2600 फर्जी कंपनियां और 10 हजार करोड़ का घोटाला... नोएडा में पकड़ा गया गिरोह, 7 लाख लोगों का डेटा बरामद
नोएडा में फर्जीवाड़ा कर 10 हजार करोड़ की हेराफेरी कर ली गई। पुलिस ने इस मामले का पर्दाफाश करते हुए गिरोह के मास्टरमाइंड सहित 8 लोगों को अरेस्ट किया है। ये लोग फर्जी फर्म रजिस्टर कराते थे, इसके बाद फर्जी बिल तैयार कर गड़बड़ी करते थे। आरोपियों के पास से लगभग 7 लाख लोगों का डेटा बरामद हुआ है।
उत्तर प्रदेश के नोएडा में 10 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का मामला सामने आया है। यहां थाना सेक्टर 20 पुलिस और टेक्निकल टीम ने घोटाले को अंजाम देने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। ये गिरोह फर्जी डेटा के जरिए फर्जी फर्म, जीएसटी नंबर तैयार कर पूरे मामले को अंजाम दे रहा था।
पुलिस ने गिरोह के मास्टरमाइंड सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से 2660 फर्जी जीएसटी फॉर्म, 24 कंप्यूटर, कई फर्जी आधार कार्ड और करीब सात लाख लोगों का डेटा बरामद किया है।
जानकारी के मुताबिक, बीते मई में थाना सेक्टर 20 पुलिस से एक व्यक्ति ने शिकायत कर कहा था कि उसके नाम पर फर्जी फर्म तैयार कर जीएसटी का हेरफेर किया गया है। शिकायत के बाद पुलिस टेक्निकल सर्विलांस के माध्यम से छानबीन में जुट गई। इसके बाद पुलिस ने इस पूरे गिरोह का पर्दाफाश कर दिया।
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे फर्जी फर्म GST नंबर तैयार कर बिना माल की डिलीवरी किए फर्जी बिल तैयार कर लेते ते। इसके बाद जीएसटी रिफंड लेकर सरकार के राजस्व को हजारों करोड़ का नुकसान पहुंचा रहे थे। पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि ये गिरोह पिछले 5 सालों से संगठित रूप से इस तरह की फर्जी फर्म तैयार कर गड़बड़ी कर रहा था।
पूरे मामले में गिरोह की दो टीमें कर रही थीं काम
गिरोह की 2 टीमें काम करती थीं. पहली टीम फर्जी दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, रेंट एग्रीमेंट, बिजली बिल आदि का उपयोग कर फर्जी फर्म जीएसटी नंबर तैयार करती थी। वहीं दूसरी टीम फर्जी फर्म जीएसटी नंबर से पहले टीम से खरीद-फरोख्त कर फर्जी बिल तैयार कर जीएसटी रिफंड आईटीसी इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त करती थी। इस तरह से ये लोग हजारों करोड़ के राजस्व का चूना लगा रहे थे।
अवैध रूप से डाटा खरीदकर ऐसे करते थे गड़बड़ी
गिरोह की पहली टीम फर्जी फर्म तैयार करने के लिए सर्विस प्रोवाइडर कंपनी जस्ट डायल के माध्यम से अवैध रूप से डेटा खरीदती थी। इसके बाद छोटी कॉलोनियों और मोहल्लों में रहने वाले नशे के आदी लोगों को 1000-1500 रुपये का लालच देकर उनके आधार कार्ड से फर्जी मोबाइल सिम रजिस्टर करवाते थे। इसके बाद ऑनलाइन रेंट एग्रीमेंट और इलेक्ट्रिसिटी बिल को फर्जी तरीके से डाउनलोड किया जाता था।
इस तरह रजिस्टर करा लेते थे फर्जी फर्म
डाउनलोड किए गए रेंट एग्रीमेंट, इलेक्ट्रिसिटी बिल को एडिट करके फर्म का फर्जी एड्रेस तैयार करते थे। जिन लोगों का आधार कार्ड लेते थे, उस नाम पर पैन कार्ड डाटा सर्च किया जाता था। जैसे ही आधार कार्ड में किसी एक नाम के डेटा के 80 नाम कॉमन पाए जाते थे तो ऐसे सभी 80 नामों के पैन कार्ड पर एक नाम के आधार कार्ड और अन्य फर्जी दस्तावेजों को शामिल करके फर्जी फर्म रजिस्टर करवा ली जाती थी।
फर्म को ऑनलाइन वेरीफाई कराने का यह निकाला था जुगाड़
जीएसटी नंबर रजिस्टर करवाने के लिए reg.gst.gov.in लॉगइन करते थे। जीएसटी पोर्टल में फर्म रजिस्ट्रेशन करने के लिए लॉगिन करने के दौरान जीएसटी विभाग द्वारा एक वेरीफिकेशन कोड भेजा जाता था, जो इनके द्वारा आधार से रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर पहुंच जाता था। उस कोड को जीएसटी पोर्टल पर डालकर वेरीफाई करके फर्जी फर्म रजिस्टर करवा ली जाती थी।
पहली टीम दूसरी टीम के साथ करती थी खरीद-फरोख्त
पहली टीम द्वारा रजिस्टर करवाई गई फर्म दूसरी टीम को प्रति फर्म 80 हजार से 90 हजार रुपये के हिसाब से बेच दिया जाता था। पुलिस को अब तक 2660 फर्जी GST फर्म तैयार किए जाने की जानकारी मिली है। बिना माल का आदान प्रदान किए फर्जी बिल तैयार कर जीएसटी रिफंड करा लिया जाता था। एक फर्जी फर्म से एक महीने में 2-3 करोड़ रुपये का फर्जी बिल उपयोग किया जाता था।