विधानसभा बनी अदालत, 6 पुलिसकर्मियों को सजा: एक दिन लॉकअप में बंद रहेंगे, 18 साल पहले लाठीचार्ज करके भाजपा विधायक का पैर तोड़ा था
विधानसभा में बने कटघरे में सभी 6 पुलिसकर्मियों को पेश किया। सजा सुनाए जाने के बाद उनको लॉकअप में ले जाया गया।
यूपी विधानसभा में 58 साल बाद शुक्रवार को अदालत लगी। कटघरे में 6 पुलिसकर्मी पेश हुए। विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना के दोषी इन सभी पुलिसकर्मियों को विधानसभा अध्यक्ष ने एक दिन की सजा सुनाई है। सजा 3 मार्च रात 12 बजे तक की होगी। इस दौरान सभी पुलिसकर्मियों को विधानसभा में बनी सेल के लॉकअप में रखा जाएगा। सजा पर फैसला होने के बाद मार्शल सभी पुलिसकर्मियों को सदन से लॉकअप में ले गए। इससे पहले विधानसभा में 1964 में अदालत लगी थी।
शुक्रवार को सदन में लगी अदालत के दौरान सतीश महाना ने सभी दलों के नेताओं से इस पर उनका पक्ष पूछा। ज्यादातर ने अध्यक्ष को निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया। फिर दोषी पुलिसकर्मियों को अपनी सफाई में बोलने का मौका दिया। इसमें तत्कालीन सीओ अब्दुल समद ने सदन से माफी मांगी। कहा कि ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी। इससे पहले अखिलेश से जब सदन के बाहर इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा- यह गलत परंपरा है।
2004 में कानपुर में हुआ था लाठीचार्ज
विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना का यह मामला 2004 का है। तब सपा की सरकार थी, मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे। कानपुर में बिजली कटौती के विरोध में सतीश महाना (जो अब विधानसभा अध्यक्ष हैं) धरने पर बैठे थे। उनके साथ तब के स्थानीय भाजपा विधायक सलिल विश्नोई और कार्यकर्ता थे।
प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने बीजेपी विधायक और कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया। इसमें सलिल विश्नोई का पैर टूट गया। कई भाजपा कार्यकर्ताओं को चोट आई। इसके बाद विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना की सूचना 25 अक्टूबर 2004 को विधानसभा सत्र में रखी गई थी।
7 महीने सुनवाई, 17 साल पहले ठहराए जा चुके दोषी
विधानसभा से मिली जानकारी के मुताबिक, विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना के मामले में इन सभी 6 पुलिसकर्मियों के खिलाफ साल 2004 से मई 2005 तक सुनवाई हुई। सुनवाई की प्रक्रिया पूरी होने के बाद 17 साल पहले सभी पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया जा चुका था। लेकिन 2005 के बाद से अभी तक सजा का ऐलान नहीं हुआ था।