2 सालों में सबसे ज्यादा साफ रही हवा, देशभर में अव्वल, मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में हैं
10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों को लखनऊ अव्वल आया है। केंद्र सरकार की तरफ से सभी राज्यों के प्रमुख शहरों में स्वच्छ वायु सर्वेक्षण करवाया गया था। शनिवार को इन शहरों की रैकिंग जारी की गई है। 3 से 10 लाख की आबादी वाले शहरों में मुरादाबाद पहले नंबर पर आया है।
केंद्र सरकार की तरफ से करवाए गए 'स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2022' के मुताबिक 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में लखनऊ को पहला स्थान मिला है। 3 से 10 लाख तक की आबादी वाले शहरों के बीच यूपी के मुरादाबाद का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा है। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में मंगलवार को 'वायु: महत्वपूर्ण जीवन शक्ति' सम्मेलन में लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया और नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह को अवॉर्ड और डेढ़ करोड़ रुपये का चेक सौंप गया। सम्मेलन में ओडिशा के राज्यपाल गणेशी लाल, केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री भूपेंद्र यादव और डायरेक्टर जनरल, पर्यावरण चंद्र प्रकाश गोयल मौजूद रहे।
लखनऊ को यह पुरस्कार साल 2019-20 से 2021-22 तक पीएम-10 की औसत सांद्रता 31 प्रतिशत तक कम करने, बायोमास व ठोस कचरे को जलाने से रोकने के लिए की गई कार्रवाई के लिए दिया गया है। वहीं, 3 से 10 लाख की आबादी वाले शहरों में मुरादाबाद को पीएम-10 की औसत सांद्रता 36 प्रतिशत कम करने के 75 हजार रुपये दिए गए। 3 लाख से कम आबादी वाले शहरों में हवा साफ करने के प्रयासों के लिए मध्य प्रदेश के देवास को 37.50 लाख रुपये के पुरस्कार से नवाजा गया।
नगर आयुक्त ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से सभी प्रदेशों के प्रमुख शहरों में स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2022 करवाया गया था। पिछले छह माह से केंद्र की टीमें मानकों के हिसाब से शहरों की हवा का मूल्यांकन कर रही थीं। शनिवार को इसकी रैंकिंग जारी की गई। उन्होंने कहा कि अगले छह महीने के लिए भी हमारा ऐक्शन प्लान तैयार है। हवा को साफ रखने के लिए आवासीय समितियों और स्कूली बच्चों को साथ लेकर अभियान चलाने की तैयारी है। इसके अलावा चौराहों पर एनजीओ की मदद से ट्रैफिक लाइट रेड होने पर लोगों को गाड़ियां बंद करने के लिए भी जागरूक किया जाएगा।सम्मान हासिल करने के बाद मेयर संयुक्ता भाटिया ने बताया कि लखनऊ में हवा की गुणवत्ता और पर्यावरण सुधारने के लिए पिछले पांच साल से प्रयास चल रहा था, जिसका नतीजा अब सामने आने लगा है।
इन प्रयासों से मिली सफलता
- नगर निगम मुख्यालय के सामने कृत्रिम फेफड़ा लगवाया गया, जो कि महज 24 घंटे में गुलाबी से काला हो गया। इसका उद्देश्य वायु गुणवत्ता के प्रति लोगों को जागरूक करना था।
- 9 रोड स्वीपिंग मशीनें, 8 एंटी स्मोक गन, 40 वॉटर स्प्रिंकल मशीनें खरीदीं और इनका नियमित इस्तेमाल किया।
- अटल उदय वन समेत शहर के 1500 से ज्यादा पार्कों में पौधरोपण किया गया।
- शहर के एक्यूआई के आंकड़ों को स्मार्ट सिटी के कंट्रोल रूम से कनेक्ट किया गया। जिन इलाकों की रिपोर्ट खराब हुई वहां अभियान चलाया गया।
- 22 स्थानों पर एयर प्यूरीफायर लगाए गए, जिनसे वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ।
मिलेंगे 100 करोड़ रुपये
नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह के मुताबिक रैंकिंग में नंबर वन होने पर नगर निगम को डेढ़ करोड़ तुरंत मिल गए हैं। वायुगुणवत्ता में सबसे बेहतर काम करने वाले शहर को 15वें वित्त में तय किया गया पूरा बजट मिलता है। इस तरह से लखनऊ को 100 करोड़ रुपये मिलेंगे। शहर के पर्यटन पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ेगा।
स्वच्छता सर्वेक्षण में भी सुधार
च्छता सर्वेक्षण में पांच साल पहले लखनऊ की रैंकिंग 269 थी। इसके बाद सफाई अभियानों का असर है कि पिछले तीन साल से लखनऊ लगातार टॉप-20 में बना हुआ है। नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह के मुताबिक लखनऊ में बड़े पैमाने पर घरों में पीएनजी, गाड़ियों में सीएनजी, बड़े पैमाने पर ई-वीकल और मेट्रो ने शहर की हवा सुधारने में अहम भूमिका निभाई।