लखनऊ-गोरखपुर रूट में ABS पर काम शुरू, एक किमी के रेंज में आगे- पीछे चलेंगी ट्रेनें... बालासोर हादसे के बाद सतर्कता
बालासोर में भीषण रेल हादसे के बाद से अब देश की धड़कन मानी जाने वाली ट्रेन यात्रा को सुरक्षित बनाने पर काम तेज किया गया है। लखनऊ-गोरखपुर रूट पर ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम का काम शुरू कर दिया गया है। इससे ट्रेनों को तेजी से आगे निकालने में मदद मिल सकेगी।
उत्तर प्रदेश में रेलवे की यात्रा को सुखद और सुरक्षित बनाने की दिशा में काम तेज किया गया है। लखनऊ से गोरखपुर रूट पर अब एक किलोमीटर के दायरे में ट्रेनें आगे-पीछे चल सकेंगी। यह संभव होगा ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम से, जिसे लगाने का काम शुरू हो गया है। एक साल में पूरा रूट ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम से लैस हो जाएगा। अब तक ट्रेनों के बीच की दूरी कम से कम से आठ किलोमीटर होती है। आगे चल रही ट्रेन के स्टेशन पहुंचने के बाद पीछे वाली ट्रेन को ग्रीन सिग्नल दिया जाता है। नई व्यवस्था लागू होने से ट्रेनों की टाइमिंग में भी सुधार होगा।
ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम में दो स्टेशनों के बीच (ब्लॉक सेक्शन) प्रत्येक एक किलोमीटर की दूरी पर सिग्नल लगाए जाएंगे। जैसे-जैसे सिग्नल हरे होते जाएंगे पीछे चल रही ट्रेन आगे बढ़ती जाएगी। इसके लिए केबल बिछाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। गोरखपुर से लखनऊ के बीच हर दो ब्लॉक के बीच एक हट बनाया जाएगा। इसमें सिग्नल से जुड़े संयंत्र रखे जाएंगे, ताकि फॉल्ट आने पर तत्काल सही किया जा सके। सिग्नल पहले लाल, फिर डबल पीला और पीला होने के बाद हरा होगा। इसके अनुसार लोको पाइलेट एक किमी की दूरी रखते हुए ट्रेन चला सकेंगे।
पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह ने बताया कि ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग का काम डोमिनगढ़ और टिनीच के बीच शुरू हो चुका है। रूट सर्वे और मार्किंग ऑफ ब्लॉक का काम दो ब्लॉक खंड में पूरा हो गया है। रेल खंडों में ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इससे लोगों को सुरक्षित रेल यात्रा का लाभ मिलने की उम्मीद है।