मंत्री कटोरा लेकर 40 देशों में गए, नीतियां अच्छी होतीं तो बुलाना नहीं पड़ता, योगी सरकार पर सपा का बड़ा हमला
यूपी के बजट सत्र के दौरान सदन में बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच आरोप लगाने का दौर जारी है। इस बीच सपा के निशाने पर यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट है। सपा नेता लाल बिहारी यादव ने इन्वेस्टर्स समिट को लेकर योगी सरकार पर बड़ा तंज कस दिया। उन्होंने कहा कि यहां के मंत्री कटोरा लेकर गए थे।
यूपी बजट सत्र के बीच विधान परिषद में गुरुवार को राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा शुरू हुई। सपा नेता लाल बिहारी यादव ने इन्वेस्टर्स समिट को लेकर योगी सरकार पर तंज किया। उन्होंने कहा कि अभी हमने देखा कि बड़े-बड़े उद्योगपतियों और 40 देशों में हमारे यहां के मंत्री और अधिकारी कटोरा लेकर गए थे, लेकिन कोई आया नहीं। यह प्रयास तो बीते 6 साल से हो रहे हैं और नतीजा कहीं नहीं दिख रहा। वह बोले, हम सभी स्कूलों में पढ़े हैं। जहां पर अच्छी पढ़ाई होती है, वहां के लोग एडमिशन के लिए इधर-उधर घूमते नहीं हैं। उनके यहां तो प्रतियोगिता से बच्चों का प्रवेश होता है। अगर सरकार की नीतियां अच्छी होतीं तो उद्योगपति बिना बुलाए भी आते। लाल बिहारी ने जातिगत जनगणना की भी मांग की।
सपा ने इस दरम्यान प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में जूता-मोजा, स्वेटर और स्कूल बैग की खरीद के लिए केवल 1,200 रुपये दिए जाने को नाकाफी बताते हुए कहा कि इतनी महंगाई में यह संभव नहीं है। अवैध खनन व कानपुर प्रकरण को लेकर कहा कि इससे कानून व्यवस्था के दावों की पोल खुलती है। वहीं, बसपा नेता भीम राव अम्बेडकर ने मजदूरों का मसला उठाया। वह बोले कि सरकार ने न्यूनतम मजदूरी तय करने के लिए बोर्ड तक नहीं बनाया। इससे मजदूरों को सरकारी काम में कम मजदूरी मिलती है, जबकि बाहर ज्यादा पैसे मिलते हैं। इन्वेस्टर्स समिट में जैसा शहर सजाया गया था, वह अमीरों के लिए था। कभी मजदूरों के लिए भी इस तरह सजाकर देखिए, जो चुनकर आपको सदन भेजते हैं। अम्बेडकर ने राज्यपाल के अभिभाषण में 60 से ज्यादा संशोधन के प्रस्ताव दिए।
'लैपटॉप योजना फिर शुरू की जाए'
शिक्षक एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने छात्र-छात्राओं के लिए लैपटॉप योजना फिर शुरू किए जाने का प्रस्ताव रखा। डॉ़ राज बहादुर सिंह चंदेल ने कहा कि बच्चों को माध्यमिक स्तर तक गुणवत्तापूर्ण व समान शिक्षा मिलनी चाहिए। मान्यता प्राप्त वित्तविहीन विद्यालयों में शिक्षकों व कर्मचारियों को बेहतर तनख्वाह मिलनी चाहिए। उन्होंने राजकीय विद्यालयों के शिक्षकों की रिटायरमेंट उम्र 62 साल किए जाने की बात रखी। उन्होंने कहा कि अभिभाषण में शिक्षकों के मसलों पर कोई बात नहीं है। यह सरकार शिक्षक विरोधी है।