बच्चा-बच्चा जानता है देश मोदी जी के हाथ में सुरक्षित... बच्ची संग वीडियो पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
बीजेपी की ओर से जारी वीडियो में पीएम मोदी छोटी बच्ची संग नजर आ रहे हैं। इस वीडियो में छोटी बच्ची पीएम मोदी के बगल में खड़ी है और बीजेपी की उपलब्धियों को गुजराती भाषा में बोल रही है। वहीं इस दौरान पीएम मोदी भी बच्ची से खासा प्रभावित नजर आ रहे हैं। बीजेपी के इस वीडियो को लेकर कांग्रेस पार्टी ने सवाल खड़े कर दिए हैं।
पीएम मोदी संग एक छोटी सी बच्ची का वीडियो बीजेपी ने जारी किया है। इस वीडियो के वायरल होते ही विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं। इस वीडियो में बच्ची गुजराती भाषा में बीजेपी की तारीफ करती नजर आ रही है। बच्ची गुजराती भाषा में बोलते हुए पार्टी के विकास कार्यों और उपलब्धियों को गिना रही है। इस वीडियो को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर प्रचार करने के तरीके पर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस ने कहा है कि बीजेपी अब अपने प्रचार के लिए बच्चों तक का इस्तेमाल कर रही है। कांग्रेस नेताओं ने इस पूरे मामले पर बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि अब चुनाव आयोग कहां है।
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ट्वीट किया वीडियो
बीजेपी नेता और केंद्र सरकार में मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पीएम मोदी के बच्ची संग साझा किये वीडियो को शेयर किया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कि अब तो देश का बच्चा-बच्चा जानता है कि मोदी जी के हाथों में देश पूरी तरह से सुरक्षित है। जिसको लेकर कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने प्रधान के वीडियो को रिट्वीट करते हुए निशाना साधा है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यह तो पूरी तरह से ज्यादती है कि पार्टी का प्रचार करने के लिए बच्चों का इस्तेमाल किया जा रहा है। बाल अधिकार संरक्षण आयोग को इस मामले का संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करनी चाहिए।
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने उठाए सवाल
बीजेपी के इस वीडियो को लेकर कांग्रेस की प्रवक्ता और पूर्व पत्रकार रहीं सुप्रिया श्रीनेत ने भी सवाल खड़े किए हैं। सुप्रिया ने धर्मेंद्र प्रधान के ट्वीट पर रिट्वीट करते हुए लिखा कि अब राजनीति में बच्चों का इस्तेमाल किया जा रहा है। पीएम राजनीति और चुनाव प्रचार के लिए छोटी बच्ची का सहारा ले रहे हैं। बाल अधिकार संरक्षण आयोग पर सवाल खड़े करते हुए सुप्रिया ने कहा कि क्या अब एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो कुंभकर्णी नींद सो रहे हैं। उन्होंने कहा कि क्या अब वे चुनाव आयोग को खर्रे नहीं लिखेंगे?