आईपीएस Ajay Pal Sharma सहित 4 लोगों को मेरठ कोर्ट ने भ्रष्टाचार से बरी किया, विजिलेंस नहीं सिद्ध कर पाई आरोप
भ्रष्टाचार के आरोप में हटाए गए आईपीएस अजय पाल शर्मा बरी हो गए हैं। इसके अलावा अन्य तीन अन्य को भी बरी कर दिया गया है।
आईपीएस अजय पाल शर्मा को उत्तर प्रदेश की विजिलेंस टीम ने जांच के दौरान भ्रष्टाचार के मामले में साक्ष्य न मिलने पर क्लीनचिट दे दी है। अजय पाल शर्मा गौतमबुद्ध नगर जिले के तत्कालीन एसएसपी और जौनपुर जिले के वर्तमान कप्तान हैं। विजिलेंस टीम ने आईपीएस अजय पाल शर्मा के साथ चार और लोगों के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमे में अंतिम रिपोर्ट पेश की है। आईपीएस अजय पाल शर्मा सहित सभी 4 लोगों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप में मेरठ कोर्ट ने बरी कर दिया गया है।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत हुई थी कार्रवाई
ट्रांसफर पोस्टिंग के मामले में मेरठ कोर्ट में विजिलेंस टीम कोई साक्ष्य पेश नहीं कर पाई है, जिसमें इनके ऊपर कोई चार्ज तय किया जा सका। जानकारी के मुताबिक, वादी इंस्पेक्टर के बयान दर्ज होने के बाद इस फाइल को बंद कर दिया गया है। वर्ष 2020 में आईपीएस अधिकारी के बीच हुए विवाद और एक गोपनीय रिपोर्ट के लीक होने पर प्रदेश सरकार ने 6 आईपीएस अधिकारियों को चार्ज से हटा दिया था। विजिलेंस ने आईपीएस डॉ. अजय पाल शर्मा के खिलाफ सितंबर 2020 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-8 के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी। इन मामलों में कथित पत्रकार चंदन राय, स्वप्निल राय और अतुल शुक्ला के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ था। इन तीनों पर सरकारी अधिकारी को भ्रष्टाचार के लिए प्रेरित करने का आरोप था।
चार और लोगों पर लगे थे आरोप
आईपीएस वैभव कृष्ण ने एसएसपी नोएडा रहते हुए पोस्टिंग कराने वाले कथित पत्रकारों की गिरफ्तारी के बाद शासन को एक जांच रिपोर्ट भेजी थी। इसमें आईपीएस अजय पाल शर्मा समेत 4 और लोगों पर गंभीर आरोप थे। जिलों में ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए लाखों रुपये के लेन-देन की बात हो रही थी। इस रिपोर्ट की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन हुआ था। एसआईटी ने आईपीएस अजय पाल शर्मा को दोषी पाते हुए कार्रवाई की सिफारिश की थी। एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर इनके खिलाफ विजिलेंस की खुली जांच के आदेश हुए। विजिलेंस ने भी जांच के बाद दोनों को दोषी पाते हुए एफआईआर की संस्तुति की थी।
2020 में दर्ज हुआ था मुकदमा
जिलों में कप्तान की कुर्सी के रेट को लेकर लेन-देन का रिपोर्ट में भी उल्लेख था, जिसे इस रिपोर्ट के आधार पर एसआईटी और विजिलेंस ने जांच शुरू की थी। सितंबर 2020 को शासन से अनुमति मिलने के बाद विजिलेंस इंस्पेक्टर विजय नारायण तिवारी ने मेरठ के विजिलेंस थाने में आईपीएस अजय पाल शर्मा, कथित पत्रकार चंदन राय, अतुल शुक्ला व स्वप्निल राय के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।