भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, इससे भी कुछ लोग दुखी- पीएम मोदी
पीएम मोदी लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब दे रहे हैं। गौरतलब है कि विपक्षी दल गौतम अदाणी के मुद्दे पर सरकार पर हमलावर हैं। राहुल गांधी ने भी मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा था।
पीएम मोदी लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब दे रहे हैं। मोदी ने कहा कि मैं राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद करता हूं। मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे पहले भी कई बार राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद करने का अवसर मिला है, लेकिन इस बार मैं धन्यवाद के साथ-साथ राष्ट्रपति जी का अभिनंदन भी करना चाहता हूं।
मोदी ने कहा कि अपने विजनरी भाषण में राष्ट्रपति ने हम सबको और करोड़ों देशवासियों को मार्गदर्शन दिया है। गणतंत्र के मुखिया के रूप में उनकी उपस्थिति ऐतिहासिक और देश की बहन-बेटियों के लिए प्रेरणादायक है। कई सांसदों ने चर्चा में हिस्सा लिया। अपने-अपने आंकड़े और तर्क दिए। सांसदों ने अपनी रुचि के अनुसार अपनी बातें रखीं। जब इन बातों को गौर से सुनते हैं, समझने का प्रयास करते हैं। तो ध्यान में आता है कि किसकी कितनी क्षमता, योग्यता, समक्ष और इरादा है। देश भी इसका मूल्यांकन करता है।
पीएम मोदी का तंज
कुछ लोगों के भाषण के बाद पूरा ईकोसिस्टम, समर्थक उछल रहे थे। खुश होकर कहने लगे, ये हुई न बात! शायद नींद भी अच्छी आई होगी, शायद आज उठ भी नहीं पाए होंगे। ऐसे लोगों के लिए कहा गया है, अच्छे ढंग से कहा गया है…
ये कह-कह कर हम दिल को बहला रहे हैं,
वो अब चल चुके हैं, वो अब आ रहे हैं…
कुछ लोग दुखी हैं: पीएम मोदी
हमारे पड़ोस में जिस प्रकार से हालात बने हुए हैं। कौन इस पर गर्व नहीं करेगा कि ऐसे समय में भी देश दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। आज पूरे विश्व में भारत को लेकर पॉजिटिविटी है। देश के लिए गर्व की बात है, लेकिन मुझे लगता है शायद इससे भी कुछ लोगों को दुख हो रहा है।
गौरव के क्षण हम जी रहे हैं
एक समय था छोटी-छोटी टेक्नोलॉजी के लिए देश तरसता था। आज देश बड़ी ताकत के साथ आगे बढ़ रहा है। दुनिया के लोग अपने वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट भी नहीं देख पाते हैं। आज हम इसे मोबाइल में ही देख सकते हैं। सदन में हंसी-मजाक, टीका-टिप्पणी, नोंक-झोंक होती रहती है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आज राष्ट्र के रूप में गौरवपूर्ण अवसर हमारे सामने खड़े हैं। गौरव के क्षण हम जी रहे हैं।
देश की प्रगति को स्वीकार नहीं कर पा रहे कुछ लोग
निराशा में डूबे कुछ लोग इस देश की प्रगति को स्वीकार नहीं कर पाते हैं। उन्हें भारत के लोगों की उपलब्धियां नहीं दिखती हैं। देशवासियों के प्रयास का परिणाम है, जिसके कारण दुनिया में डंका बज रहा है। बीते 9 सालों में भारत में 90 हजार स्टार्टअप... दुनिया में हम स्टार्टअप के मामले में तीसरे नंबर पर हैं। इतने कम समय में 108 यूनिकॉर्न बने। 100 साल में आई यह भयंकर महामारी, दूसरी तरफ युद्ध की स्थिति, बटां हुआ विश्व और इस संकट के माहौल में भी देश को जिस तरह से संभाला गया है, इससे पूरा देश आत्मविश्वास से भर रहा है।