ट्रेन से धक्का दिया तो कटा शरीर, फिर भाई की मौत... 3 उंगलियों से IAS बने दर्जी के बेटे की कहानी रुला देगी
अगर जज्बा और लगन है तो परिस्थिति चाहे कितनी भी विपरीत ना हो, सफलता कदम चूम ही लेती है। मैनपुरी के सूरज तिवारी की कहानी तो यही साबित करती है। ट्रेन हादसे में दोनों पैर, एक हाथ गंवा देने वाले सूरज ने UPSC परीक्षा क्रैक कर लिया है। हादसे के कुछ महीने बाद ही बड़े भाई की मौत हो गई। पिता दर्जी का काम कर परिवार का पेट पालते हैं।
ट्रेन हादसे में दो पैर-एक हाथ गंवाया
सूरज तिवारी के साथ 2017 में हादसा हो गया। गाजियाबाद के पास किसी ने ट्रेन से धक्का दिया, जिससे दोनों पैर और बायां हाथ कट गया। दूसरे हाथ की दो उंगलियां भी कटी।
पिता कपड़ों की सिलाई कर चलाते हैं गुजारा
मैनपुरी के कुरावली कस्बा निवासी सूरज के पिता दर्जी का काम करते हैं। कपड़ों की सिलाई करके वह परिवार का गुजारा चलाते हैं।
UPSC रिजल्ट में सूरज की 917वीं रैंक
यूपीएससी के नतीजे में सूरज तिवारी को 917वीं रैंक मिली है। एक हाथ की 3 उंगलियों के सहारे ही उन्होंने IAS बनने का सपना पूरा कर दिखाया।
बड़े बेटे की भी मौत से परिवार पर टूटा पहाड़
सूरज की मां आशा तिवारी की आंखों में नमी के साथ चेहरे पर खुशी भी है। वह बताती हैं कि सूरज के साथ हादसे के बाद AIIMS में इलाज चला। उसी दौरान उनके बड़े बेटे की मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
'आर्थिक हालत अच्छी नहीं, गुजारा चल जाता है'
पिता राजेश तिवारी भी खुशी से फूले नहीं समा रहे। वह बताते हैं कि परिवार की आर्थिक हालत अच्छी नहीं रही। कपड़े सिलने का काम करके इतना कमा लेते हैं कि परिवार का गुजारा चल जाए।
सूरज का घर, यहीं रहकर पढ़ाई की
सूरज तिवारी का घर जर्जर हालत में है। छोटे से घर में सामान रखने लायक भी जगह नहीं है। एक कमरे में चूल्हे पर खाना बनता है। यहीं से सूरज ने कुछ करने की ठानी।
हादसे के बाद JNU से पढ़ाई की
सूरज की बहन सृष्टि बताती हैं कि हादसे के बाद हॉस्पिटल में इलाज के दौरान वहां बिहार के विकास नामक शख्स मिले। उन्होंने सूरज का जेएनयू का फॉर्म भरवाया। भाई ने बीए और एमए रशियन लैंग्वेज से किया।
स्कूली पढ़ाई मैनपुरी से, BSc के दौरान हादसा
सूरज तिवारी ने प्रारंभिक शिक्षा नगर के महर्षि परशुराम स्कूल से की। 2011 में एसबीआरएल इंटर कॉलेज मैनपुरी से दसवीं और 2014 में संपूर्णानंद इंटर कॉलेज अरम सराय बेवर से उत्तीर्ण किया।
सिर्फ 3 उंगलियों और हौसले से मिली कामयाबी
ट्रेन हादसे के बाद सूरज के हाथ-पैर चले गए। उनके पास केवल एक हाथ की 3 उंगलियां ही बचीं। इधर परिवार की आर्थिक हालत के बीत भाई की मौत हो गई। लेकिन सूरज ने हौसले और दृढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत देश की सबसे कठिन परीक्षा में कामयाबी हासिल की।
परिवार में जश्न, मिलने वालों की लाइन लगी
मैनपुरी के घरनाजपुर स्थित घर में आज जश्न का माहौल है। घर में सूरज की सफलता के बाद बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।