टी विचार कर रही है।