गलवान टू तवांग... बॉर्डर पर चीन की चालबाजी नाकाम, अब क्यों ट्रेंड हो रहे जवाहरलाल नेहरू?
चीनी सेना ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग में घुसपैठ की कोशिश की। भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब देकर खदेड़ दिया। अब ट्विटर पर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ट्रेंड करने लगे हैं। जानें क्यों...
जवाहरलाल नेहरू का नाम लेकर अमित शाह ने बोला हमला
तवांग में भारत-चीन के बीच झड़प पर कांग्रेस ने भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया। जवाब में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का नाम लेकर कांग्रेस को सुनाया। शाह ने कहा कि 'चीन के प्रति नेहरू के प्रेम के चलते संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सीट त्याग दी गई।'
ट्विटर पर ट्रेंड करने लगे हैं नेहरू
शाह के बयान से पहले भी कई यूजर्स ने चीन समस्या के लिए नेहरू को जिम्मेदार बताते हुए ट्वीट किए। नतीजा, मंगलवार दोपहर होते-होते Nehru ट्विटर के टॉप ट्रेंड्स में आ गया।
शाह के आरोपों में कितना दम?
अमित शाह ने जो आरोप लगाए, वे नए नहीं हैं। अक्सर बीजेपी की तरफ से ऐसे आरोप लगते रहे हैा। कांग्रेस सांसद और यूएन में अंडर-सेक्रेटरी रहे शशि थरूर ने 2004 के एक इंटरव्यू में कहा था कि भारत को 1953 में UNSC की परमानेंट सीट देने का ऑफर मिला था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया और कहा कि सीट चीन को दे दी जाए।
शशि थरूर ने अपनी किताब में क्या लिखा?
थरूर ने अपनी किताब Nehru – The Invention of India में लिखा है उस वक्त वह सीट ताइवान के पास थी। नेहरू इसे चीन को देना चाहते थे। इतिहासकार एंटन हार्डर ने मार्च 2015 की एक रिपोर्ट में लिखा कि अमेरिका ने 1950 की शुरुआत से भारत पर UNSC की परमानेंट सीट लेने का दबाव बनाना शुरू कर दिया था।
खुद नेहरू ने UNSC सीट पर क्या कहा था?
सितंबर 1955 में लोकसभा में बयान देते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, 'इस तरह की कोई पेशकश... न तो औपचारिक न ही अनौपचारिक रूप से की गई है। सुरक्षा परिषद का ढांचा यूएन चार्टर से चलता है जिसके हिसाब से कुछ देशों की सदस्यता स्थायी है। चार्टर में बदलाव किए बिना उसमें कोई जोड़-घटाव नहीं किया जा सकता।'