72 साल का इतिहास जानिए डाक टिकटों की जुबानी, प्रयागराज के डाक्टर ने रची टिकटों की खास किताब
प्रयागराज शहर के प्रतिष्ठित आर्थाेपेडिक सर्जन डा. मनीषी बंसल ने। इन्होंने 1947 से कुंभ 2019 तक फिलैटलिक ब्यूरो द्वारा विशेष अवसर या किसी महापुरुष से संबंधित जारी डाक टिकटों का संग्रह किया। उन्हें एकरूप देते हुए पुस्तक की रचना कर दी प्रयागराज बलिदानियों का शहर।
शौक कई तरह के होते हैं। अनूठे, अनोखे, रोचक या फिर अपने दिल को तसल्ली देने वाले शौक। ऐसा शौक जो जनहित में हो उसे अधिक सार्थक कहा जा सकता है। ऐसा ही सार्थक शौक किया शहर के प्रतिष्ठित आर्थाेपेडिक सर्जन डा. मनीषी बंसल ने। इन्होंने 1947 से कुंभ 2019 तक फिलैटलिक ब्यूरो द्वारा विशेष अवसर या किसी महापुरुष से संबंधित जारी डाक टिकटों का संग्रह किया। उन्हें एकरूप देते हुए पुस्तक की रचना कर दी 'प्रयागराज : बलिदानियों का शहर'। इसमें डाक टिकटों की जुबानी कोई भी प्रयागराज के 72 साल के इतिहास को जान सकता है।
गंगा और यमुना की यात्रा, अटल जी का अस्थि विसर्जन भी हैं इसके हिस्से
प्रयागराज शहर के मुट्ठीगंज निवासी डा. मनीषी बंसल की पुस्तक में कई खंड हैं। शुरुआत प्रयागराज के महत्व से की गई है अंत कुंभ 2019 से किया है। इनके बीच में 1841 में इक्का तांगे से डाकसेवा की शुरुआत और इसके जरिए इलाहाबाद (पूर्ववर्ती नाम) से कानपुर तक भेजी गई डाक के अवसर पर जारी डाक टिकट, 1911 में पहली हवाई डाक सेवा पर जारी डाक टिकट, संगमनगरी के सभी महत्वपूर्ण त्योहार पर जारी विशेष डाक टिकटों को समाहित किया गया है। सबसे महत्वपूर्ण गंगा और यमुना की पूरी यात्रा के स्थानों को दर्शाते हुए जारी डाक टिकट, संगम के निकट किले के भीतर प्राचीन अशोक स्तंभ, पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर उनके अस्थि विसर्जन के अवसर पर जारी डाक टिकट, हेरिटेज, प्रधान मंत्रियों का शहर, अमर शहीदों, आधुनिक भारत के निर्माता नामचीन साहित्यकारों और जाड़े के दिनों में दूर देश से उड़कर प्रयागराज के संगम पर आने वाले साइबेरियन पक्षियों पर भी जारी डाक टिकट को भी स्थान दिया गया है।
पूर्व मंत्री मनोज सिन्हा ने किया था विमोचन
पुस्तक का विमोचन कुंभ 2019 में आए तत्कालीन केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा ने किया था।
टिकट जुटाने का करते हैं सभी प्रयास
विशेष अवसरों पर जारी डाक टिकट खरीद लेते हैं। डाक विभाग की प्रदर्शनियों में जरूर जाते हैं वहां से विशेष अवसरों पर हुए जारी टिकट खरीद लेते हैं। डाक टिकटों के डीलर से संपर्क करते हैं। इंटरनेट मीडिया से भी सर्च करके डाक टिकट खरीदते हैं।
1980 से जारी है यात्रा
डा. मनीषी बंसल बताते हैं कि डाक टिकटों को संग्रह करने की यात्रा 1980 में शुरू की थी जो अब तक जारी है। 1990 में प्रयागराज फिलैटलिक ब्यूरो के सदस्य बने और 2003 में मुंबई फिलैटलिक ब्यूरो के भी सदस्य बनाए गए।