एक्सपर्ट एनालिसिस:पाकिस्तान मजबूर है, आर्टिकल 370 के बाद वह कश्मीर कार्ड नहीं खेल पा रहा है; भारत को उसके साथ मिलिट्री एक्सरसाइज में पार्टिसिपेट नहीं करना चाहिए
भारत-पाकिस्तान के संबंधों को लेकर एक बार फिर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। दरअसल पिछले कुछ दिनों में दोनों देशों के रिश्तों को लेकर कई डेवलपमेंट्स हुए हैं। कुछ बैक डोर से तो कुछ ओपन चैनल के जरिए। अब कहा जा रहा है कि दोनों देश वापस बातचीत के ट्रैक पर लौट रहे हैं। तो पहले हम ये जान लेते हैं कि वो कौन से बड़े डेवलमेंट्स हैं जो हाल के दिनों में हुए हैं।
ढाई साल में पहली बार पाकिस्तानी अफसरों का दल मंगलवार को दिल्ली पहुंचा था। दल के सदस्यों ने सिंधु नदी जल बंटवारे पर स्थायी आयोग की बैठक में भाग लिया। आर्टिकल 370, पुलवामा और बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद दोनों देशों के बीच पहली बार यह बैठक हुई। इससे पहले 2018 में दोनों देशों के बीच बैठक हुई थी।
PM नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को पाकिस्तान दिवस के मौके पर पाकिस्तान के PM इमरान खान को खत लिखा। उन्होंने पाकिस्तान से बेहतर संबंध रखने की इच्छा तो जताई, लेकिन कुछ शर्तों के साथ। PM मोदी ने दो टूक कहा कि इसके लिए भरोसे का वातावरण और आतंकवाद का अंत जरूरी है। इससे पहले पाकिस्तान आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा और PM इमरान खान भी भारत से बेहतर रिलेशनशिप की दिलचस्पी जता चुके हैं।
पाकिस्तान और भारत के संबंधों के बीच बड़ा डेवलपमेंट इस साल फरवरी में हुआ, जब दोनों देशों के बीच सीजफायर रोकने को लेकर DGMO लेवल की बातचीत हुई। इसमें तय किया गया कि 24-45 फरवरी की रात से ही उन सभी पुराने समझौतों को फिर से अमल में लाया जाएगा, जो दोनों देशों के बीच सीजफायर एग्रीमेंट को लेकर हुए हैं।
इस साल के अंत में भारत आजादी के बाद पहली बार पाकिस्तान के साथ एंटी टेररिज्म जॉइंट एक्सरसाइज में पार्टिसिपेट कर सकता है। इसकी अभी सरकारी तौर पर घोषणा नहीं हुई है, लेकिन ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि भारत इस कार्यक्रम से पीछे नहीं हटेगा, क्योंकि SCO रूस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है और भारत मॉस्को को नाराज होते नहीं देखना चाहता।
इस ओवरऑल डेवलपमेंट को लेकर हमने कुछ एक्सपर्ट्स से बातचीत की और उनकी राय जानने की कोशिश की...
1. क्या भारत और पाकिस्तान वाकई बातचीत के ट्रैक पर लौट रहे हैं ?
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल और पूर्व DGMO विनोद भाटिया कहते हैं कि दोनों देशों के बीच पिछले कुछ दिनों में जो डेवलपमेंट हुए हैं, उसे पॉजिटिव-वे में देखना चाहिए। उरी हमले के बाद हमने डायलॉग बंद कर दिया था क्योंकि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं हो सकती। अब अगर वह आगे बढ़कर डायलॉग की बात कर रहा है तो हमें पीछे हटने का कोई कारण नहीं बनता है। हम तो हमेशा से शांति के हिमायती रहे हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह कहते हैं कि पाकिस्तान की जो हिस्ट्री रही है, उस लिहाज से उस पर भरोसा करना मुश्किल है। वह हमेशा से एंटी इंडिया, टेररिज्म और कश्मीर को लेकर षड़यंत्र रचता रहा है, लेकिन हाल के दिनों में जो कुछ बदलाव पाकिस्तान की तरफ से देखने को मिला है, वह दोनों देशों के संबंधों के लिए अच्छा संकेत है।
हालांकि पूर्व विदेश महासचिव कंवल सिब्बल इसे बहुत बड़ा डेवलपमेंट नहीं मानते हैं। वे कहते हैं कि इसमें ऐसा कुछ भी नया या बहुत बड़ी हैपनिंग्स नहीं है। कुछ लोग हैं जो इन चीजों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं। कुछ लोगों की अपनी पॉलिटिकल लॉबी भी है जो कह रहे हैं कि देखिए पाकिस्तान शांति की पहल कर रहा है।
आप बताइए कि पाकिस्तान ने कब कहा कि वो कश्मीर पर बात नहीं करेगा? कभी नहीं कहा। तो क्या कश्मीर को लेकर पाकिस्तान से बातचीत हो सकती है? बिलकुल नहीं। अगर वह वाकई भारत से बेहतर संबंध चाहता है तो कश्मीर पर बात करना बंद करे। मुंबई धमाके में शामिल दोषियों को सजा दे, दाऊद इब्राहिम पर कार्रवाई करे। कुलभूषण जाधव को छोड़े तब तो माना जाए कि वह शांति चाहता है।
2. शांति की बात करना पाकिस्तान की मजबूरी है?
गुरमीत सिंह कहते हैं कि पाकिस्तान इस समय चारों तरफ से घिरा हुआ है। उसकी इकोनॉमी भी धराशाई हो गई है। ऊपर से इंटरनेशनल प्रेशर लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में उसकी मजबूरी है कि वह भारत से बात करे। विनोद भाटिया का भी मानना है कि भारत अभी एक ग्लोबल लीडर के रूप में उभर रहा है। दुनिया में हमारी ताकत बढ़ रही है। पाकिस्तान हमारा विरोध करके भी कुछ हासिल नहीं कर सकता है। इसलिए शांति की बात करना उसकी मजबूरी है।
कंवल सिब्बल कहते हैं कि जब से कश्मीर में आर्टिकल 370 खत्म हुआ है, पाकिस्तान परेशान है। वह अपने एजेंडे को आगे नहीं बढ़ा पा रहा है। अलगाववादी ताकतें भी कमजोर हुई हैं। कई देशों के साथ पाकिस्तान की डिप्लोमैसी खराब हो गई है। यहां तक कि सऊदी अरब और UAE भी उसके इस्लामिक कार्ड में साथ नहीं दे रहे हैं। दूसरी बात ये भी है कि जिस तरह से भारत ने चीन को करारा जवाब दिया है, उससे भी पाकिस्तान बैकफुट पर है। वो समझ गया है कि उसकी चीन से दोस्ती भी भारत के खिलाफ काम नहीं आने वाली है।
3. क्या भारत को एंटी टेररिज्म जॉइंट एक्सरसाइज में पार्टिसिपेट करना चाहिए?
विनोद भाटिया और गुरमीत सिंह का मानना है कि भारत को इसमें जरूर पार्टिसिपेट करना चाहिए। इससे पूरी दुनिया में पॉजिटिव मैसेज जाएगा कि भारत हर उस एक्सरसाइज में शामिल है जो आतंकवाद के खिलाफ है।
लेकिन कंवल सिब्बल इससे सहमत नहीं हैं। वे कहते हैं कि भारत को बिलकुल भी पाकिस्तान के साथ कोई जॉइंट एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए। अगर हम उसके साथ टेररिज्म के खिलाफ कोई एक्सरसाइज करते हैं तो दुनिया में क्या मैसेज जाएगा? कल को हम कैसे कहेंगे कि पाकिस्तान आतंकवाद को सपोर्ट करता है?
4. कितना स्थाई होगा ये डेवलपमेंट?
जनरल गुरमीत सिंह कहते हैं कि अब तक जो पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है, उसे देखें तो यह कहना मुश्किल होगा कि यह डेवलपमेंट कितना स्थाई होगा, लेकिन जब तक रहेगा इससे दोनों मुल्कों को फायदा होगा। वे कहते हैं कि यह डेवलपमेंट स्थाई होगा कि नहीं उसे जानने के लिए हमें यह समझना होगा कि आखिर पाकिस्तान शांति की बात क्यों कर रहा है? दरअसल पाकिस्तान समझ गया है कि अब चीजें बदल गई हैं। वो कुछ भी हरकत करेगा तो भारत उसका पुरजोर जवाब देगा। चाहे सर्जिकल स्ट्राइक हो या बालाकोट एयर स्ट्राइक, इससे पाकिस्तान बैकफुट पर है। वो नहीं चाहता है कि भारत उसके ऊपर कोई और स्ट्राइक करे।
विनोद भाटिया कहते हैं कि पाकिस्तान से बातचीत बहुत पहले से हो रही है। ऐसा नहीं है कि अभी ही डायलॉग शुरू हुआ है, लेकिन चीजें इतनी जल्दी ठीक नहीं हो सकती हैं। इसमें वक्त तो लगेगा।
5. किन सावधानियों के साथ भारत को आगे बढ़ना चाहिए?
जनरल गुरमीत सिंह कहते हैं कि अभी जिस तरह से हमारी तीनों सेनाएं साथ मिलकर काम कर रही हैं, उसे आगे भी कंटीन्यू रखना चाहिए। साथ ही हमें अपनी रेड लाइंस हमेशा ओपन रखनी चाहिए। POK और अक्साई चिन को लेकर हमारा स्टैंड क्लियर होना चाहिए। दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि पाकिस्तान और चीन दोनों ही भरोसे के काबिल नहीं हैं, इसलिए यह भी जरूरी है कि बातचीत के साथ हम पूरी तरह अलर्ट रहें, अपने इंटेलिजेंस को पुख्ता रखें।
कंवल सिब्बल कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान ने कहीं से शांति की बात कर दी तो हम आंख मूंदकर उस पर भरोसा ही कर लेंगे। हमें उसकी पूरी हिस्ट्री याद है। हमें उसकी हर हरकत का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार रहना चाहिए और कार्रवाई के लिए भी।
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