UPSC ने किया सवाल, मुकुल गोयल को DGP पद से क्यों हटाया? UP सरकार का जवाब, भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति
उत्तर प्रदेश में नए डीजीपी को लेकर हलचल एक बार फिर तेज होती दिख रही है। यूपी सरकार ने नए डीजीपी की नियुक्ति के लिए यूपीएससी को नामों का पैनल भेजा था। यूपीएससी की ओर से यूपी सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी देने की जगह सवालिया चिट्ठी थमा दी गई।
उत्तर प्रदेश में नए डीजीपी की नियुक्ति का मामला एक बार फिर गरमा गया है। प्रदेश में करीब साढ़े तीन माह से अस्थायी पुलिस महानिदेशक के सहारे व्यवस्था चल रही है। डीजीपी मुकुल गोयल को हटए जाने के बाद से डीएस चौहान कार्यवाहक बनाने के बाद स्थायी डीजीपी बनाने की औपचारिकता निभाई जा रही है। इसके लिए 30 साल की सेवा पूरी कर चुके यूपी कैडर के आईपीएस अफसरों की सूची यूपीएससी को भेजी गई है। यूपीएससी इन 42 अधिकारियों की सूची में से एक डीजीपी चुना जाना था। हालांकि, संघ लोक सेवा आयोग की ओर से इन 42 अधिकारियों से तीन लोगों को पैनल तैयार किया जाना था। इन तीन नामों में से एक नाम पर मुहर केंद्र सरकार की लगनी थी। अब यूपीएससी के ताजा पत्र ने प्रदेश के प्रशासनिक महकमे में माहौल को गरमा दिया है। यूपीएससी ने यूपी सरकार से सवाल किया है कि आखिर मुकुल गोयल को डीजीपी पद से क्यों हटाया गया? यूपी सरकार ने यूपीएससी को जो जवाब भेजा है, उसमें मुकुल गोयल की क्षमता और उन पर लगे आरोपों का जिक्र किए जाने की बात कही जा रही है।
योगी आदित्यनाथ सरकार ने 10 मई को मुकुल गोयल को डीजीपी की कुर्सी से हटा दिया था। उन पर प्रशासनिक अक्षमता का आरोप लगा था। इसके बाद 12 मई को डीजी इंटेलिजेंस डॉ. देवेंद्र सिंह चौहान को कार्यवाहक डीजीपी बनाया था। डीएस चौहान डीजी इंटेलिजेंस जैसे अहम पद के साथ डीजी विजिलेंस और डीजीपी की कुर्सी संभाल रहे हैं। दूसरी तरफ, डीजी स्तर के कई अधिकारी एडीजी और आईजी स्तर की पोस्ट पर तैनात हैं। इससे यह चर्चा तेज हो गई थी कि क्या प्रदेश में उपयुक्त अफसरों की कमी है या पसंदीदा अफसर को डीजीपी बनाने के लिए जमीन तैयार कर जी रही है? अब यूपीएससी की ओर से मुकुल गोयल को डीजीपी पद से हटाए जाने के बाद सवालों का दौर शुरू हो गया है।
अकर्मण्यता को आधार बता रही यूपी सरकार
पूर्व डीजपी मुकुल गोयल को पद से हटाए जाने के मामले में सरकार उनकी कार्यशैली को बड़ा आधार बता रही है। दरअसल, यूपीएससी की ओर से यूपी सरकार के नए डीजीपी के प्रस्ताव पर सवाल किया गया। यूपीएससी ने सरकार से पूछा कि डीजीपी के पद से मुकुल गोयल को क्यों हटाया गया? इस पर यूपी सरकार की ओर से जवाब दिए जाने की तैयारी कर ली गई है। सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार, यूपी सरकार इसका कारण पूर्व डीजीपी की अकर्मण्यता को बताने की तैयारी में है। सरकार की ओर से इसी प्रकार की बात कही जा रही है। यूपीएससी के समक्ष सरकार की ओर से अपना पक्ष रखा जाएगा।
यूपी सरकार का कहना है कि केवल सीनियरिटी ही डीजीपी पद पर नियुक्ति का आधार नहीं हो सकता है। परफार्मेंस और मेरिट को भी आधार माना जाना चाहिए। सरकार की ओर से इस मामले में यूपीएससी को जवाब भेजे जाने का भी दावा सूत्र कर रहे हैं।
मेरिट को बताया चयन का आधार
सरकार की ओर से दावा किया जा रहा है कि डीजीपी की नियुक्ति के लिए चयन का आधार मेरिट रखा जाना चाहिए। सीनियर आईपीएस मुकुल गोयल के खिलाफ लगे पूर्व के मामलों का भी जिक्र किया जा रहा है। यूपीएससी को भेजे गए जवाब में यूपी सरकार ने कहा है कि मुकुल गोयल को काम में लापरवाही के मामले में हटाया गया। कानून व्यवस्था के मामले में योगी सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है। योगी सरकार ने साफ कर दिया है कि इस मामले में वह अपने कदम पीछे नहीं हटाने वाली है। यूपीएससी के स्तर पर आगे क्या फैसला होता है, देखना दिलचस्प रहेगा।
सीनियर आईपीएस पर लगे आरोपों का भी जिक्र
सीनियर आईपीएस मुकुल गोयल को पद से हटाए जाने के मामले में यूपीएससी को भेजे गए जवाब में योगी सरकार ने उन पर लगे आरोपों का जिक्र किया है। सूत्रों के अनुसार, एडीजी विधि व्यवस्था रहते पद से हटाए जाने के मामले का भी जिक्र किया गया है। भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद उन्हें पद से हटाया गया था। पुलिस भर्ती घोटाला में भी उनका नाम आने की बात कही गई है। मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान वे एडीजी विधि व्यवस्था थे। उन पर इन दंगों के दौरान इससे निपटने में अक्षम रहने का आरोप लगा था। इस कारण उन्हें पद से हटाया गया था। सहारनपुर एसपी पद से भी निलंबित किया गया था।