Azam Khan: जाने किस गलती ने आजम खां की सियासी पृष्ठभूमि को कर दिया बर्बाद...
सपा के कद्दावर नेता व 40 सालों तक एकछत्र साम्राज्य चलाने वाले आजम खां का सियासी करियर एक गलती ने तबाह कर दिया। उनका सियासी रुतबा और रसूख भी उनके किले को नहीं बचा सका। फायर ब्रांड नेता होने के साथ ही समाजवादी का मुस्लिम चेहरा भी रहे। रामपुर शहर से 10 बार विधायक चुने गए। साल 2019 में लोकसभा सदस्य भी बने। अब उन्हें सपरिवार जेल जाना पड़ा।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां ने एक ऐसी गलती कर दी, जिसकी वजह से उनका सियासी करियर ही तबाह हो गया। वह पेशे से वकील हैं, फिर भी बेटे को कम उम्र में चुनाव लड़ा बैठे। इससे उनके विरोधियों को सबूत मिल गए और फिर एक के बाद एक मुकदमे दर्ज कराते गए। अब अब्दुल्ला के दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में आजम खां के साथ ही उनकी पत्नी और बेटे को भी सात साल की सजा मिली है।
रामपुर की सियासत में आजम खां का 40 साल तक दबदबा रहा। वह फायर ब्रांड नेता होने के साथ ही समाजवादी का मुस्लिम चेहरा भी रहे। रामपुर शहर से 10 बार विधायक चुने गए। साल 2019 में लोकसभा सदस्य भी बने। इससे पहले वह राज्यसभा सदस्य और प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष भी रहे। प्रदेश में जब भी सपा की सरकार बनी, तब वह कई-कई विभागों के मंत्री रहे। सपा सरकार में उनकी तूती बोलती थी। उनके आगे पीछे अफसरों की लाइन लगी रहती थी। 95 पुलिस वाले उनकी सुरक्षा में थे।
बड़े-बड़े अफसर उनके सामने बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे। अफसरों पर गुर्राना उनकी आदत में शुमार था। साल 2005 में नगर विकास मंत्री रहते तत्कालीन नगर मजिस्ट्रेट नवाब अली खां को इतनी बुरी तरह हड़काया कि वह बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़े। उन्हें होश में लाने के लिए मुंह पर पानी छिड़कना पड़ा। ऐसे हालात में कोई भी उन्हें सही और गलत बताने की जुर्रत नहीं कर पाता था।
इसी कारण वह मनमाने फैसले लेते रहे। बेटे को भी उन्होंने कम उम्र में ही चुनाव लड़ा दिया। उनके छोटे बेटे अब्दुल्ला आजम साल 2017 में पहली बार स्वार टांडा से सपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़े। तब उनके मुकाबले चुनाव लड़ रहे पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने नामांकन के दौरान ही आपत्ति दाखिल की थी कि अब्दुल्ला की उम्र चुनाव लड़ने की योग्य नहीं है। इसलिए उनका पर्चा खारिज कर दिया जाए, लेकिन उनके पास उम्र कम होने का कोई सबूत नहीं था। इस करण अब्दुल्ला का पर्चा खारिज नहीं हो सका।
हाई कोर्ट ने रद्द कर दी थी विधायकी
चुनाव के बाद नवेद मियां ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने अब्दुल्ला की हाई स्कूल की मार्कशीट की कापी भी ले ली, जिसमें उनकी उम्र एक जनवरी 1993 दर्ज थी। इसके हिसाब से साल 2017 में चुनाव के समय अब्दुल्ला की उम्र 25 साल पूरी नहीं थी, बल्कि 11 महीने कम थी। फिर भी वह चुनाव लड़ गए। उन्होंने 30 सितंबर 1990 को लखनऊ के अस्पताल में पैदा होना दर्शाते हुए दूसरा जन्म प्रमाण पत्र बनवा लिया।
इस तरह उन्होंने एक जन्म प्रमाण पत्र रामपुर नगर पालिका से बनवाया तो दूसरा लखनऊ से। तमाम शैक्षिक प्रमाण पत्रों में अब्दुल्ला की जन्म तिथि एक जनवरी 1993 लिखी गई। हाई कोर्ट ने कम उम्र में चुनाव लड़ने के आरोप में उनकी विधायकी भी रद्द कर दी। इसे लेकर वह सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिल सकी।
आकाश सक्सेना ने बिगाड़ दिया खेल
आजम खां के धुरविरोधी शहर विधायक आकाश सक्सेना हनी ने अब्दुल्ला के दो जन्म प्रमाण पत्र को लेकर आजम खां, उनकी पत्नी डा. तजीन फात्मा और बेटे अब्दुल्ला के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया। इसी मामले में कोर्ट ने तीनों को सात साल की सजा सुनाई। दरअसल अब्दुल्ला का जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आजम खां और उनकी पत्नी ने ही शपथ पत्र दिया था।
आकाश सक्सेना ने दो जन्म प्रमाण पत्र के अलावा अब्दुल्ला के दो पासपोर्ट और दो पैन कार्ड के मामले में भी रिपोर्ट दर्ज कराई। ये दोनों मुकदमे भी कोर्ट में विचाराधीन हैं। अब्दुल्ला ने अपने पैन कार्ड और पासपोर्ट में पहले एक जनवरी 1993 जन्म तिथि दर्ज कराई थी, लेकिन बाद में संशोधित कराकर दूसरा पैन कार्ड और पासपोर्ट बनवाया, जिसमें जन्मतिथि 30 सितंबर 1990 दर्ज कराई।
आजम खां के परिवार के खिलाफ मुकदमों की शुरुआत यहीं से हुई। आकाश सक्सेना ने पहला मुकदमा तीन जनवरी 2019 में दर्ज कराया। बाद में तमाम लोग शिकायत लेकर आते रहे। किसी ने घर तोड़ने का तो किसी ने जमीन कब्जाने का मुकदमा दर्ज कराया। इस तरह उनके खिलाफ जीवनभर में 108 मुकदमे दर्ज हो गए। इनमें 84 मुकदमे अब भी विचाराधीन है। अब तक उन्हें चार मुकदमों में सजा हो चुकी है।
इनमें एक मामला मुरादाबाद की अदालत से जुड़ा है तो दो मामले रामपुर में ही चुनाव आचार संहिता और भड़काऊ भाषण देने से संबंधित हैं। सजा के कारण पिछले साल ही उनकी विधायकी चली गई थी और फिर विधानसभा चुनाव में भाजपा के आकाश सक्सेना विधायक बन गए। रामपुर शहर में भाजपा पहली बार चुनाव जीती। पहली बार ही यहां हिंदू विधायक चुना गया।
सजा से बचने के लिए हर हथकंडा अपनाते रहे आजम
दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में सजा से बचने के लिए आजम खां हर हथकंडा अपनाते रहे। मुकदमे को दूसरी अदालत में स्थानांतरित कराने के लिए भी उन्होंने पूरी भाग दौड़ की। पहले हाई कोर्ट गए और फिर सुप्रीम कोर्ट। लेकिन, कहीं से कोई राहत नहीं मिल सकी। आखिर उन्हें सजा मिल गई।
एक हजार पुलिस वाले ढूढ़ रहे थे आजम की भैंसें
सपा शासन काल में आजम खां की सनक और हनक ऐसी थी कि उनकी भैंसें चोरी होने पर एक हजार पुलिस वाले कड़ाके की ठंड में रातभर जंगल में कांबिंग करते रहे और अगले दिन ही भैंसें बरामद कर ली थीं। जिले के तमाम उप जिलाधिकारी, तहसीलदार, कानूनगो, लेखपाल और ग्राम पंचायत अधिकारी भी भैंसें खोजने में लगे हुए थे।