गुरु चांद बाबा की हत्या के 34 साल बाद... कुछ वैसे ही चेले अतीक को मारी गई गोली
देर रात अतीक और उसके भाई अशरफ की जिस जगह मौत हुई कभी वहां पर उनकी महफिले सजा करती थी। चकिया के रहने वाले अतीक अहमद की हर गली में तूती बोला करती थी, लेकिन अतीक के आतंक का अंत कुछ इस तरह होगा यह किसी को अंदाजा नहीं था।
चार दशकों तक प्रयागराज की गलियों में अपनी दहशत का साम्राज्य फैलाने वाला अतीक अब लोगों के लिए 'अतीत' बन चुका हूं। राजनीति का चोला ओढ़ अतीक ने तमाम अपराधो को अंजाम दिया। वहीं, जिस गुरु ने अतीक का साया बन उसे चलना सिखाया राजनीति की चाहत में अतीक ने उस गुरु को भी रास्ते से हटा दिया। कभी प्रयागराज की गलियां अतीक के दहशत की कहानियां बयां करती थी। वहीं, कल हुए हत्याकांड में अतीक की मौत साथ के आतंकवाद और जुर्म की कहानी भी बंद हो गई।
दरअसल, देर रात अतीक और उसके भाई अशरफ की जिस जगह मौत हुई कभी वहां पर उनकी महफिले सजा करती थी। चकिया के रहने वाले अतीक अहमद की हर गली में तूती बोला करती थी, लेकिन अतीक के आतंक का अंत कुछ इस तरह होगा यह किसी को अंदाजा नहीं था। अतीक का कुछ मुस्लिम इलाकों में उठना बैठना भी तय रहता था। लेकिन बताया जा रहा है कि जिस जगह अतीक की हत्या हुई वहां उसकी महफिल भी जमा करती थी। 34 साल पहले अतीक का साया बनने वाले गुरु चांद बाबा की मौत ठीक वैसे ही हुई जिस तरह से अतीक की हत्या हुई हैं।
नामांकन वापस लेने को लेकर गुरु से शुरू हुई थी खटपट
वर्ष 1989 शहर की पश्चिमी सीट से अतीक ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना पर्चा दाखिल किया था वही उसके गुरु चांद बाबा ने भी नामांकन किया था। चांद बाबा ने अतीक से अपना पर्चा वापस लेने की बात कही लेकिन अतीक ने गुरू के शब्दों को दरकिनार कर दिया। फिर दोनों ने यहां से चुनाव लड़ा लेकिन अतीत के रुतबे के आगे जनता की नतमस्तक हो गई और अतीक को चुनाव में यहां की सीट से जीत हासिल हुई। मतगणना के बाद गुरु चांद बाबा रोशनबाग की ढाल के पास बैठे हुए थे तभी वहां पर पहुंचे कुछ लोगों ने बम और गोलीबारी शुरू कर दी जिसमें अतीक के गुरु चांद बाबा की मौत हो गई और इसका इल्जाम भी अतीत के सिर आया।
राजनीति की चाहत में जब अतीक ने अपने गुरु को रास्ते से किया साफ
40 वर्षों तक जिन गलियों में अतीक के आतंक की दहशत गूंजी उन्हीं गलियों में कल देर रात तक गोलियों की तड़तड़ाहट सुनाई दी और अतीक के साथ उसके भाई अशरफ की भी दर्दनाक मौत हो गई। अतीक जब नाबालिक था तो उस पर हत्या का आरोप लगा लेकिन बाद में उसे रिहा कर दिया गया। इसके बाद रोशनबाग इलाके के रहने वाले बदमाश चांद बाबा की नजर अतीक पर पड़ी और वह चांद बाबा का खास बन गया। लेकिन 1989 में अतीक ने अपने गुरु को रास्ते से हटा दिया और फिर राजनीति में कदम रखा था और इस मर्डर के बाद अतीक ने कभी पीछे पलट कर नहीं देखा और लोगों के लिए अतीक अब भाईजान बन चुका था। लेकिन जिस रोशनबाग से अतीक ने अपराध की दुनियां में अपना सफर शुरू किया था उसी से मात्र 300 मीटर की दूरी पर अतीक का आतंक हमेशा के लिए दफन हो गया।