लखनऊ के एल्डिको में कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन में लगी आग, नगर निगम की 30 गाड़ियां जलीं
गोमतीनगर के एल्डिको कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन में गुरुवार शाम 7 बजे के करीब भीषण आग लग गई।
लखनऊ के गोमतीनगर के एल्डिको कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन में गुरुवार शाम 7 बजे के करीब भीषण आग लग गई। यहां पर नगर निगम की कबाड़ गाड़ियों को रखा गया था। आग लगने से करीब 30 गाड़ियां जल गईं। सूचना मिलने के बाद फायर ब्रिगेड की 6 गाड़ियां मौके पर पहुंचीं।
नगर निगम अधिकारियों ने बताया कि करीब 2 घंटे में आग पर काबू पा लिया गया। पुलिस और नगर निगम की टीम भी मौके पर मौजूद हैं। आशंका जताई जा रही है कि नशे में धुत लोगों के द्वारा आग लगाई गई है।
बड़ा नुकसान होने से बचा
घटना के समय नगर निगम कार्यालय पर छोटी-बड़ी करीब 100 से अधिक गाड़ियां खड़ी थीं। अगर आग नगर निगम कार्यालय तक पहुंच जाती तो ये गाड़ियां भी चपेट में आ सकती थीं। इससे नगर निगम को बड़ा नुकसान हो सकता था।
इसके अलावा यहां पास में एल्डिको कॉलोनी है। जो पूरी तरह से आवासीय है। आग कॉलोनी तक पहुंचती तो बड़ी अनहोनी हो सकती थी। पास में ही पुराना पेट्रोल पंप है। रात को भी करीब 15 से 20 कर्मचारी यहां नाइट ड्यूटी के दौरान मौजूद रहते हैं। ऐसे में उनकी जान को भी खतरा हो सकता था।
दिन में भी लगी थी आग
आरआर विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि दिन में भी वहां पर एक बार आग लगी थी। हालांकि उस समय नगर निगम के पानी वाले टैंकर से ही आग पर काबू पा लिया गया था। उसके बाद शाम को उस जगह से थोड़ा सी दूरी पर फिर से आग लग गई थी। जिस को कंट्रोल करने में 2 घंटे से ज्यादा समय लगा। इस दौरान नगर निगम के नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह, अपर नगर आयुक्त पंकज सिंह समेत तमाम लोग मौके पर मौजूद रहे।
नगर निगम का टिन शेड बना रेस्क्यू में रोड़ा
जिस जगह पर आग लगी थी। उस लोकेशन को एक तरफ से नगर निगम ने टिन शेड से घेर दिया था। जिससे कि बाहरी लोग वहां नहीं पहुंच सके और कोई चोरी की घटना ना हो। लेकिन नगर निगम का यह काम उनके लिए शाम को मुसीबत बन गया। टीन शेड होने की वजह से दमकल की गाड़ियां वहां से अंदर नहीं जा पाईं। बाकी गाड़ियों को नगर निगम ने जब अपनी क्रेन से हटाया तो दमकल की गाड़ी मौके तक पहुंच पाई। ऐसे में आग को कंट्रोल करने में करीब 2 घंटे लगे।
कुछ दिनों पहले ही डंपिंग जोन बनाने का लिया गया था निर्णय
जिस जगह पर आग लगी थी। उस जगह पर कुछ दिन पहले ही डंपिंग जोन बनाने का निर्णय लिया गया था। यहां से पूरा कूड़ा उठ कर शिवरी प्लांट को जाना था। जिसका वहां के पार्षद राजेश सिंह गब्बर ने विरोध किया था।