उत्तराखंड: आय से 547 गुना ज्यादा संपत्ति वाले IAS राम विलास यादव गिरफ्तार
विजिलेंस विभाग की रिपोर्ट के बाद उत्तराखंड सरकार ने IAS राम विलास यादव को किया सस्पेंड।
आय से अधिक संपत्ति मामले में उत्तराखंड के IAS अधिकारी राम विलास यादव को गिरफ्तार कर लिया गया है. इससे पहले बुधवार, 22 जून को उत्तराखंड सरकार ने राम विलास यादव को सस्पेंड कर दिया था. विजिलेंस डिपार्टमेंट ने 22 जून को दिन भर उनसे पूछताछ की. फिर देर रात उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अधिकारी के खिलाफ कथित रूप से आय से 500 गुना ज्यादा संपत्ति मिली थी. इसके बाद उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई थी. राम विलास यादव उत्तराखंड के समाज कल्याण विभाग में अपर सचिव थे.
IAS के ठिकानों पर छापेमारी
विजिलेंस विभाग ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई हुई. स्टेट विजिलेंस डायरेक्टर अमित सिन्हा ने मीडिया से कहा, "सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया. आय से अधिक संपत्ति को लेकर IAS राम विलास यादव को दिन भर की पूछताछ के बाद के गिरफ्तार किया गया."
विजिलेंस ने पिछले साल सितंबर में सरकार को इस मामले में रिपोर्ट भेजी थी. इसमें कहा गया था कि राम विलास यादव के उनके ज्ञात स्रोतों से 547 गुना ज्यादा संपत्ति है. इसी महीने उत्तराखंड विजिलेंस डिपार्टमेंट ने लखनऊ और देहरादून में राम विलास यादव के चार ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस दौरान उनके खिलाफ कई सबूत मिले थे.
इससे पहले 19 अप्रैल को ही उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड सचिवालय में रामविलास यादव कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं. आरोप है कि इन्ही पदों पर रहते हुए उन्होंने आय से अधिक संपत्ति जुटाई.
मेहनत से कमाई गई संपत्ति
राम विलास यादव पर यह भी आरोप लगा कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे. विजिलेंस डिपार्टमेंट ने यादव को पूछताछ के लिए कई बार समन भेजा, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज किया. गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी तो कोर्ट का रुख किया. 21 जून को उत्तराखंड हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान उन्हें कोई राहत नहीं दी. उन्होंने कोर्ट में कहा था कि उन पर लगाए गए आरोप गलत हैं और उनके परिवार ने मेहनत से संपत्ति अर्जित की है.
ख़बरों के मुताबिक राम विलास यादव ने कोर्ट में कहा, "मेरा बेटा सुप्रीम कोर्ट में वकील है. पत्नी कॉलेज में प्रबंधक है और बेटी विदेश में काम करती है. मुझे अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया. जिस व्यक्ति ने मेरे खिलाफ केस दर्ज की है उसी के खिलाफ कई मामले लंबित हैं. सरकार ने जो कमेटी गठित की थी उसे पक्ष रखने से पहले ही भंग कर दिया गया."
हाई कोर्ट ने राम विलास यादव को विजिलेंस डिपार्टमेंट देहरादून में अपने बयान और अपने दस्तावेज सौंपने का आदेश दिया था. इसके बाद वे 22 जून को विजिलेंस ऑफिस पहुंचे और बयान दर्ज कराया. कोर्ट ने सरकार को 23 जून तक मामले में स्थिति स्पष्ट करने को आदेश दिया था. लेकिन इससे पहले विजिलेंस ने राम विलास यादव को गिरफ्तार कर लिया.
राम विलास यादव उत्तराखंड कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. यूपी में भी कई सालों तक महत्वपूर्ण पदों पर रहे. वे लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी के सचिव भी रह चुके हैं.