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Tuesday, September 24, 2024
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ओबीसी आरक्षण पर हाईकोर्ट के फैसले पर बुरी फंसी बीजेपी, आगे कुआं, पीछे खाई

यूपी निकाय चुनाव में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले ने बीजेपी के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है। कोर्ट ने मौजूदा ओबीसी आरक्षण को रद्द करते हुए सरकार से बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने का आदेश दे दिया है। इस फैसले के बाद समाजवादी पार्टी ने बीजेपी पर हमला शुरू कर दिया है।

ओबीसी आरक्षण पर हाईकोर्ट के फैसले पर बुरी फंसी बीजेपी, आगे कुआं, पीछे खाई

उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट के फैसले ने राज्य का सियासी तापमान इस कंपकंपाती ठंड में बढ़ा दिया है। दरअसल, हाईकोर्ट ने राज्य में बिना ओबीसी आरक्षण के निकाय चुनाव कराने का आदेश दे दिया है। यही नहीं, कोर्ट ने कहा कि सभी ओबीसी सीटों को सामान्य माना जाएगा। राज्य की सबसे बड़ी अदालत के इस फैसले से यूपी की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) फंसती दिख रही है। समाजवादी पार्टी (एसपी) ने भगवा दल पर हमला बोल दिया है। दरअसल, बीजेपी के लिए मुसीबत कम नहीं है, ओबीसी जातियों के बल पर पार्टी ने राज्य में सत्ता हासिल की है और लोकसभा में जोरदार जीत। ऐसे में हाईकोर्ट के फैसले के कारण पार्टी के लिए आगे कुआं और पीछे खाई वाली स्थिति हो गई है। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकती है लेकिन तबतक उसे विरोधियों के लगातार हमले झेलने होंगे।

बुरी फंसी बीजेपी!
कोर्ट के इस फैसले के बाद विपक्षी दल ने बीजेपी पर हमला कर दिया है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने तो सीधे बीजेपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को निशाने पर ले लिया है। उन्होंने कहा कि मौर्य पिछड़े जरूर हैं लेकिन वह पिछड़े की हितों की रक्षा नहीं कर सकते हैं। उधर, रामगोपाल यादव ने भी बीजेपी पर हमला बोल दिया है। उन्होंने कहा कि आरक्षण खत्म करने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है और ओबीसी आरक्षण पर फैसला सरकार की साजिश का नतीजा है।

बीजेपी के लिए आगे कुआं, पीछे खाई!
बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में ओबीसी समर्थन के दम पर ही सत्ता में आई थी। 2014 में तो बीजेपी को राज्य की 80 में से 71 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं, 2017 के राज्य चुनावों में पार्टी ने 300 से ज्यादा सीटों पर कब्जा किया था। राज्य की गैर यादव ओबीसी बिरादरी ने खुलकर बीजेपी को समर्थन दिया था। हाईकोर्ट के फैसले के बाद विपक्षी दल बीजेपी को ओबीसी विरोधी साबित करने की कोशिश में जुट गए हैं। अखिलेश ने तो सीधे बीजेपी के सबसे बड़े ओबीसी नेता पर हमला बोला है। मैनपुरी लोकसभा और खतौली विधानसभा में एसपी ने बड़ी जीत दर्ज की है। इस जीत में एसपी ने बीजेपी के आधार वोट में सेंध का दावा किया है। ऐसे में बीजेपी को अब फूंक-फूंककर कदम उठाना होगा। मिशन 2024 में जुटी एसपी के लिए ये ऐसा दांव मिल गया है जिसके साथ वह बीजेपी की धार को कुंद करने की कोशिश करेगी।

क्या ओबीसी वोट बैंक में लगेगी सेंध?
एसपी के हमले के कई मायने हैं। पार्टी गैर यादव ओबीसी वोटरों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में जुटी हुई है। राज्य में करीब 35 फीसदी ओबीसी आबादी है। इसमें कु्र्मी, मौर्य, कश्यप, सैनी, साहू समेत कई ओबीसी जातियां शामिल हैं। अगर ये वोट बैंक किसी एक पार्टी के खाते में चला जाए तो कोई भी दल बड़ी जीत का दावा कर सकता है। मंडल आंदोलन के दौर में ये जातियां एसपी के साथ एकजुट थीं। हालांकि एसपी पर इस दौरान केवल यादवों को बढ़ावा देने का आरोप लगा। इन्हीं आरोपों के बीच बीजेपी इन जातियों को अपने पाले में लाने में सफल रही और राज्य में बंपर जीत दर्ज की थी। पर हाईकोर्ट का फैसला आते ही बीजेपी भी एक्टिव हो गई है। हालांकि, बीजेपी के लिए एक अच्छी बात ये है कि खुद पीएम नरेंद्र मोदी ओबीसी कम्युनिटी से आते हैं। राज्य के डेप्युटी सीएम खुद ओबीसी के प्रभावी समुदाय से आते हैं। ऐसे में पार्टी के सूत्र ये दावा कर रहे हैं कि ओबीसी वोटर पार्टी से छिटकने वाले नहीं हैं। उधर, सूत्रों ने दावा किया है कि बीजेपी इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है।

निकाय चुनाव में रिजर्व सीटों का आंकड़ा
यूपी में 762 शहरी निकाय हैं। इसमें 17 म्युनिसिपल कॉरपोरेशन, 200 नगरपालिका परिषद और 545 नगर पंचायत हैं। 762 शहरी निकाय की कुल आबादी करीब 5 करोड़ है। 17 म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में से दो सीट अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है, इसमें से एक सीट अनुसूचित जाति की महिला उम्मीदवार के लिए आरक्षित है। आगरा की मेयर सीट अनुसूचित जाति की महिला कैंडिडेट के लिए रिजर्व है जबकि झांसी की सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है। इसके अलावा 4 मेयर सीट ओबीसी के लिए रिजर्व है। अलीगढ़, मथुरा-वृंदावन की सीट ओबीसी महिला कैंडिडेट के लिए आरक्षित है। मेरठ और प्रयागराज की सीट ओबीसी कैंडिडेट के लिए रिजर्व है। अयोध्या, सहारनपुर और मुरादाबाद की मेयर सीट महिला कैंडिडेट के लिए आरक्षित है। इसके अलावा 8 बची मेयर की सीट अनारक्षित श्रेणी की हैं। इनमें फिरोजाबाद, गाजियाबाद, लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, वाराणसी, बरेली और शाहजहांपुर की सीटें शामिल हैं।

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