उत्तर-प्रदेश: अब शहरों में बिना ढके नहीं कर सकेंगे भवन का निर्माण, वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए निर्देश जारी
यूपी में वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए सरकार जरूरी कदम उठा रही है। इसी क्रम में अब शहरों में वायु प्रदूषण पर अंकुश के लिए सरकार ने प्राधिकरण-परिषद को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत अब शहरों में बिना ढके भवन का निर्माण नहीं कर सकेंगे। निर्माण सामग्री व मलबे को भी ढकना होगा।
अब शहरों में बिना ढके भवनों का निर्माण नहीं कराया जा सकेगा। सार्वजनिक या निजी क्षेत्र के निर्माणाधीन भवन ढके न होने पर संबंधित विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद निर्माण कार्य को नहीं होने देंगे। निर्माणाधीन भवन के साथ ही निर्माण सामग्री और मलबे को भी ढककर ही रखना होगा ताकि उससे वायु प्रदूषण न होने पाए।
वायु प्रदूषण पर नजर रखने के लिए विकासकर्ताओं को एक माह में निर्माण स्थलों पर एयर क्वालिटी मानीटरिंग सिस्टम भी लगवाना होगा। शहरों में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्यों से निकलने वाली धूल से बढ़ते वायु प्रदूषण पर कड़ाई से अंकुश लगाने के लिए राज्य सरकार ने कड़े निर्देश जारी किए हैं।
आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के अपर मुख्य सचिव नितिन रमेश गोकर्ण की ओर से आवास आयुक्त के साथ ही विशेष क्षेत्र के अध्यक्ष, विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्ष और विनियमित क्षेत्र के जिलाधिकारियों को जारी शासनादेश में वायु प्रदूषण के प्रभावी रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।
स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि 70 मीटर से कम ऊंचाई वाले भवनों के निर्माण स्थल पर चारदीवारी के साथ 7.5 मीटर, जबकि 70 मीटर से ज्यादा ऊंचा भवन बनाने पर 10.5 मीटर ऊंचाई के बैरिकेड्स लगाए जाएं। निर्माण स्थल को चारों ओर से हरे तिरपाल या जूट से ढकना होगा। ढका न होने की दशा में निर्माण कार्य को रोकने के निर्देश दिए गए हैं।
ध्वस्तीकरण पर भी ढकने और मलबे को भी ढक कर ले जाने, निर्माण सामग्री को ढककर रखने व ऐसे वाहनों की ओवर लोडिंग रोकने, निर्माण स्थल पर स्प्रिंकलर सिस्टम से पानी का छिड़काव सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए गए हैं। कहा गया है कि अधिकतम मलबे को रीसाइक्लिंग के जरिये नए निर्माण में इस्तेमाल की तकनीक को वरीयता दी जाए ताकि मलबे के घटने से प्रदूषण कम हो। पेड़ों की पत्तियों को जलाया न जाए।
निर्माण कार्यों से आसपास के वाटर शेड, जलाशयों, नेचुरल ड्रेनेज सिस्टम को संरक्षित करने, इनर्जी एफिसिएंट बिल्डिंग को प्रोत्साहित करने को भी कहा गया है। निर्माण कार्यों को तेजी से सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए गए हैं ताकि उससे पर्यावरणीय प्रभाव कम हो।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के गाजियाबाद, मेरठ, हापुड़-पिलखुआ, बुलंदशहर, खुर्जा, बागपत-खेकड़ा एवं मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण को वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए पूर्व में जारी रिवाइज्ड ग्रेडेड रिस्पान्स एक्शन प्लान का अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।