नए साल में बदल जाएगा यूपी विधानसभा का तौर-तरीका, 64 साल पुरानी गाइडलाइंस की जगह लेगी नई रूल बुक, जानिए सबकुछ
UP विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन साल 1958 में बनी नियमावली के अनुसार ही चल रहा है। अब इसे बदले जाने की तैयारी चल रही है। विधानसभा ने मौजूदा प्रावधानों में बदलाव करने की जगह नया रूल बुक लाने की ही तैयारी कर ली है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में होने वाली सदन की कार्यवाही अब नए रूप-रंग में नजर आएगी। उत्तर प्रदेश विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन साल 1958 में बनी नियमावली के अनुसार ही चल रहा है। अब इसे बदले जाने की तैयारी चल रही है। विधानसभा ने मौजूदा प्रावधानों में बदलाव करने की जगह नया रूल बुक लाने की ही तैयारी कर ली है। अगर ऐसा होता है तो उत्तर प्रदेश, देश में ऐसा करने वाला पहला राज्य बन जाएगा।
ड्राफ्टिंग कमिटी की अगुवाई कर रहे विधानसभा प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने बताया कि नए नियमों के लिए ड्राफ्ट को सबमिट करने के लिए कमिटी जनवरी में स्पीकर को सौंपेगी। दुबे की अगुवाई में बनी ड्राफ्टिंग कमिटी में कानून विभाग से रिटायर्ड अधिकारी एस. एन. श्रीवास्तव, वित्त विभाग के रिटायर्ड स्पेशल सेक्रेटरी शंकेश्वर त्रिपाठी बतौर सदस्य शामिल हैं।
इसके बाद स्पीकर ड्राफ्ट को विधानसभा में 13 सदस्यीय रूल्स कमिटी के सामने पेश करेंगे। इस कमिटी की अध्यक्षता स्पीकर की अगुवाई में होगी और विभिन्न राजनीतिक दलों के विधायक शामिल रहेंगे। इस संबंध में स्पीकर सतीश महाना से संपर्क नहीं हो सका, जो ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के तहत विभिन्न देशों के दौरे पर हैं।
प्रमुख सचिव दुबे ने बताया कि रूल्स कमिटी की तरफ से मंजूरी मिलने के बाद ड्राफ्ट को अप्रूवल के लिए हाउस में रखा जाएगा। विधानसभा में नई टेक्निक के आने के बाद 64 साल पुरानी प्रक्रिया और कार्य संचालन की नियमावली को बदले जाने की जरूरत महसूस हुई। खासतौर से ई-विधानसभा के लागू होने के बाद महत्वता और भी बढ़ गई।
सूत्रों के अनुसार सदन की बैठक को लेकर नोटिस पीरियड 14 दिनों का होता है। हालांकि अब तकनीक के विस्तार को देखते हुए नोटिस पीरियड 7 दिनों का किए जाने की तैयारी है। नियमों की भाषा को भी सरल किया जाएगा क्योंकि नए विधायकों को समझने में दिक्कत होती है। उदाहरण के तौर पर रूल 311 पर संशय बना रहता है। रूल 56 के तहत नोटिस जारी करने को लेकर भी भ्रम रहता है, जिसमें अब बदलाव किया जाएगा।
अभी के नियम के तहत विधानसभा में कमिटी के लिए महीने में दो बैठकों का प्रावधान है। स्पीकर इसे बढ़ाकर महीने में 5 से 7 तक करना चाहते हैं। इस तरह के बदलावों के साथ मीटिंग का भत्ता भी बढ़ाया जा सकता है। वित्त विभाग के विशेषज्ञों को भी ड्राफ्ट कमिटी में शामिल किया गया है। अगर सबकुछ योजना के अनुसार रहा तो नई नियमावली अगले बजट सत्र से लागू हो सकता है।