उत्तर-प्रदेश: 'यह जानकर दुख हुआ...' NCP ने स्मृति ईरानी की चुप्पी पर उठाया सवाल
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक महिला शिक्षक कथित तौर पर अपने छात्रों से अल्पसंख्यक समुदाय के एक लड़के को थप्पड़ मारने के लिए कह रही है। इस मामले के सामने आने के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया है। शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने मामले में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की चुप्पी पर सवाल उठाया है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट ने शनिवार को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरपुर में हुई एक घटना को लेकर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की चुप्पी पर सवाल उठाया। ईरानी के पास महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, मुजफ्फरनगर में एक निजी स्कूल की महिला शिक्षक ने कक्षा दो के छात्रों से अल्पंसख्यक समुदाय के छात्र को थप्पड़ मारने के लिए कहा था। इस घटना का वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें शिक्षक को समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए सुना जा सकता है। इस घटना से देशभर में आक्रोश फैल गया है। एनसीपी ने शिक्षक के खिलाफ कड़ी सजा की मांग की, ताकि बच्चों के खिलाफ ऐसे अपराध दोबारा न हों।
'बच्चे के साथ इस तरह का व्यवहार करना एक अपराध है'
एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने एक बयान में कहा, "किसी बच्चे के साथ इस तरह का व्यवहार करना एक अपराध है, जिसके लिए कड़ी सजा दी जानी चाहिए। शिक्षक का यह कृत्य उस बच्चे के जीवन को खराब कर देगा और उन बच्चों के दिमाग को दूषित कर देगा, जिन्हें मारने के लिए मजबूर किया गया था।"
'ईरानी अपने मंत्रालयों से संबंधित मुद्दों पर चुप क्यों हैं?'
क्रैस्टो ने इस घटना को 'घृणित' और 'कट्टर कृत्य' करार देते हुए कहा कि जानकर दुख हुआ कि हमारी महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, जो अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री भी हैं, ने इस पर कुछ नहीं बोला है। मुद्दा अभी भी है, इस तथ्य के बावजूद कि यह मुद्दा सीधे उनके दोनों मंत्रालयों से संबंधित है। उन्होंने पूछा कि ईरानी अपने मंत्रालयों से संबंधित मुद्दों पर चुप क्यों हैं।
'मामले में की जानी चाहिए कड़ी कार्रवाई'
एनसीपी प्रवक्ता ने कहा कि यूपी के मुजफ्फरनगर में इस शिक्षक द्वारा किए गए कृत्य को केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा गंभीरता से लिया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी कार्रवाई और सजा का एक उदाहरण स्थापित किया जाना चाहिए कि ऐसे लोग बच्चों के खिलाफ अपराध न करें।