जब केशरीनाथ त्रिपाठी के बगल में बैठने को लेकर कल्याण और जगदंबिका पाल में हो गई थी लड़ाई, यूपी विधानसभा का वो किस्सा
उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष केशरीनाथ त्रिपाठी का रविवार सुबह निधन हो गया। उनके निधन पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने शोक व्यक्त किया।
पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल और यूपी विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष पंडित केशरीनाथ त्रिपाठी का रविवार सुबह करीब पांच बजे निधन हो गया। वह 88 साल के थे। कुछ दिन पहले ही उन्हें सांस में दिक्कत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन स्वास्थ्य में सुधार होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। इसके बाद डॉक्टरों की देखरेख में घर पर ही उनका इलाज किया जा रहा था। पंडित केशरीनाथ त्रिपाठी इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता के अलावा यूपी विधानसभा अध्यक्ष भी रहे हैं। लम्बे राजनीतिक सफर के साथ ही उनके कई किस्से ऐसे रहे हैं, जो काफी चर्चाएं बटोरी थीं। ऐसा ही किस्सा आज हम आपको बताने जा रहें हैं, जिसने खूब सुर्खियां बटोरी थीं।
SC ने कम्पोजिट फ्लोर टेस्ट कराने का दिया था आदेश
दरअसल, साल 1998 की बात है। राज्यपाल रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री पद से बर्खास्त कर रातोंरात जगदंबिका पाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी थी। जगदंबिका पाल लोकतांत्रिक कांग्रेस के सदस्य थे। बीजेपी के संस्थापक सदस्य अटल बिहारी वाजपेयी की सलाह पर कल्याण सिंह की अगुवाई में बीजेपी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कम्पोजिट फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया। विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने पर इस बात पर बहस शुरू हो गई कि निर्धारित सत्तापक्ष और विपक्ष की सीटों पर किस पक्ष के विधायक बैठेंगे।
स्पीकर के दाएं-बाएं बैठे थे यूपी के दो सीएम
इसके बाद तय हुआ कि विधानसभा के स्पीकर के दाएं और बाएं तरफ एक-एक कुर्सी लगाई जाए। उस पर कल्याण सिंह और जगदंबिका पाल को बिठाकर फ्लोर टेस्ट की प्रक्रिया पूरी की जाए। फिर इस बात पर भी दोनों पक्षों में बहस शुरू हो गई कि दाएं कौन बैठेगा और बाएं कौन बैठेगा। आखिरकार तय हुआ कि स्पीकर के दाहिने साइड में कल्याण सिंह बैठे और बाएं तरफ जगदंबिका पाल। भारतीय लोकतांत्रिका व्यवस्था में यह पहला मौका था, जब किसी विधानसभा में एक ही राज्य के दो मुख्यमंत्री थे और दोनों स्पीकर के दाएं-बाएं बैठे थे। इसके बाद सदन की कार्यवाही शुरू हुई और कम्पोजिट फ्लोर टेस्ट में कल्याण सिंह की जीत हुई। वहीं, जगदंबिका पाल की हार हुई थी।
प्रयागराज में हुआ था जन्म
पंडित केशरीनाथ त्रिपाठी का जन्म 10 नवम्बर 1934 को प्रयागराज में हुआ था। वह अपने पिता की सात संतानों में चार बेटियों और तीन बेटों में सबसे छोटे थे। घर में इन्हें ‘भईया’ के नाम से बुलाया जाता था। जानकारी के मुताबिक, साहित्य की काव्यधारा में भी दखल रखने वाले केशरीनाथ त्रिपाठी के पूर्वज मूल निवासी ग्राम पीड़ी सलेमपुर के थे। त्रिपाठी को प्रारंभिक शिक्षा दिलाने के लिए सेंट्रल हिंदू स्कूल में प्रवेश दिलाया गया था। इसके बाद कक्षा दो से आठवीं तक की पढ़ाई के लिए उनका प्रवेश सरयूपारीण स्कूल में करा दिया गया। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट करने के बाद साल 1953 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उन्होंने बीए पूरा किया और 1955 में वहीं से एलएलबी की पढ़ाई की।