लखनऊ: 4 दिन में 210 मौतें, अंतिम संस्कार के लिए लंबी वेटिंग, शव जलाने को नहीं मिल रही लकड़ियां
हालात यह है कि शव को जलाने के लिए लकड़ियां तक खत्म हो गईं। वहीं पोस्टमॉर्टम हाउस में भी अधिक संख्या में शव लाए गए।
लखनऊ में पिछले चार दिन में 200 से अधिक मौतें हुई हैं। श्मशान घाट पर शवों के अंतिम संस्कार के लिए लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है। हालात यह है कि शव को जलाने के लिए लकड़ियां तक खत्म हो गईं। वहीं पोस्टमॉर्टम हाउस में भी अधिक संख्या में शव लाए गए।
16 से 20 जून तक यानी 4 दिन में बैकुंठ धाम श्मशान घाट पर 210 शव लाए गए। सबसे अधिक 18 जून को 62 शव लाए गए थे। मृतकों में सबसे ज्यादा संख्या 60 साल या इससे ज्यादा उम्र के बुजुर्गों की बताई जा रही है।
पोस्टमॉर्टम हाउस में बढ़ी लाशों की संख्या
जून महीन में पोस्टमॉर्टम हाउस में शवों की संख्या अचानक बढ़ गई। सामान्य तौर पर रोजाना 10-12 की संख्या में शव लाए जाते थे। लेकिन जून के तीसरे सप्ताह (16 से 20 जून) के बीच 4 दिनों में करीब 210 शव KGMU के पोस्टमॉर्टम हाउस लाए गए।
हालांकि अब स्थिति सामान्य हो गई है। 21 जून को पोस्टमॉर्टम के लिए 33 शव लाए गए, इसमें 20 अज्ञात थे। जबकि 27 शवों का श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया गया।
श्मशान घाट पर आए शवों में पिछले 4 दिनों में 45 शव लावारिस थे। इसमें से अधिकतर शवों का अंतिम संस्कार इलेक्ट्रिक मशीनों से किया गया। लखनऊ के तीनों श्मशान घाट पर एक जैसा ही नजारा बीते चार दिनों में दिखा।
मई में भी बढ़ी थी शवों की संख्या
इसके पहले 26 मई से 1 जून तक रिकॉर्ड स्तर पर गर्मी पड़ी थी। इस दौरान अधिकतम तापमान 45.8 डिग्री दर्ज किया गया, जो 20 साल में चौथा सबसे अधिक तापमान था। तब भी पोस्टमॉर्टम हाउस में 236 शव लाए गए थे।
अंतिम संस्कार कराने के लिए लंबी लाइन
शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए श्मशान घाट पर कतार लगी रही है। लोगों को शवों के लिए बनाए गए प्लेटफार्म खाली होने का इंतजार करना पड़ रहा है। बिजली शव दाह गृह में गुरुवार को एक साथ कई शवों के पहुंचने से भीड़ लग गई।
श्मशान घाट के कर्मचारी बताते हैं कि सुबह के समय सबसे अधिक संख्या में शव बीते चार दिनों में आए। क्योंकि लोग सुबह आकर ही पूरा कर्मकांड करने की कोशिश करते हैं। लेकिन अधिक भीड़ हाेने के कारण लोगों को शाम तक इंतजार करना पड़ा।
बैकुंठ धाम में खत्म हो गई थी लकड़ियां
16 से 20 जून के बीच बैकुंठ धाम में अधिक शव आने से लकड़ियां भी खत्म हो गई थी। बैकुंठ धाम में चार ठेकेदार लकड़ी की सप्लाई करते हैं, ऐसे में अंतिम संस्कार के लिए तुरंत लकड़ी की व्यवस्था करने में लोगों को परेशानी हुई। एक कर्मचारी ने बताया कि श्मशान घाट के चारों गोदाम में लकड़ी की कमी हो गई थी।
आम तौर पर रोजाना 10-15 शव ही श्मशान आते हैं, लेकिन बीते 4 दिनों में 50-60 शव रोज आने लगे। ऐसे में व्यवस्था बिगड़ गई। मामले की जानकारी के बाद नगर निगम की तरफ से लकड़ी की सप्लाई कराई गई।
मरने वालों में बुजुर्ग सबसे अधिक
बीते 4 दिन में सबसे अधिक मौत बुजुर्गों की हुई है। इसमें भी सबसे अधिक संख्या पुरुषों की है। बैकुंठ धाम श्मशान घाट के पंडित कुलदीप दुबे ने कहा कि मौसम गर्म होने और हीट वेव अधिक होने से लोगों की मौत हुई है। 50 से अधिक शव एक दिन में लाए गए। इसमें लावारिस शवों की संख्या अधिक रही। लकड़ी की कमी होने पर फिर से मंगाया गया।
श्मशान घाट पर तीन गुना बढ़े शव
लखनऊ में भैंसाकुंड, VVIP रोड और गुलाला घाट पर अंतिम संस्कार किया जाता है। बैकुंठधाम में 17 जून को 52 शव, 18 को 62, 19 को 54 और 20 को 42 शव पहुंचे। इसके कारण श्मशान घाट की व्यवस्था भी प्रभावित हुई। श्मशान घाट पर आम दिनों में पंडित सिर्फ अपनी बारी आने पर अंतिम संस्कार का कर्मकांड कराते हैं, लेकिन भीड़ बढ़ने पर बाहर से पंडितों को बुलाना पड़ा।
देर रात तक डॉक्टर कर रहे पोस्टमॉर्टम
17 से 20 जून के बीच करीब 174 शव पोस्टमॉर्टम के लिए लाए गए। इस पीरियड में रोजाना करीब 40 शवों का पोस्टमॉर्टम किया गया। डॉक्टरों का कहना है कि गर्मी बढ़ने से ही मौत की संख्या बढ़ी है। KGMU में पोस्टमॉर्टम के लिए 17 जून को 44, 18 जून को 48 जून, 19 जून को 48, 20 जून 50 शव पहुंचे। देर रात तक पोस्टमॉर्टम चला।