अब समझ आया कि ईश्वर की मूर्ति पत्थर की क्यों होती है...लखनऊ में जब हंसते हुए बोले थे अटल
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक सभा में तीन लाख रुपये भेंट किए जाने थे। मेहनत से पैसे जुटाने वाले कार्यकर्ताओं को एक-एक कर अटल जी को माला पहनाने का अवसर दिया गया। समर्थकों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। सभी लोग माला पहनाने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे, लेकिन उसके बाद भी अटल जी ने समर्थकों को निराश नहीं होने दिया।
भारत के तीन बार प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी की आज चौथी पुण्यतिथि है। इस मौके पर उनके व्यक्तित्व और शानदार राजनीति की वजह से सभी उनको याद कर रहे हैं। अटल जी का कभी किसी से विवाद नहीं हुआ, इसलिए अफसरशाही से लेकर विपक्षी दलों के लिए वो सर्वश्रेष्ठ नेताओं में से एक हैं। वहीं, देश के लिए उनके योगदान को देखते हुए वाजपेयी जी को साल 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। अटल जी एक कवि, पत्रकार एवं एक कुशल वक्ता भी थे। अटल बिहारी वाजपेयी ने हमेशा शिक्षा, समाज, भाषा और साहित्य पर जोर दिया था। अटल जी ने जब लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि अब समझ आया कि ईश्वर की मूर्ति पत्थर की क्यों होती है। ताकि वह भक्तों के प्यार को सहन कर सकें। इस बात पर वहां मौजूद लोग हंस पड़े थे।
माला पहनाने के लिए समर्थकों की उमड़ी थी भीड़
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक सभा में तीन लाख रुपये भेंट किए जाने थे। मेहनत से पैसे जुटाने वाले कार्यकर्ताओं को एक-एक कर अटल जी को माला पहनाने का अवसर दिया गया। समर्थकों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। सभी लोग माला पहनाने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे, लेकिन उसके बाद भी अटल जी ने समर्थकों को निराश नहीं होने दिया। सभी से एक- एक कर माला पहनते गए। उस दौरान उन्होंने कहा था कि अब समझ आया कि ईश्वर की मूर्ति पत्थर की क्यों होती है, ताकि वह भक्तों के प्यार को सहन कर सकें। इस बात पर वहां मौजूद लोग हंस पड़े थे।
लोकसभा चुनाव जीतने के बाद कही थी ये बात
पहली बार कम उम्र में लोकसभा चुनाव जीतने पर अटल जी ने हंसते हुए कहा था कि एक ही चुनाव में तीनों अनुभव हो गए। पार्टी ने उन्हें तीन संसदीय क्षेत्रों से चुनाव लड़ाया था। एक जगह से मेरी जमानत जब्त हो गई। दूसरे लोकसभा क्षेत्र से हार गया और तीसरे लोकसभा क्षेत्र से जीतकर आप लोगों के बीच में हूं। युवाओं की दिशा के संबंध में अटलजी ने कहा कि अनुशासित युवा ही देश को नई दिशा दे सकता है, लेकिन आज के युवाओं की मांग होती है कि पहले दिन से ही सिनेमा में छात्रों की छूट का टिकट मिले। पहले स्कूल और कॉलेज का परिचय पत्र दिखाने पर सिनेमा का टिकट आधा लगता था। यह छूट एक सप्ताह बाद मिलती थी।