नीरज चोपड़ा का गोल्डन थ्रो : ओलंपिक में एथलेटिक्स में पदक का 100 साल से भी अधिक का इंतजार खत्म
टोक्यो ओलंपिक 2020 में नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है. एथलेटिक्स में भारत का यह पहला पदक है.
भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है. वह देश के लिए व्यक्तिगत गोल्ड मेडल जीतने वाले दूसरे खिलाड़ी और पहले एथलीट हैं. नीरज की इस सफलता के साथ भारत 1 गोल्ड, 2 सिल्वर और चार ब्रॉन्ज के साथ टोक्य ओलंपिक का समापन करेगा.
नीरज ने अपने दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर की दूरी के साथ पहला स्थान हासिल किया. 86.67 मीटर के साथ चेक गणराज्य के याकुब वाल्देज दूसरे स्थान पर रहे जबकि उनके ही देश के विटेस्लाव वेसेली को 85.44 मीटर के साथ कांस्य मिला.
नीरज से पहले अभिनव बिंद्रा ने 13 साल पहले बीजिंग ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था. हालांकि, अभिनव ने यह स्वर्ण निशानेबाजी में जीता था. टोक्यो में नीरज ने जो किया है वह ऐतिहासिक है क्योंकि इससे पहले भारत को ओलंपिक में एथलेटिक्स इवेंट्स में कभी कोई पदक नहीं मिला था.
एक सौ इकत्तीस करोड़ भारतीयों की उम्मीदें एक भाले की नोक पर टिकी हुई थीं। नीरज चोपड़ा के भाले पर। सोने की तलाश में टोक्यो पहुंचे बजरंग पुनिया कांसे पर टिक गए थे। अदिति अशोक भी गोल्फ में बस मुहाने पर ठिठक गई थीं। हॉकी में महिलाओं के हौसले और पदक से कुछ दूर रह जाने के भावुक क्षणों में बहे आंसू सभी को नम कर चुके थे।
2008 में अभिनव बिंद्रा की बंदूक की नली से निकला सुनहरा पदक पिछले 13 साल से खुद को बहुत अकेला महसूस कर रहा था। उसके ऊपर करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों का बोझ बढ़ता जा रहा था। इस भार को साझा करने की बेहतरीन कोशिश मीराबाई चानू ने की पर वो चांदी पर रुक गई। सिंधु की शटल से भी कांसा ही निकल पाया।
पहलवान रवि दहिया की सुनहरी उम्मीदें भी चांदी की चमक में बदल गईं। लवलीना के मुक्के से दमका कांसा सुकून भी दे रहा था और भविष्य की उम्मीद भी जगा रहा था।
हरियाणा के पानीपत के गांव खंडरा के नीरज की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। अपने शरीर को मजबूत बनाने के लिए वो जिम जाते थे। जिम के बगल में ही स्टेडियम था। टहलते हुए अक्सर स्टेडियम पहुंच जाने वाले नीरज ने खेल-खेल में ही भाला उठाकर फेंका जो काफी दूर जा गिरा। वहीं मौजूद गुरु द्रोण समान एक कोच का आभार जो उन्होंने भविष्य के इस स्वर्ण पदक विजेता को पहचान लिया। नीरज को आगे इसी का प्रशिक्षण लेने की सलाह दी। फिर तो बस जैसे नीरज पर जुनून सवार हो गया।
2016 में ही वो जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुके थे, बस रियो जाने से चूक गए। 2018 में उन्होंने एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता।