मणिपुर: महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने के मामले में एक आरोपी गिरफ्तार -CM बीरेन सिंह
मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाने के मामले में पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। इस मामले में गृहमंत्री अमित शाह ने भी मुख्यमंत्री से बातचीत की है।
मणिपुर में एक समुदाय विशेष की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाने के मामले में पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। खुद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने ने बताया कि आज सुबह एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है। वहीं इस मामले में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी मुख्यमंत्री से बात की है।
ये है पूरा मामला
वायरल वीडियो मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के एक दिन बाद यानी 4 मई को कांगपोकपी जिले का बताया जा रहा है। वायरल वीडियो में एक समुदाय विशेष के पुरुषों की भीड़ हैवान बनकर दूसरे समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाती दिख रही है।
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने ट्वीट किया, "कल वायरल हुए वीडियो में जिन दो महिलाओं के साथ ये बेहद अपमानजनक और अमानवीय कृत्य हुआ है, उनके प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। वीडियो सामने आने के तुरंत बाद घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए मणिपुर पुलिस हरकत में आई और आज सुबह पहली गिरफ्तारी की।"
इसके साथ ही सीएम ने कहा कि, "फिलहाल गहन जांच चल रही है और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, जिसमें मृत्युदंड की संभावना पर भी विचार किया जाएगा। बता दें, हमारे समाज में ऐसे घिनौने कृत्यों के लिए बिल्कुल भी जगह नहीं है।"
चीफ जस्टिस ने कहा की 'सरकार कार्रवाई करे, नहीं तो हम करेंगे'
वहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि मणिपुर में महिलाओं के साथ जो हुआ वह अस्वीकार्य है। सरकार इस पर तुरंत कार्रवाई करे। अगर सरकार इस पर कार्रवाई नहीं करती है तो हम कार्रवाई करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है की...
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अब समय आ गया है कि सरकार वास्तव में कदम उठाए और कार्रवाई करे। संवैधानिक लोकतंत्र में यह बिल्कुल अस्वीकार्य है। यह बहुत परेशान करने वाला है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और मणिपुर सरकार से ये बताने को कहा कि अपराधियों को सजा दिलाने के लिए उन्होंने क्या कार्रवाई की है। मीडिया में दिखाई देने वाले दृश्यों के बारे में जो दिखाया गया है वह गंभीर संवैधानिक उल्लंघन और महिलाओं को हिंसा के साधन के रूप में उपयोग करके मानव जीवन का उल्लंघन दर्शाता है, जो संवैधानिक लोकतंत्र के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि केंद्र और राज्य सरकार उनके द्वारा उठाए गए कदमों से अदालत को अवगत कराए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 28 जुलाई की तारीख तय की है।
वहीं राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस मामले की निंदा करते हुए स्वतः संज्ञान लिया है। आयोग ने मणिपुर के डीजीपी को त्वरित कार्रवाई करने को कहा है।
केंद्र का सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को निर्देश
समाचार एजेंसी ANI ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि, "सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए भारतीय कानूनों का पालन करना अनिवार्य है क्योंकि मामले की अभी जांच चल रही है।"
सियासी पारा बढ़ा
प्रधानमंत्री मोदी ने इस घटना की निंदा की है। उन्होंने सदन के मॉनसून सत्र से पहले प्रेस से मुखातिब होकर कहा, "मणिपुर में जो हुआ है वो बेहद शर्मनाक है। ये पूरे देश को शर्मसार करने जैसा है। मणिपुर की घटना शर्मिंदा करने वाली है, मेरा दिल पीड़ा और क्रोध से भरा हुआ है।"
हालांकि, विपक्ष इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर है। राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा, "मणिपुर की घटना को लेकर प्रधानमंत्री ने चुप्पी तोड़ी जो अच्छी बात है लेकिन मणिपुर में अब तक जो हुआ, जो लूट मची, मणिपुर जल रहा था, इतनी बर्बरता हुई थी तब प्रधानमंत्री ने चुप्पी क्यों साधी हुई थी? गृह मंत्री चुप क्यों थे?"
वहीं AIMIM प्रमुख असदुद्दीन औवेसी ने कहा कि "प्रधानमंत्री को 2 महीने के बाद ख्याल आया कि वहां कूकी समुदाय के लोगों का नरसंहार हो रहा है। उन्होंने मजबूरी में प्रतिक्रिया दी है, क्योंकि वीडियो पूरी दुनिया में वायरल हो रहा है कि किस प्रकार से वहां महिलाओं को पुलिस की गिरफ्त से निकाल कर उनके साथ बर्बरता की गई।"