रामपुर के बाद आज़म खान अपने बेटे का किला भी नहीं बचा सके बेटे की स्वार सीट पर भाजपा गठबंधन की जीत
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों के साथ ही आज विधानसभा और लोकसभा उपचुनाव के परिणाम भी घोषित किए जाएंगे। इन सीटों में जालंधर लोकसभा सीट स्वार टांडा सोहियोंग और झारसुगुड़ा विधानसभा सीट शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में रामपुर की स्वार टांडा सीट से अपना दल के शफीक अंसारी की जीत हो गई है। बीजेपी गठबंधन से अपना दल के शफीक अंसारी ने समाजवादी पार्टी की अनुराधा चौहान को 9734 वोट के अंतर से हरा दिया है। इस चुनाव में अपना दल के शफीक को 67434 वोट मिले और अनुराधा को 57710 वोट हासिल हुए। इसी जीत के साथ भाजपा गठबंधन ने आजम खान का मजबूत किला ध्वस्त कर दिया है।
आजम खान द्वारा अपने बेटे की सीट को बचाने के लिए खेला गया हिंदू कार्ड भी उपचुनाव में विफल हो गया। स्वार की जनता ने आजम परिवार को छोड़ इस बार अनुप्रिया पटेल ने अपना दल (एस) पार्टी को जिताया। आपको बताते चले की अनुप्रिया केंद्र सरकार में वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री हैं। बीजेपी से गठबंधन के बाद स्वार सीट अपना दल (एस) के हिस्से में आई थी। इस सीट पर फतह हासिल करके आजम के आखिरी किले को भी ध्वस्त कर दिया है।
क्या आजम का सियासी खेल हो जाएगा खत्म
अब कह सकते हैं कि राज्य की सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने आजम खान का सियासी खेल पूरी तरह से खत्म कर दिया है। इससे पहले रामपुर लोकसभा सीट के बाद विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा कमल खिलाने में कामयाब रही थी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सूबे में यह आजम के सियासी युग का अंत है? आपको बता दे की, उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही आजम खान की मुश्किलें ऐसी बढ़ीं कि उन्हें जेल और अदालतों के चक्कर ही नहीं लगाने पड़े, बल्कि अपनी विधानसभा सदस्यता भी गंवानी पड़ गई है। हेट स्पीच मामले में आजम खान को कोर्ट ने 3 साल की सजा सुनाई, इसके बाद उनकी विधायकी रद्द कर दी गई। इसके बाद रामपुर विधानसभा सीट पर चुनाव कराया गया जिसमें वह अपने उम्मीदवार को जीत नहीं दिला सके। रामपुर में बीजेपी के आकाश सक्सेना ने 34 हजार मतों से जीत दर्ज की थी।
आजम खान को पहला झटका मिला रामपुर
आपको बता दें कि रामपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में 131116 वोट पड़े थे। इसमें बीजेपी प्रत्याशी आकाश सक्सेना को 81371 वोट मिले, जबकि सपा उम्मीदवार आसिम रजा को 47271 वोट मिले हैं। इस तरह से आकाश सक्सेना 34136 वोटों ने जीत हासिल करने में कामयाब रहे। इसी के साथ मुस्लिम बहुल रामपुर विधानसभा सीट पर पहली बार BJP ने कमल खिलाया और पहली बार हिंदू समुदाय की विधायक भी बना दिया। आजम खान और सपा की मुस्लिम सियासत के लिए रामपुर की हार किसी बड़े झटके से कम नहीं थी।
आजम खान के बुरे दिन 2017 के बाद शुरू हुए
यूपी की सियासत में 2017 में बाद फेरबदल हुआ। भाजपा सत्ता में आई और योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही आजम खान पर संकट के बदल मंडराने लगे। एक के बाद एक मुकदमे उनके खिलाफ कायम होते चले गए, जिसमें कुछ मामले में वो बरी हो गए हैं, लेकिन 2019 के हेट स्पीच मामले में तीन साल की सजा हो गई। अदालत से सजायाफ्ता होने के चलते आजम खान खुद तो चुनाव नहीं ही लड़ सकते थे, उनसे वोट डालने का आधिकार भी छिन गया। इस तरह से विपरीत परिस्थितियों में आजम खां खुद की न तो सियासत बचा पाए और न ही रामपुर के दुर्ग को सुरक्षित रख पाए।
9 साल चुनाव नहीं लड़ पाएंगे आजम खान
आजम खां को हेट स्पीच मामले में तीन साल की अदालत से सजा मिल चुकी है, जिसके चलते वो अब 9 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। आजम खान न तो 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ पाएंगे और न ही 2027 का विधानसभा चुनाव। सब ठीक रहा तो वह 2031 में चुनाव लड़ पाएंगे। आजम खान 74 साल के हो चुके हैं और 2031 में 83 साल के हो जाएंगे। इस तरह अगले 9 सालों में सियासत भी काफी बदल जाएगी। आजम उम्र के साथ-साथ तमाम बीमारियों से जूझ रहे हैं। इस तरह से आजम की सियासी सफर का यह अंत ही माना जा रहा है।