मेरठ: मेट्रो से जुड़ी बड़ी खुशखबरी आ गई सामने, इंतजार होने वाला है पूरा- होने जा रही यह शुरूआत
बता दें कि मेरठ के भीतर आरआरटीएस और मेट्रो दोनों सेवाओं को निर्बाध रूप से एक साथ संचालन करेगा। ट्रेनसेट निर्माण के लिए मेसर्स एल्सटाम को अनुबंध दिया गया था जिसके तहत मेरठ मेट्रो के लिए तीन कोच वाले 10 ट्रेनसेट की डिलिवरी करेंगे। 15 साल की अवधि के लिए इनका रखरखाव भी एल्सटाम कंपनी करेगी।
खुशखबर यह है कि मेरठ मेट्रो का सपना अब साकार होता दिखाई दे रहा है। शुक्रवार को इसकी पहली झलक सामने आई है। यही नहीं, तीन कोच वाली ट्रेन का पहला सेट राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटी) को सौंप दिया गया है। एक सप्ताह में यह ट्रेन सेट गाजियाबाद स्थित दुहाई डिपो पहुंच जाएगा। वहीं इसका ट्रायल भी तत्काल शुरू कर दिया जाएगा।
23 किलोमीटर लंबा है कॉरिडोर
उम्मीद है कि मेट्रो के कुल 23 किमी लंबे कारिडोर के कुछ हिस्से पर इसी साल यात्रियों के लिए सेवा शुरू की जा सकती है। हालांकि निर्धारित लक्ष्य मार्च 2025 है। गुजरात के सावली स्थित एल्सटाम कंपनी के निर्माण प्लांट में मेरठ मेट्रो के ट्रेन सेट तैयार हो रहे हैं।
वहां प्लांट परिसर में एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह ने उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव नितिन रमेश गोकर्ण, परियोजना निदेशक अनिल कुमार सिंगारिया, निदेशक इलेक्ट्रिकल एवं रोलिंग स्टाक महेंद्र कुमार, निदेशक सिस्टम एवं आपरेशंस नवनीत कौशिक, निदेशक वित्त नमिता मेहरोत्रा, निर्माता कार्यदायी कंपनी एल्सटाम के प्रबंध निदेशक ओलिवियर लोइसन की उपस्थिति में बटन दबाकर अनावरण किया।
इसके बाद एल्सटाम के प्रबंध निदेशक ने एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक को औपचारिक रूप से मेरठ मेट्रो ट्रेनसेट की चाबियां सौंपी। इसके बाद ट्रेनसेट डिलीवरी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पहला ट्रेनसेट जल्द ही एनसीआरटीसी के दुहाई डिपो लाया जाएगा।
मेरठ को मेट्रो समर्पित करेंगे मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अगले महीने यानी मार्च में भूड़बराल से साहिबाबाद तक की यात्रा के लिए नमो भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखा सकते हैं। इसी में वह मेरठ मेट्रो को भी मेरठ को समर्पित करेंगे। उसी दौरान वह भूड़बराल से शताब्दीनगर स्टेशन तक नमो भारत व मेरठ मेट्रो के ट्रायल के लिए भी हरी झंडी दिखा सकते हैं।
आधुनिक प्रणाली से एक ही ट्रैक पर दौड़ेंगी दो ट्रेनें
आरआरटीएस की नमो भारत ट्रेन और एमआरटीएस (मास रैपिड ट्रांसिट सिस्टम) की मेरठ मेट्रो दो अलग-अलग प्रणालियों की ट्रेनों हैं लेकिन अत्याधुनिक तकनीक के उपयोग करने से एक ही ट्रैक पर दोनों ट्रेनों का संचालन होगा। एनसीआरटीसी ने वैश्विक रेल परिवहन की दुनिया में एक अग्रणी प्रयास को चिह्नित करते हुए लांग टर्म इवोल्यूशन (एलटीई) पर हाइब्रिड लेवल-थ्री के साथ यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली (ईटीसीएस) लेवल-टू सिग्नलिंग लागू की है।
यह मेरठ के भीतर आरआरटीएस और मेट्रो दोनों सेवाओं को निर्बाध रूप से एक साथ संचालन करेगा। ट्रेनसेट निर्माण के लिए मेसर्स एल्सटाम को अनुबंध दिया गया था, जिसके तहत मेरठ मेट्रो के लिए तीन कोच वाले 10 ट्रेनसेट की डिलिवरी करेंगे।
15 साल की अवधि के लिए इनका रखरखाव भी एल्सटाम कंपनी करेगी। ये ट्रेनसेट ऊर्जा की बचत करने में सक्षम होंगे। ये पुनर्योजी ब्रेकिंग सिस्टम से युक्त होंगे। इसमें स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी), स्वचालित ट्रेन नियंत्रण (एटीसी) और स्वचालित ट्रेन संचालन (एटीओ) प्रणाली भी रहेगी। इन मेट्रो ट्रेन की अधिकतम परिचालन गति 120 किमी प्रति घंटा है।