लखनऊ: बुर्के में स्विगी का बैग टांगे चल रही ये महिला कौन? पढ़िए यह खास रिपोर्ट
इन दिनों स्विगी के बैग में एक महिला की फोटो खूब वायरल हो रही है। वहीं, जब मीडिया ने स्विगी ऑफिस से पता किया तो पता चला कि महिला डिलीवरी का काम नहीं करती है।
अगर आपके इरादे पक्के हों तो कोई भी मंजिल दूर नहीं है। इरादा और हौसला बरकार हो तो कोई काम छोटा नहीं होता है। यूं तो बहुत सारे लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहें हैं, लेकिन आज हम आपको जिस महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, उसने जन्म से ही गरीबी में पली बड़ी, शायद यही वजह रही, उसने छोटी उम्र से काम शुरू किया, लेकिन बीते दिनों जब उसकी फोटो वायरल हुई तो लोगों ने उसकी खूब सराहना की। गरीब परिवार में जन्मी रिजवाना अभी भी संघर्ष भरी जिंदगी जीकर अपने परिवार का पेट पाल रहीं हैं। पढ़िए 5- 6 हजार रुपये महीने में कमाने वाली रिजवाना की संघर्षभरी कहानी।
पैदल करती हैं सेल्समैनी
हम बात कर रहें हैं लखनऊ में स्विगी (Swiggy) का बैग कंधे पर लिए पैदल डिलीवरी करने वाली महिला की, जो बहुत ही गरीब परिवार से हैं। वह लगातार आर्थिक तंगी की मार को झेल रही हैं। रिजवाना लखनऊ में जगतनारायण रोड चौक में बसी जनता नगरी कालोनी में एक छोटे से कमरे में अपने तीन बच्चों के साथ रह रही हैं। घर की आर्थिक तंगी की वजह से रिजवाना दोना, पत्तल की सेल्स मैनी करती हैं। इसके अलावा अगर झाड़ू-पोझा भी कुछ घरों में करती हैं। रिजवाना इन दिनों सिर्फ अपनी मेहनत और हौसले की वजह से छाई हैं। वहीं, अब सोशल मीडिया से लोग उनकी आर्थिक सहायता भी करने लगे हैं।
तीन बार आवास के लिए आवेदन किया, लेकिन नहीं मिला - रिजवाना
रिजवाना ने बताया कि उनका घर बहुत ही छोटा है, वो अपने तीन बच्चों के साथ जीवन गुजारती हैं। वहीं, इससे पहले तीन बार सरकारी आवास के लिए आवेदन किया, लेकिन कभी आवास नहीं मिला। मीडिया ने सवाल किया कि क्या अब आपको सरकार से कोई उम्मीद हैं तो जवाब देते हुए कहा कि अल्लाह की मर्जी होगी तो शायद मिल जाए, क्योंकि इससे पहले तो उन्हें कोई सरकारी सुविधा नहीं है। अपने परिवार का पेट पालने के लिए सुबह और शाम में घरों में बर्तन और झाड़ू पोछा का काम भी करती हूं। इससे 1500 मिल जाते हैं। दोपहर में मैं डिस्पोजेबल ग्लास और कपे बेंचने बाजार में छोटी-छोटी दुकानों और ठेलों पर फेरी वाला काम करती हूं।
50 रुपये का खरीदा था बैग
रिजवाना ने बताया कि मेरी शादी लगभग 23 साल पहले हुई थी। शादी के कुछ दिन बाद से ही काम करना शुरू कर दिया था, क्योंकि घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, जिससे चलते काम शुरू कर दिया, लेकिन पहले जो काम करते थे। उसमें इतने पैसे भी नहीं मिलते थे, जिससे की गुजारा हो सके, इसलिए दोना, पत्तल का काम खुद शुरू किया। रिजवाना दिन में इस काम के वापस आने पर बच्चों को पढ़ाती भी हैं। रिजवाना ने सिर्फ 5वीं तक शिक्षा हासिल की हैं। पति के शौक और लत की वजह से उन्होंने ने घर के खर्च में साथ नहीं दिया। उन्होंने बताया कि जिस बैग से साथ मेरी फोटो शेयर की है वो मैने डालीगंज से 50 रुपये का खरीदा था, क्यूंकि ये मजबूत है और इसमें सामान रख कर पैदल चलने में भी आसानी होती है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी तस्वीर
बीते कई दिनों से सोशल मीडिया पर स्विगी का बैग लिए नकाब पहने हुई महिला की तस्वीर जमकर वायरल हुई। इस तस्वीर को डालीगंज क्षेत्र में नदवा कालेज जाने वाली ढलान पर एक शख्स द्वारा खींचकर डाली गई थी। यह फोटो जैसे लोगों ने देखी तो उनके होश उड़ गए। हालांकि, फोटो को शेयर कर स्वीगी में महिला द्वारा काम किए जाने का दावा किया गया था। महिला की तस्वीर और उसके काम की जमकर तारीफ हो रही है। सोशल मीडिया पर वायरल हुई इस तस्वीर के बाद महिला की तलाश शुरू हो गई। लखनऊ स्थित स्विगी कार्यालय में इस संबंध में मीडिया की टीम गई। जहां पता चला कि यहां पर महिलाएं फूड डिलीवरी का काम ही नहीं करती है।