वैक्सीन अप्रूवल पर बड़ा फैसला:माडर्ना, फाइजर, जॉनसन एंड जॉनसन जैसी वैक्सीन को मंजूरी की प्रक्रिया तेज, इसी महीने मिल सकती है स्पुतनिक-V
देश में वैक्सीन की किल्लत दूर करने के लिए सरकार ने मंगलवार को बड़ा फैसला किया। जिन वैक्सीन्स को दुनिया के किसी भी देश की सरकारी एजेंसी ने अप्रूवल दे रखा है, इन सबको भारत भी मंजूरी देगा। इस फैसले से माडर्ना, फाइजर, जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को मंजूरी की प्रक्रिया तेज होगी और दवा कंपनियों के लिए विदेशी वैक्सीन को भारत में बनाने की मंजूरी लेने में भी आसानी होगी।
सरकार ने अपने आदेश में जिन संस्थाओं का नाम लिया है, वे अमेरिका, यूरोप, ब्रिटेन, जापान और WHO से जुड़ी हैं। वैक्सीन को मंजूरी देने वालों में यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन, यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी, यूकेएमएचआरए, पीएमडीए जापान और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन शामिल हैं।
100 मरीजों पर 7 दिन टेस्ट होगा, फिर वैक्सीनेशन ड्राइव में शामिल करेंगे
जिन वैक्सीन को सरकार मंजूरी देगी, उन्हें अगले 7 दिनों तक 100 मरीजों पर परखा जाएगा। उसके बाद देश के टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल कर लिया जाएगा। सरकार का दावा है कि इस फैसले से भारत में वैक्सीन इम्पोर्ट करने और टीकाकरण कार्यक्रम में तेजी लाने में मदद मिलेगी।
स्पुतनिक की सालाना 85 करोड़ डोज मिलेंगी
सरकार इससे पहले रूस की स्पुतिनक-V को भी देश में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे चुकी है। भारत के कोरोना टीकाकरण अभियान में शामिल होने वाली यह तीसरी वैक्सीन बन गई है। इस बीच, रशियन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड (RDIF) ने कहा कि भारत दुनिया का 60वां देश है, जिसने स्पुतनिक-V के इमरजेंसी यूज को मंजूरी दी है।
स्पुतनिक-V की डोज इसी महीने के आखिर तक मिल सकती है। ये बात न्यूज वेबसाइट NDTV ने रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) के हवाले से कही है। RDIF के CEO किरिल देमेत्रिएव ने बताया कि अप्रैल के आखिर या मई की शुरुआत तक स्पुतनिक की डोज मिल जाएंगी। भारत में स्पुतनिक का प्रोडक्शन ग्लैंड फार्मा, हेटेरो बायोफार्मा, पैनासिया, स्टेलिस बायोफार्मा और विरको बायोटेक में किया जाएगा। देमेत्रिएव का कहना है कि प्रोडक्शन बढ़ने में कुछ वक्त लगेगा। बाद में स्पुतनिक की सालाना 85 करोड़ डोज प्रोड्यूस की जाएंगी।
16 जनवरी को टीकाकरण शुरू हुआ था
भारत में 16 जनवरी को टीकाकरण शुरू हुआ था और इसके लिए इसी साल की शुरुआत में कोवीशील्ड और कोवैक्सिन को मंजूर किया गया था। कोवीशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर बनाया है। भारत में पुणे का सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) इसका प्रोडक्शन कर रहा है। कोवैक्सिन को भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के साथ मिलकर बनाया है।
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