STF ने पूछताछ के लिए बुलाया तो 'बीमार' पड़ गए VC विनय पाठक, गिरफ्तारी के डर से चल रहे अंडरग्राउंड
नियुक्तियों में फर्जीवाड़े, कमीशनखोरी व निर्माण में हुई धांधलियों समेत कई मामलों में विनय पाठक के खिलाफ मुकदमा दर्ज है। उन्हें डर है कि पूछताछ के बहाने एसटीएफ उनको गिरफ्तार कर सकती है। इसलिए वह अग्रिम जमानत पाने की कोशिश में जुटे हैं। एसटीएफ उनके मददगारों का भी पूरा ब्योरा जुटा रही है।
हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद एसटीएफ ने कानपुर विश्वविद्यालय के वीसी विनय पाठक को 18 नवंबर को पूछताछ के लिए बुलाया तो वह 'बीमार' पड़ गए। उन्होंने ई-मेल के जरिए एसटीएफ से गुजारिश की है कि वह खराब स्वास्थ्य के कारण 18 नवंबर को मुख्यालय पहुंचने में असमर्थ हैं। वह 25 नवंबर के बाद आ पाएंगे। इस पर एसटीएफ ने ई-मेल के जरिए ही पूछा है कि उन्हें क्या बीमारी है, कहां पर और किस डॉक्टर की देखरेख में इलाज चल रहा है? एसटीएफ ने पाठक से उनके अटेंडेंट के बारे में भी जानकारी मांगी है। सूत्रों की मानें तो पाठक एसटीएफ के पास जाने से पहले अग्रिम जमानत हासिल कर लेना चाहते हैं। उन्हें आशंका है पूछताछ के बाद एसटीएफ उन्हें गिरफ्तार कर सकती है।
दूसरी ओर, एसटीएफ ने पाठक के खिलाफ नियुक्तियों में फर्जीवाड़े, कमीशनखोरी व निर्माण में हुई धांधलियों को लेकर चार मामले और दर्ज करने की तैयारी कर ली है। दो से तीन दिन के अंदर ही एफआईआर दर्ज करवा दी जाएगी। साथ ही एसटीएफ उनकी गिरफ्तारी को लेकर भी विधिक औपचारिकताएं पूरी कर रही है।
पाठक के मददगारों का ब्यौरा जुटा रही एसटीएफ
अंडरग्राउंड हुए कानपुर विश्वविद्यालय के वीसी विनय पाठक की इस दौरान मदद करने वालों का एसटीएफ ब्योरा जुटा रही है। इन सभी की कॉल डिटेल खंगाली जा रही है। एसटीएफ इन लोगों को भी पूछताछ के लिए बुलाने की तैयारी में है। दरअसल एसटीएफ को जांच मिलने के बाद जांच अधिकारियों ने कई बार वीसी विनय पाठक से संपर्क करने का प्रयास किया। लेकिन वह अपना फोन स्विच आफ करके अंडरग्राउंड हैं। इस दौरान वह न ही यूनिवर्सिटी गए और न ही कोई आधिकारिक कार्य किया। उनके वकीलों की तरफ से हाई कोर्ट में एफआईआर खारिज करने की अर्जी दे दी गई। इसमें पहले 10 नवंबर और फिर 15 नवंबर की तारीखें लगीं।
मंगलवार को कोर्ट ने वीसी विनय पाठक की याचिका जैसे ही खारिज की एसटीएफ की कार्यवाही में तेजी आ गई है। एसटीएफ को इस बात की भी जानकारी मिली है कि निर्माण, नियुक्ति, एफडी व अन्य खरीद फरोख्त में कमिशन की रकम में बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग की गई है। एसटीएफ विशेषज्ञों की मदद से मनी लॉन्ड्रिंग की कड़ियां जोड़ रही है। हालांकि इस मामले में ईडी भी अपने स्तर से पड़ताल शुरू कर चुकी है। जल्द ही ईडी इस मामले में केस दर्ज कर सकती है।