पंजाब का राजनीतिक घमासान अभी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, ये घमासान अब भी जारी है। नवजोत सिंह सिद्धू ने भी 72 दिन बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
पंजाब का राजनीतिक घमासान अभी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, ये घमासान अब भी जारी है और इसी क्रम में मंगलवार को पार्टी प्रधान नवजोत सिद्धू ने 72 दिन बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया। सोनिया गांधी को भेजे इस्तीफे में नवजोत सिंह सिद्धू ने लिखा कि 'समझौता करने से व्यक्ति का चरित्र खत्म हो जाता है। मैं पंजाब के भविष्य और पंजाब की जनता के कल्याण के एजेंडा से कभी समझौता नहीं कर सकता हूं। उन्होंने आगे लिखा, इसलिए मैं पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं। मैं कांग्रेस की सेवा करता रहूंगा'। हालांकि सिद्धू ने इस्तीफे की असल वजहों तो पत्र में तो नहीं लिखा, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के साथ उनकी बन नहीं रही थी और उनके कुछ फैसलों से भी सिद्धू खुश नहीं थे।
सिद्धू के इस्तीफे को लेकर उनके खेमे से दबी आवाजों में कुछ बातें बाहर निकली है। खेमे से जुड़े सूत्रों ने बताया कि नवजोत सिंह सिद्धू एजी एपीएस देओल की नियुक्ति से खुश नहीं थे। साथ ही राणा रणजीत सिंह के शामिल होने से भी सिद्धू नाराज थे। इन सबके अलावा एक वजह ये भी सामने आ रही है कि सिद्धू का जो 18 सूत्रीय एजेंडा है, उसे सीएम चन्नी पार्टी आलाकमान और कैबिनेट के सामने नहीं रख रहे थे। बताया ये भी जा रहा है कि सुखजिंदर सिंह रंधावा को गृह विभाग मिलने से भी सिद्धू नाराज थे।
नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद कैप्टन अमरिंदर ने अपनी पहली प्रतिक्रिया ट्वीट कर के दी। उन्होंने लिखा कि 'मैंने तो पहले ही कहा था कि यह आदमी स्थिर नहीं है और सीमावर्ती राज्य पंजाब के लिए सिद्धू सही नहीं है'।
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