लखनऊ में स्पेशल-26 जैसा कांड, इनकम टैक्स ऑफिस में जॉब इंटरव्यू और बांट रहे 'सरकारी नौकरियां', खेला समझिए
लखनऊ में एक गिरोह के लोग धर दबोचे गए, जो आयकर विभाग के मुख्यालय की कैंटीन में बैठकर लोगों को नौकरी का फर्जी नियुक्ति पत्र बांट रहा था।
साल 2013 में बॉलिवुड की एक फिल्म आई थी, जो खासी चर्चित हुई थी। नाम था- स्पेशल 26। अक्षय कुमार, अनुपम खेर, मनोज वाजपेयी स्टारर इस फिल्म में ठगों का एक गिरोह सीबीआई के नकली अधिकारियों का गैंग बनाकर छापेमारी करता। और फिर पैसों को लेकर रफूचक्कर हो जाता। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयकर विभाग के दफ्तर में बैठकर दुस्साहसिक वारदात करने का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सबके होश उड़ा दिए हैं। एक गिरोह के लोग धर दबोचे गए, जो मुख्यालय की कैंटीन में बैठकर लोगों को नौकरी का फर्जी नियुक्ति पत्र बांट रहा था। आखिर जिस ऑफिस में लोग घुसने से भी कतराते हैं, वहां बैठकर लाखों रुपये वसूलने की वारदात हुई कैसे? आइए समझते हैं।
लखनऊ में पुलिस ने महिलाओं सहित 7 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। यह गिरोह आयकर विभाग की कैंटीन में बैठकर लोगों को फर्जी नियुक्ति पत्र बांट रहा था। इनके पास से आयकर विभाग की फर्जी मोहरें और कई कागजात बरामद भी बरामद हुए है। दोपहर के वक्त गिरोह के सदस्य आयकर विभाग के दफ्तर की कैंटीन में बैठकर कुछ बाहरी लोगों को नियुक्ति पत्र बांट रहे थे। अज्ञात लोगों को कैंटीन में देखकर वहां मौजूद लोगों ने पूछताछ शुरू की, जिसके बाद मामले का भंडाफोड़ हो गया।
शक पर गेट बंद कर की गई पूछताछ, तो खुला केस
नरही रोड पर प्रत्यक्ष कर मुख्यालय है। यहां पर दोपहर के वक्त कैंटीन और आस-पास के एरिया में अचानक लोगों की भीड़ दिखी। बाहरी लोगों की मौजूदगी को देखकर संदेह गहराय तो कर्मचारियों ने पूछताछ शुरू की। कैंटीन में बैठकर इंटरव्यू देने की बात पता चलने पर संदेह गहरा गया। अधिकारियों को बुलाया गया तो मौके पर मास्टरमाइंड के साथ ही विभाग के अंदरूनी लोग भी मौजूद मिले। तुरंत बाहर निकलने का मेन गेट बंद करा दिया गया। 50 से अधिक लोगों का मोबाइल जब्त करके जांच शुरू हो गई। संयुक्त आयकर आयुक्त इन्वेस्टिगेशन के पास बात पहुंची।
जालसाजों के साथ मौजूद प्रियंका मिश्रा नामक महिला अधिकारियों के सवालों पर विरोधाभासी बयान देने लगी, जिसके बाद आयकर विभाग के अधिकारियों को शक हुआ। विभाग के अधिकारियों ने महिला और उसकी निशानदेही पर छह लोगों को पकड़ लिया। इसके बाद मामले की जानकारी पुलिस को दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने आरोपितों से दो घंटे तक पूछताछ की। पूछताछ में खुलासा हुआ कि ये लोग आयकर विभाग में नौकरी के फर्जी नियुक्ति पत्र बांट रहे थे।
आरोपी ऐसे कैसे घुस जाते थे दफ्तर के अंदर?
महिला शाहजहांपुर की निवासी बताई जा रही है, जो लखनऊ के त्रिवेणी नगर इलाके में रह रही है। वह कानून की पढ़ाई भी कर रही है। आयकर विभाग के ऑफिस परिसर से नौकरी के नाम पर फर्जीवाड़ा निहायत ही चौंकाने वाली वारदात है। जालसाज पिछले कई दिनों से आयकर विभाग के दफ्तर में आ रहे थे। जिस ऑफिस में बिना अनुमति के किसी बाहरी की एंट्री संभव नहीं है, वहां ये जालसाज इतनी हिम्मत दिखाते हुए कई दिनों से कैसे प्रवेश कर रहे थे? पिछले 2 सप्ताह से आरोपियों का आना-जाना बना हुआ था।
कई दिनों से हर जानकारी जुटा रही थी महिला
जानकारी के मुताबिक आयकर विभाग में खेल कोटा में कई पदों पर निकली भर्ती को हथियार बनाकर पूरा गेम रचा गया। हाल ही में खेल कोटा के कैंडिडेट्स की फीजिकल स्क्रीनिंग पूरी हुई है। इसी को आधार बनाकर फ्री जॉब अलर्ट वेबसाइट पर ऐड निकाला गया। आरोपी महिला रोज ऑफिस पहुंचती थी और सभी अधिकारियों के बारे में जानकारी इकट्ठा करती थी। किस अधिकारी के साइन से नियुक्ति होती है, किसके मुहर की जरूरत पड़ती है। किस अधिकारी का क्या काम है। ऐसी हर डिटेल जुटा ली गई।
विभाग के अधिकारी भी संदेह के घेरे में!
जॉब वेबसाइट पर वैकेंसी की सूचना दी जाती थी। खास बात है कि अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के बाद नियुक्ति पत्र भी थमा दिया जाता था। इस मामले में आयकर विभाग के कुछ अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में हैं। आयकर विभाग में रखे कागजात कितने महत्वपूर्ण हैं, इसका अहसास तो विभाग के छोटे-से-छोटे कर्मचारी को है। साथ ही सवाल यह भी है कि जालसाजों ने प्रिसिंपल चीफ कमिश्नर की सील आखिर कैसे बनवाई? सील यूनिक होती है और उसे बाहर लाना मना है। इसके अलावा पुरानी सील को डिस्पोज ऑफ करने की एक तय प्रक्रिया है।
हर बेरोजगार से वसूले जाते थे 10 लाख!
नौकरी के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले जालसाज बहुत ही शातिर थे। ये लोग बेरोजगारों को कर सहायक और आयकर निरीक्षक का नियुक्ति पत्र दे रहे थे, हालांकि विभाग में कर सहायक का कोई पद नहीं है। अपॉइंटमेंट लेटर पर बाकायदा प्रिसिंपल चीफ कमिश्नर की सील लगी हुई थी। पूछताछ में सामने आया है कि इन लोगों ने नौकरी के एवज में प्रति बेरोजगार से 10 से 15 लाख रुपये वसूल किए थे। नौकरी देने से पहले बकायदा लोगों को इंटरव्यू लिया जाता था। प्रियंका और उसके जालसाज साथियों का पैनल यह इंटरव्यू लेता था।