UP से भाजपा किन चेहरों को भेजेगी राज्यसभा, जानिये किन नामों की है चर्चा
विधानसभा में संख्याबल के हिसाब से भारतीय जनता पार्टी 7 और सपा 3 सीटों पर आसानी से जीत दर्ज करती दिख रही है। एक सीट पर मुकाबला कांटे का है। ऐसे में देखना होगा कि भाजपा कितने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करती है।
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव की राजनीति गरमा गई है। 11 सीटों पर 10 मई को होने वाले चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी ने अपने पत्ते खोल दिए हैं। विधानसभा में संख्या बल के आधार पर भारतीय जनता पार्टी 7 और समाजवादी पार्टी 3 सीटों पर आसानी से जीत दर्ज करती नजर आ रही है। एक सीट को लेकर पेंच फंसा हुआ है। अब तक सपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। पार्टी की ओर से 3 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया जा चुका है। अगर पार्टी चौथे उम्मीदवार के नाम का ऐलान करती है तो मामला वोटिंग तक जाएगा। वहीं, भाजपा ने अब तक अपने उम्मीदवारों के नाम सामने नहीं लाए हैं। चर्चा में कई नाम सामने आ रहे हैं। इसमें गोरखपुर सदर सीट से सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए उम्मीदवारी छोड़ने वाले राधामोहन दास अग्रवाल इस बार राज्यसभा का सफर करते नजर आ सकते हैं।
भारतीय जनता पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार की ओर से 8 सीटों के लिए करीब 24 नामों का पैनल केंद्रीय नेतृत्व को भेजा गया है। मतलब, एक सीट के लिए तीन-तीन नाम शामिल हैं। इनमें से किसी एक का चयन कर पार्टी इसकी घोषणा करेगी। भाजपा की ओर से उभर कर सामने आ रहे नामों में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले सीनियर नेता आरपीएन सिंह का नाम भी शामिल है। वहीं, राज्यसभा सांसद सैयद जफर इस्लाम को एक बार फिर पार्टी राज्यसभा भेज सकती है। मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को साधने में बड़ी भूमिका निभाने वाले जफर इस्लाम को पार्टी ने अमर सिंह के निधन के बाद खाली हुई सीट पर वर्ष 2020 में हुए राज्यसभा उपचुनाव के जरिए उच्च सदन में भेजा था। इनके अलावा यूपी भाजपा के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी, बाबूराम निषाद, सुरेंद्र नागर से लेकर कई सीनियर नेताओं के नामों पर चर्चा है।
सपा पहले ही तय कर चुकी है तीन नाम
समाजवादी पार्टी पहले ही तीन नामों पर मुहर लगा चुकी है। इसमें सीनियर कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल का नाम सबसे पहले आया। उनके बाद सपा ने जावेद अली खान का नाम सामने लाया। दोनों ही उम्मीदवारों ने नामांकन कर दिया है। इनके अलावा अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव में सहयोगी दल रहे राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी को भी उम्मीदवार बनाया है। सपा की ओर से पहले तीसरी सीट पर डिंपल यादव को उतारने की चर्चा थी। भाजपा छोड़कर चुनाव के ऐन पहले सपा में जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य को राज्यसभा चुनाव में कोई चर्चा नहीं मिल पाई। माना जा रहा था कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद उन्हें पार्टी की ओर से राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया जा सकता है।
क्या आखिर में खेल करेगी सपा?
सपा की ओर से चौथी सीट पर अब तक उम्मीदवार नहीं खड़ा किए जाने को लेकर दावा किया जा रहा है कि अंतिम मौके पर कोई खेल हो सकता है। 31 मई तक नामांकन की आखिरी तिथि है। नामांकन प्रक्रिया खत्म होने से पहले पार्टी किसी हेवीवेट उम्मीदवार को उतारकर भाजपा पाले से क्रॉसवोटिंग कराने का प्रयास कर सकती है। दरअसल, भाजपा ने राज्यसभा चुनाव में सहयोगी दलों को जगह नहीं दी है। ऐसे में विपक्ष की नजर अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के विधायकों को चुनाव के दौरान अपने उम्मीदवार के पक्ष में लाने की हो सकती है। हालांकि, इसकी संभावना कम ही लग रही है।
इसका कारण सपा के चौथे और भाजपा के आठवें उम्मीदवार आने की स्थिति में अगर 10 जून को चुनाव हुआ तो सपा के पाले से भी कई क्रॉस वोटिंग की शंका है। यह पार्टी की एकजुटता बनाए रखने की रणनीति के खिलाफ जाएगा। लोकसभा उप चुनाव से पहले अखिलेश इस प्रकार की किसी स्थिति को उत्पन्न नहीं होने देना चाहेंगे।