राष्ट्रपति चुनाव: जानिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने क्यों किया द्रौपदी मुर्मू को समर्थन, क्या हैं इसके मायने
बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर एनडीए की ओर से तय किए गए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बहुजन समाज पार्टी ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही द्रौपदी मुर्मू की दावेदारी काफी मजबूत हो गई है। राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार को एनडीए दलों के अलावा बीजू जनता दल का समर्थन मिल गया है। इसके साथ ही द्रौपदी मुर्मू को जीत के लिए निर्धारित आंकड़े से अधिक वोट मिलते दिख रहे हैं। विपक्षी दलों की ममता बनर्जी ने यशवंत सिन्हा का नाम आगे बढ़ाया है। हालांकि, देश के तमाम विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने में ममता बनर्जी अब कामयाब होती नहीं दिख रही हैं।
भाजपा की ओर से समर्थित राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। इसके बाद से उनको समर्थन का बसपा सुप्रीमो मायावती की ओर से बड़ा ऐलान किया है। मायावती ने इस समर्थन का ऐलान करते हुए कहा कि आदिवासी समाज बसपा के मूवमेंट का खास हिस्सा है। द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का फैसला इस कारण लिया गया है। उन्होंने साफ किया कि उनकी पार्टी ने यह फैसला भाजपा या एनडीए के पक्ष में नहीं लिया गया है। साथ ही, उन्होंने विपक्षी पार्टियों के विरोध में द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दिए संबंधी फैसला न लिए जाने की बात कही है। मायावती ने इस फैसले से एक तीर से दो शिकार किया है। एक तो उन्होंने आदिवासी चेहरे को समर्थन देकर इस समाज के बीच अपनी पहुंच को बढ़ाने की कोशिश की है। साथ ही, एक पार्टी की महिला अध्यक्ष के एक महिला को समर्थन देकर आधी आबादी को भी संदेश देने की कोशिश करती वे दिखती हैं। मायावती की घोषणा से उनकी पार्टी के 10 सांसद और एक विधायक का वोट राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार को मिल जाएगा। यह एनडीए उम्मीदवार के जीत के अंतर को बड़ा करेगा।
क्या है मायावती के फैसले के मायने?
बसपा सुप्रीमो के फैसले के काफी गंभीर अर्थ निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो मायावती एक बड़े वर्ग के बीच खुद को दलित और आदिवासी समाज के हितैषी के रूप में अपनी छवि बनाए रखना चाहती हैं। बसपा यूपी के साथ-साथ उत्तराखंड, झारखंड और अन्य राज्यों में भी किस्मत आजमाती रही है। इन इलाकों में पार्टी अपनी अलग छवि के साथ वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में उतरने की रणनीति बना रही है। द्रौपदी मुर्मू को समर्थन का ऐलान करते हुए मायावती ने कहा भी कि हमारी पार्टी ने आदिवासी समाज को अपने मूवमेंट का खास हिस्सा मानते हुए द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए अपना समर्थन देने का निर्णय लिया है। हालांकि, मायावती के खिलाफ यूपी चुनाव 2022 के बाद अखिलेश यादव ने भाजपा को समर्थन देने का आरोप लगाया था। अब राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने के बाद सपा इस मामले को अधिक गंभीरता से उठा सकती है।
बसपा ने 2017 में भी किया था एनडीए उम्मीदवार का समर्थन
वर्ष 2017 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान एनडीए की ओर से रामनाथ कोविंद को उम्मीदवार बनाया गया था। उस समय भी मायावती ने उन्हें समर्थन दे दिया था। बहुजन समाज की राजनीति करने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती ने समर्थन की घोषणा कर खुद को इस वर्ग से जोड़े रखने की कोशिश करती दिखी थीं। मायावती ने तब कहा भी था कि वे भारतीय जनता पार्टी की नीतियों का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन दलित समाज के उम्मीदवार को समर्थन देंगे। सपा और बसपा के समर्थन की घोषणा के बाद भाजपा उम्मीदवार के आराम से जीतने की संभावना प्रबल हो गई थी। पिछले चुनाव के समय मायावती के सामने प्रदेश के एक दलित चेहरे के समर्थन या विरोध की चुनौती थी, उस समय उन्होंने इसे समर्थन देकर अपने आधार को बचाने का प्रयास किया।