बाराबंकी: माह में एक दिन बेटे को पिता से मिलाने का आदेश
तलाकशुदा युवक द्वारा नाबालिग लड़के की संरक्षता व मिलने का अधिकार दिए जाने संबंधी एक मुकदमे में प्रधान न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय दुर्ग नारायण सिंह ने लड़के की मां को आदेश दिया कि वह माह में एक बार लड़के के पिता से मिलाए।
तलाकशुदा युवक द्वारा नाबालिग लड़के की संरक्षता व मिलने का अधिकार दिए जाने संबंधी एक मुकदमे की सुनवाई के बाद प्रधान न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय दुर्ग नारायण सिंह ने लड़के की मां को आदेश दिया कि वह माह में एक बार लड़के के पिता से मिलाए। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि लड़के को पिता से न मिलने देना क्रूरता है।
बाराबंकी की सुनीता (काल्पनिक नाम) का विवाह हरियाणा के हिसार निवासी शैंकी वर्मा के साथ हुआ था। दोनों के करीब छह वर्ष पूर्व बंश उर्फ हैंकी पैदा हुआ। आगे चलकर सुनीता व शैंकी के वैवाहिक संबंध खराब होते गए। दोनों ने सहमति से तलाक का मुकदमा हरियाणा में हिसार स्थित पारिवारिक न्यायालय में दाखिल किया। वहां सुनवाई के बाद दोनों के बीच 19 अगस्त 2021 को फैसला सुनाते हुए हिसार की अदालत ने दोनों के मध्य तलाक का आदेश कर दिया। साथ ही यह भी आदेश कर दिया कि छह वर्ष का नाबालिग लड़का मां के साथ ही रहेगा, लड़के का पिता कभी लड़के की कस्टडी क्लेम नहीं करेगा।
शैंकी ने प्रधान न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय दुर्ग नारायण सिंह की कोर्ट पर अधिवक्ता कौशल किशोर त्रिपाठी के माध्यम से गार्जियन, वार्ड्स एक्ट के तहत मुकदमा दायर किया। साथ ही उसने बेटे से मिलने, फोन पर बात कराने के साथ ही विजिटिंग राइट की मांग की। न्यायाधीश ने सुनीता को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। कोर्ट पर उसने एतराज दाखिल कर लड़के को पिता से मिलाने पर आपत्ति जताई। न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा कि तलाक दोनों पक्षों के बीच है। नाबालिग लड़के से तलाक नहीं है।