बड़ी जिम्मेदारी के लिए हैं तैयार, प्रशांत कुमार का अपराध रोकने का फॉर्मूला जानिए
स्पेशल डीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने अपने पुराने दिनों को याद किया है। उन्होंने कहा कि पीएसी, सुरक्षा से लेकर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति तक में काम कर चुके हैं। बड़ी जिम्मेदारी मिलने पर उसे निभाने की भी बात करते सीनियर पुलिस अधिकारी दिख रहे हैं। ऐसे में चर्चा का बाजार गरमा गया है।
उत्तर प्रदेश पुलिस में सीनियर अधिकारी और स्पेशल डीजी लॉ एंड ऑर्डर के पद पर तैनात प्रशांत कुमार ने अपनी तमाम चुनौतियों का जिक्र किया। दरअसल, प्रदेश की विधि व्यवस्था को संभालते हुए उन्होंने तीन साल पूरे कर लिए हैं। पहले एडीजी और फिर पिछले दिनों स्पेशल डीजी के पद पर प्रोन्नत होने के बाद भी उनके पास यह जिम्मेदारी बरकरार है। तीन सालों में चार डीजीपी के साथ काम कर चुके प्रशांत कुमार बड़ी जिम्मेदारी को लेकर भी बड़ी बात कहते दिख रहे हैं। दरअसल, बड़ी जिम्मेदारी इस मायने में कि 31 मई को प्रदेश के डीजीपी की कुर्सी खाली हो रही है। यूपी सरकार ने अब तक वर्तमान डीजीपी आरके विश्वकर्मा के कार्यकाल को बढ़ाए जाने को लेकर कोई बड़ा निर्णय नहीं लिया है। ऐसे में एक बार फिर यूपी में डीजीपी की रेस शुरू हो गई है। इसमें कई नाम उठ रहे हैं। हालांकि, इस सूची में प्रशांत कुमार का नाम वरीयता सूची के आधार पर नीचे दिखता है। हमारे अखबार नवभारत टाइम्स से बातचीत में प्रशांत कुमार ने बड़ी जिम्मेदारी पर अपनी बात रखी थी।
सरकार की ओर से बड़ी जिम्मेदारी से संबंधित सवाल पर प्रशांत कुमार ने कहा कि सरकार जो भी जिम्मेदारी देगी, उसे खुशी से स्वीकार करूंगा और निष्ठा के साथ बेहतर से बेहतर परिणाम देने की कोशिश करूंगा। उन्होंने अपने पुराने कार्यकाल को भी याद किया। सीनियर आईपीएस ने कहा कि मैंने पीएसी, सुरक्षा और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भी काम किया है। यह सरकार पर निर्भर करता है कि हमसे वह कौन सा काम लेना चाहती है। यह प्रदेश की सरकार और पुलिस के मुखिया का विशेषाधिकार है। जिस अधिकारी को जो काम दिया जाए, वह करना ही होता है। अपने तीन साल के कार्यकाल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की नीयत पर बदलाव निर्भर करता है।
माफियाओं पर लगातार कार्रवाई
प्रशांत कुमार ने कहा कि प्रदेश की वर्तमान सरकार वर्ष 2017 से ही कानून व्यवस्था के मुद्दे पर प्रभावी तरीके से निपटने का प्रयास करती है। माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई लगातार हुई है। कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए माफियाओं को सजा करवाई गई। ऐसे लोगों की अवैध संपत्तियों को जब्त किया गया। एंटी माफिया टास्क फोर्स को प्रभावी बनाया गया। हर सप्ताह हमने मुख्यालय स्तर पर बड़े माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की मॉनिटरिंग की। विपक्ष के एनकाउंटर पर उठाए जाने वाले सवालों और अन्य मामलों पर प्रशांत कुमार किसी राजनीतिक टिप्पणी से बचते दिखे। उन्होंने कहा कि अपराधियों को तोड़ने के लिए सजा का कोई विकल्प नहीं है। सजा से अपराधियों और उनके करीबियों के हौसले पस्त हो जाते हैं।
हो जाते हैं एनकाउंटर
यूपी पुलिस पर एनकाउंटर के लगते आरोपों पर स्पेशल डीजी ने साफ शब्दों में कहा कि एनकाउंटर किए नहीं जाते हैं। ये हो जाते हैं। इसका कारण यह है कि कुछ अपराधी पुलिसवालों को गोली चलाने से नहीं हिचकते हैं। बिकरू कांड का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आठ-आठ पुलिसवालों को गोली मार दी गई। इससे पहले भी विकास दुबे ने थाने में राज्यमंत्री की हत्या की थी। उस पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई, सजा नहीं हुई। इस कारण बिकरू जैसी वारदात करने का दुस्साहस उसमें आया। उन्होंने कहा कि एनकाउंटर्स तो हमेशा से होती आ रही हैं।
प्रशांत कुमार ने साफ कहा कि प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई हो रही है। हम जात-धर्म देखकर एक्शन नहीं लेते हैं। पुलिस पर अपराधियों की ओर से कुछ लोग एनकाउंटर्स में भेदभाव, गलत तरीके से होने और धर्म जैसे एंगल जोड़ते हैं। पुलिस के लिए अपराधी केवल और केवल अपराधी है। अपराधी का हमारी नजर में न कोई जाति होती है। न कोई धर्म होता है।