केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अपील के बाद मणिपुर में उपद्रवियों ने 144 हथियार और 11 मैगजीन किए सरेंडर
अमित शाह ने 1 जून को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि जो लोग हथियार सरेंडर नहीं करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके 24 घंटे बाद ही इतनी बड़ी संख्या में उपद्रवियों ने सरेंडर किया है। उधर, राज्य के 5 जिलों से कर्फ्यू हटा लिया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अपील के बाद मणिपुर में उपद्रवियों ने 144 हथियार और 11 मैगजीन सरेंडर किए हैं। इनमें SLR 29, कार्बाइन, AK, इंसास राइफल, इंसास LMG, M16 राइफल जैसी हाईटेक राइफल्स और ग्रेनेड भी शामिल हैं। मणिपुर सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इंफाल ईस्ट में 102 हथियार और गोलाबारूद मिले हैं। टेंग्नौपाल जिले में 35 हथियार सरेंडर किए गए हैं, जिसमें से 18 सिर्फ मोरे में हुए हैं। इंफाल वेस्ट से 2 हथियार, थौबल से 5 हथियार सरेंडर किए गए हैं। पुलिस के मुताबिक ज्यादातर जिलों में स्थिति सामान्य है। राज्य में 3 मई को हिंसा भड़की थी। इसके बाद सुरक्षाबलों के करीब 2 हजार हथियार लूटे गए थे।
महीने भर बाद भी जब राज्य में हिंसा नहीं थमी तो गृह मंत्री अमित शाह 29 मई को चार दिन के दौरे पर मणिपुर पहुंचे। गुरुवार को शाह ने मणिपुर में लोगों से कहा था कि अफवाहों पर ध्यान न दें। हथियार रखने वालों को पुलिस के सामने सरेंडर करना होगा।
शाह ने कहा कि 2 जून से सर्च ऑपरेशन शुरू होगा। अगर किसी के पास हथियार मिले तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके 24 घंटे बाद ही इतनी बड़ी संख्या में उपद्रवियों ने सरेंडर किया है। उधर, राज्य के 5 जिलों से कर्फ्यू हटा लिया गया है।
4 दिन मणिपुर में रहे अमित शाह
3 मई से जारी हिंसा के बीच गृह मंत्री अमित शाह पहली बार राज्य के दौरे पर गए थे। वे 29 मई से 1 जून यानी 4 दिनों तक यहां रहे। उनके साथ केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और इंटेलिजेंस ब्यूरो के चीफ तपन डेका भी मौजूद थे। शाह ने 4 दिन के दौरे में कई फैसले लिए। इनमें राज्य के DGP को हटाना सबसे बड़ा फैसला था।
शाह के 4 दिन के दौरे में क्या-क्या हुआ
- DGP हटाए गए, हथियार रखने वालों को सरेंडर करना होगा
1 जून की शाम अमित शाह के दिल्ली लौटने से पहले राज्य के DGP पी. डोंगल को हटा दिया गया। उनकी जगह राजीव सिंह को राज्य पुलिस की कमान सौंपी गई। शाह ने इसी दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस की और लोगों से हिंसा छोड़कर राज्य में शांति कायम करने की अपील की।
शाह ने मणिपुर के लोगों से कहा कि अफवाहों पर ध्यान न दें। हथियार रखने वालों को पुलिस के सामने सरेंडर करना होगा। 2 जून से सर्च ऑपरेशन शुरू होगा। अगर किसी के पास हथियार मिले तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। शाह ने आगे कहा कि मणिपुर की गवर्नर की अध्यक्षता में शांति समिति बनाई जाएगी।
हिंसा की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से कराने की घोषणाशाह ने हिंसा की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से कराने के लिए एक कमेटी बनाने और हिंसा से जुड़े 6 मामलों की जांच CBI से कराने की घोषणा की। शाह ने कहा- मणिपुर हाईकोर्ट के एक जल्दबाजी भरे फैसले की वजह से यहां हिंसा हुई है। दरअसल, 29 अप्रैल को हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को एसटी में शामिल करने पर विचार करने के आदेश जारी किए थे। इसके बाद 3 मई को प्रदर्शन हुए और हिंसा शुरू हो गई।
- राहत शिविर गए, कूकी और मैतेई समुदाय के लोगों से मिले
31 मई को शाह ने इंफाल में एक राहत शिविर का दौरा किया। यहां मैतेई समुदाय के लोग रह रहे हैं। उन्होंने लोगों से कहा कि मणिपुर में जल्द शांति बहाल होगी। जल्द की लोगों की घरों में वापसी सुनिश्चित की जाएगी। शाह ने कुकी समुदाय के संगठनों के साथ भी बैठक की थी। उन्होंने अधिकारियों से कहा था कि मणिपुर की शांति सर्वोच्च प्राथमिकता है। शांति बहाली के लिए जल्द से जल्द कदम उठाए जाएं।
- हिंसा में मारे गए लोगों को 10 लाख और स्पेशन पैकेज की घोषणा
30 मई यानी मंगलवार सुबह अमित शाह ने सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों और बुद्धिजीवियों के साथ अलग-अलग बैठकें की। शाह ने कहा, हिंसा में मारे गए लोगों को 5 लाख मणिपुर सरकार और 5 लाख केंद्र सरकार देगी। वहीं, हिंसा में घायल लोगों और जिनकी प्रॉपर्टी का नुकसान हुआ है उनके लिए कल गृह मंत्रालय राहत पैकेज जारी करेगा। उन्होंने राज्य में राशन और तेल जैसी जरूरी चीजों की सप्लाई को बेहतर करने के भी निर्देश दिए।
हिंसा के चलते 98 लोगों की जान गई
मणिपुर में 3 मई को हिंसा शुरू हुई थी। राजधानी इंफाल से लगे सेरौ और सुगनू इलाके में रविवार को हिंसक झड़प हुईं। इसमें 1 पुलिसकर्मी समेत 5 लोगों की मौत हो गई, जबकि 12 घायल हुए हैं। राज्य में हिंसा के चलते अब तक करीब 98 लोगों की जान गई है, वहीं 310 लोग घायल हुए हैं।
जाने पूरा विवाद
- मणिपुर में आधी आबादी मैतेई समुदाय की
मणिपुर की लगभग 38 लाख की आबादी में से आधे से ज्यादा मैतेई समुदाय के लोग हैं। मणिपुर के लगभग 10% क्षेत्रफल में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है। हाल ही में मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने पर विचार करने के आदेश जारी किए हैं।
- मैतेई समुदाय आरक्षण क्यों मांग रहा है
मैतेई समुदाय के लोगों का तर्क है कि 1949 में भारतीय संघ में विलय से पूर्व उन्हें रियासतकाल में जनजाति का दर्जा प्राप्त था। पिछले 70 साल में मैतेई आबादी 62 फीसदी से घटकर लगभग 50 फीसदी के आसपास रह गई है। अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए मैतेई समुदाय आरक्षण मांग रहा है।
- नगा-कुकी जनजाति आरक्षण के विरोध में
मणिपुर की नगा और कुकी जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। राज्य के 90% क्षेत्र में रहने वाला नगा और कुकी राज्य की आबादी का 34% हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। राजनीतिक रूप से मैतेई समुदाय का पहले से ही मणिपुर में दबदबा है।
नगा और कुकी जनजातियों को आशंका है कि एसटी वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों में बंटवारा होगा। मौजूदा कानून के अनुसार मैतेई समुदाय को राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है।
- हालिया हिंसा का कारण आरक्षण मुद्दा
मणिपुर में हालिया हिंसा का कारण मैतेई आरक्षण को माना जा सकता है। पिछले साल अगस्त में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की सरकार ने चूराचांदपुर के वनक्षेत्र में बसे नगा और कुकी जनजाति को घुसपैठिए बताते हुए वहां से निकालने के आदेश दिए थे। इससे नगा-कुकी नाराज चल रहे थे। मैतेई हिंदू धर्मावलंबी हैं, जबकि एसटी वर्ग के अधिकांश नगा और कुकी ईसाई धर्म को मानने वाले हैं।