लखनऊ सचिवालय में नौकरी के नाम पर ठगी, निजी सचिव लेता था इंटरव्यू
एसटीएफ प्रभारी एसएसपी विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक, सरकारी नौकरी दिलवाने के नाम पर लोगों से करोड़ों की ठगी किए जाने की सूचनाएं लगातार मिल रही थीं। मंगलवार को एसटीएफ को सूचना मिली कि गिरोह का सरगना आलमबाग निवासी विजय कुमार मंडल दारुलशफा तिराहे पर मौजूद है।
सरकारी नौकरी दिलवाने के नाम पर बेरोजगारों से करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले सचिवालय के केंद्रीय अनुभाग में तैनात निजी सचिव विजय कुमार मंडल व उसके दो साथियों को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से पुलिस ने 6 मोबाइल, सहायक समीक्षा अधिकारी का फर्जी आईडी कार्ड, 8 फर्जी नियुक्ति पत्र, 22 लोगों के मूल शैक्षणिक प्रमाण पत्र, 1 फर्जी आधार कार्ड, 1 फर्जी ड्राइविंग कार्ड, 2 पैनकार्ड, 1 डेबिट कार्ड, 2 आधार कार्ड, 1 ड्राइविंग लाइसेंस और 4730 रुपये बरामद किए हैं। गिरोह का सरगना विजय है। वह सचिवालय स्थित अपने ऑफिस में बेरोजगारों का साक्षात्कार लेता था। उसके एक साथी पर हरदोई पुलिस ने 10 हजार रुपये का इनाम भी घोषित कर रखा है।
दारुलशफा के पास से पकड़े गए
एसटीएफ प्रभारी एसएसपी विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक, सरकारी नौकरी दिलवाने के नाम पर लोगों से करोड़ों की ठगी किए जाने की सूचनाएं लगातार मिल रही थीं। मंगलवार को एसटीएफ को सूचना मिली कि गिरोह का सरगना आलमबाग निवासी विजय कुमार मंडल दारुलशफा तिराहे पर मौजूद है। इस पर एसटीएफ ने गिरोह के सरगना विजय व उसके दो अन्य साथियों गुडंबा निवासी धर्मवीर और दिल्ली निवासी आकाश कुमार को गिरफ्तार कर लिया। सूत्रों के मुताबिक, विजय पूर्व में एक मंत्री स्वतंत्र प्रभार के पास तैनात था। उन्होंने उसे वापस कर दिया था।
कर्जदार हुआ तो करने लगा ठगी
विजय ने बताया कि उसके ऊपर 35-40 लाख रुपये का कर्ज हो गया था। उसे रुपये की जरूरत थी। बंदरियाबाग स्थित वीवीआईपी गेस्ट हाउस में धर्मवीर सिंह से उसकी मुलाकात हुई तो उसने नौकरी के नाम पर ठगी करने का तरीका बताया। उसने बेरोजगारों को फंसाकर लाने को कहा। विजय उन लोगों से सचिवालय में अपने ऑफिस में इंटरव्यू लेगा, जिससे कि पीड़ितों को विश्वास हो जाए कि उन्हें सरकारी नौकरी मिल जाएगी। वह लाखों रुपये देने को तैयार हो जाएंगे। विजय ऐसा ही करने लगा। साथ ही मूल शैक्षिक अंक-पत्र व प्रमाण-पत्र ले लेता था।
गिरोह के अन्य सदस्य बनाते थे फर्जी नियुक्ति पत्र
सरगना ने बताया कि गिरोह के दो अन्य सदस्य फर्जी नियुक्ति पत्र बनवाने का काम करते थे। सरगना ही उन लोगों को नियुक्ति पत्र का फॉर्मेट देता था। विजय ने बताया कि उसी ने समीक्षा अधिकारी, सचिवालय लखनऊ का फर्जी आईडी कार्ड बनवा कर दोनों साथियों को दिया था। दोनों उसी कार्ड को दिखा कर बेरोजगारों को फंसाते थे। फर्जी नियुक्ति पत्र को आरोपित रजिस्ट्री के जरिए पीड़ितों को भेजते थे। जॉइनिंग के लिए पहुंचने पर उन्हें सच पता चलता था। आरोपियों ने बताया कि उन लोगों ने अधिकतर सचिवालय में नौकरी दिलवाने के नाम पर पीड़ितों को शिकार बनाया था। धर्मवीर पीड़ितों को अपना नाम अजय सिंह बताता था। उसने इसी नाम से फर्जी आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस व सचिवालय का आईडी कार्ड भी बनवाया था। उसके खिलाफ हरदोई में केस दर्ज है। उस मामले में वॉरंट भी निकल चुका है।