पंजाब पुलिस ने अमृतपाल को किया गिरफ्तार, NSA लगने के कारण हो सकता है साल भर का सख्त कारावास
पंजाब पुलिस ने रविवार को मोगा जिले के रोडे गांव के एक गुरुद्वारे से वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह को अरेस्ट किया है।
पंजाब पुलिस ने 36 दिनों के लम्बे इंतजार के बाद ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह को रविवार की सुबह गिरफ्तार कर लिया। अमृतपाल पर NSA के तहत केस दर्ज कर लिया गया है। NSA के तहत केस दर्ज होने के कारण अमृतपाल को एक साल तक हवालात में गुजारना पड़ सकता है।
नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA)
नेशनल सिक्योरिटी एक्ट यानी NSA एक निवारक निरोध यानी प्रिवेंटिव कस्टडी होती है। इसके तहत किसी व्यक्ति को अपराध करने के लिए नहीं बल्कि अपराध की आशंका में गिरफ्तार किया जाता है और जेल में रखा जाता है। इस चीज की पुष्टि जिलाधिकारी द्वारा की जाती है। एक रिपोर्ट पेश करनी होती है जिसके आधार पर यह साबित किया जाता है कि इस व्यक्ति का जेल में रहना जरूरी है, वर्ना यह गंभीर अपराध को अंजाम दे सकता है। इससे समाज और कानून व्यवस्था दोनों को को खतरा पैदा हो सकता है। कुल मिलाकर ये कानून अपराध होने से पहले सरकार को किसी भी संदिग्ध व्यक्ति की गिरफ्तारी की शक्ति देता है। NSA का कानून संसद से 1980 में पास हुआ था।
NSA लगने के कारण अमृतपाल सिंह को कितने साल सलाखों के पीछे रहना पड़ सकता है?
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विराग गुप्ता के अनुशार आर्टिकल 22 (4) के तहत सामान्यत: तीन महीने तक लोगों को प्रिवेंटिव डिटेंशन में रखा जा सकता है। इसकी अधिकतम अवधि एक साल तक हो सकती है। यानी अमृतपाल को भी एक साल तक बिना सुनवाई के जेल में रहना पड़ सकता है।
इसके ऑर्डर का पुलिस से कोई लेना-देना नहीं होता है। यह प्रशासनिक आदेश होता है जो DM या कमिश्नर द्वारा पारित किया जाता है। इसको कन्फर्म करने के लिए एक एडवाइजरी बोर्ड बनता है। यानी जिस शख्स पर NSA लगाया गया है वो सही है कि नहीं।
इसके ऑर्डर का पुलिस से कोई लेना-देना नहीं होता है। यह प्रशासनिक आदेश होता है जो DM या कमिश्नर द्वारा पारित किया जाता है। इसको कन्फर्म करने के लिए एक एडवाइजरी बोर्ड बनता है। यानी जिस शख्स पर NSA लगाया गया है वो सही है कि नहीं।
NSA लगने के बाद क्या कर सकता है अमृतपाल?
अमृतपाल सिंह पर NSA लगने के साथ ही अपहरण और हत्या के प्रयास जैसे दर्जनों मामले दर्ज हैं। ऐसे में अमृतपाल बाकी मुकदमों में जमानत की अपील करेगा और मुकदमे लड़ेगा। जबकि NSA के केस में वह यह अपील कर सकता है कि जिलाधिकारी ने जो NSA लगाया है वो गलत है। अगर इस पर सुनवाई हो जाती है तो वह बच सकता है।
अमृतपाल को पंजाब से करीब 2800 किलोमीटर दूर असम की डिब्रूगढ़ जेल में रखा गया है
अमृतपाल को सुरक्षा के नजरिए से असम की डिब्रूगढ़ जेल में ले जाया गया है, क्योंकि पंजाब में रहने पर इसके पक्ष में आंदोलन हो सकते हैं। राज्य में कानून व्यवस्था का खतरा पैदा हो सकता है। पंजाब में रहने पर इसको छुड़ाने का भी प्रयास हो सकता है। इसलिए अमृतपाल को असम ले जाया गया है। अमृतपाल सिंह और उसके साथियों को डिब्रूगढ़ जेल ले जाने के पीछे राजनीतिक से ज्यादा प्रशासनिक कारण अहम है। असम में खालिस्तान समर्थन का कोई आधार नहीं है। इसलिए वहां जेल ब्रेक होने की आशंका बहुत कम है। गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में सिख समुदाय के लोग काफी संख्या में रहते हैं और ये सभी राज्य असम के मुकाबले पंजाब के नजदीक भी हैं। समर्थकों के लिए पंजाब से इन राज्यों में पहुंचना आसान है, लेकिन इतनी दूर असम आकर कुछ करना बहुत मुश्किल है। साथ ही पंजाब की जेल में लोकल कनेक्शन बन सकते हैं। असम में रहने पर ये भी नहीं हो सकेगा।