करपात्री महाराज पर जारी हुआ डाक टिकट, जानें क्यों इंदिरा गांधी को दिया था 'शाप'
करपात्री महाराज पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डाक टिकट जारी किया। करपात्री महाराज ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती के शिष्य थे। उनका असली नाम हरनारायण ओझा था।
करपात्री महाराज पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डाक टिकट जारी किया। करपात्री महाराज ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती के शिष्य थे। उनका असली नाम हरनारायण ओझा था। दीक्षा हासिल करने के बाद वे हरींद्रनाथ सरस्वती के नाम से जाने गए। लेकिन, वे खाने और पानी पीने के लिए अंजुली का प्रयोग करते थे। कर यानी हाथ को पात्र के रूप में रूप में प्रयोग करने को लेकर उनका नाम करपात्री पड़ा। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उनका काफी आदर करती थीं। उनसे वादा किया गया था कि अगर सरकार बनती है तो गोहत्या पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। इंदिरा गांधी बाद में वादे से मुकर गई। इसके बाद 1965 में बड़ा आंदोलन शुरू हुआ। करपात्री महाराज लाखों साधु-संतों के साथ गोरक्षा के मुद्दे पर कानून की मांग को लेकर संसद के बाहर धरने पर आ गए। 7 नवंबर 1966 को प्रदर्शन कर रहे साधुओं ने संसद भवन में प्रवेश के लिए मार्च निकाला तो उस पर गोली चला दी गई। सैंकड़ों साधु मारे गए। उनकी लाशों को उठाते हुए करपात्री महाराज ने इंदिरा गांधी को शाप दिया था।
डाक टिकट जारी किए जाने को बताया गया ऐतिहासिक अवसर
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने करपात्री महाराज पर डाक टिकट जारी किए जाने को ऐतिहासिक अवसर करार दिया। कार्यक्रम में संचार राज्य मंत्री देबू चौहान, स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी समेत कई लोग मौजूद रहे।
रक्षा मंत्री ने जारी किया डाक टिकट
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय डाक विभाग की ओर से तैयार कराए गए डाक टिकट को जारी किया। इस मौके पर रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट भी मौजूद रहे। करपात्री महाराज के योगदान को याद किया गया।
सनातन धर्म को आगे बढ़ाने को लेकर दिया गया सम्मान
करपात्री महाराज सनातन धर्म की सेवा में जीवन के अंतिम समय तक लगे रहे। उनके धर्म की रक्षा और उसको आगे बढ़ाने के लिए दिए गए योगदान को सम्मान दिया गया है।
इंदिरा गांधी करती थीं करपात्री महाराज का सम्मान
पूर्व पीएम इंदिरा गांधी करपात्री महाराज को काफी मानती थीं। वे उनका सम्मान करती थीं। लेकिन, चुनाव के बाद गोरक्षा कानून नहीं बनाए जाने के बाद से करपात्री महाराज ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।
संतों की मौत के बाद इंदिरा को दिया था शाप
नवंबर 1966 में संसद भवन पर कूच के दौरान संतों पर गोलियां चलने के बाद करपात्री महाराज ने शाप दिया था कि जैसे उन्होंने साधुओं पर फायरिंग कराई है, ठीक ऐस ही उनका भी हाल होगा। इस घटना के बाद करपात्री महाराज अवसादग्रस्त हो गए थे।