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सचिन पायलट के अनशन में राहुल-प्रियंका की मौन सहमति? अशोक गहलोत के साथ हाईकमान का यह कैसा गेम

सचिन पायलट ने पार्टी लाइन से अलग जाकर अनशन शुरू कर दिया है। इस अनशन को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। चर्चा हो रही है कि क्या सचिन पायलट के इस विरोध को कांग्रेस आलाकमान का मौन सपोर्ट है। क्या कांग्रेस आलाकमान ही चाहता है कि पायलट सीएम अशोक गहलोत पर दबाव बनाएं।

सचिन पायलट के अनशन में राहुल-प्रियंका की मौन सहमति? अशोक गहलोत के साथ हाईकमान का यह कैसा गेम

राजस्थान के पूर्व डेप्युटी सीएम सचिन पायलट के अनशन पर राजनैतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर चल पड़ा है। ऐसी भी चर्चा हो रही है कि क्या सचिन पायलट ने यह कदम राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के इशारे पर तो नहीं उठाया है। करीब 6 महीने पहले सितंबर 2022 में गांधी परिवार सचिन पायलट को बड़ी जिम्मेदारी देने वाला था। कहा यह भी जा रहा है कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी जाने वाली है। इसी अंदेशे के कारण गहलोत समर्थक विधायकों ने मुख्यमंत्री आवास पर होने वाली विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर दिया था। गहलोत का समर्थन करते हुए 80 से ज्यादा विधायकों ने 25 सितंबर 2022 की आधी रात को विधानसभा अध्यक्ष के घर जाकर इस्तीफे सौंप दिए थे। इसके पीछे वजह यही थी कि कांग्रेस आलाकमान सचिन पायलट को बड़ी जिम्मेदारी देने वाला था जो गहलोत के कट्टर समर्थकों को मंजूर नहीं था।

सितंबर 2022 के घटनाक्रम को याद करें
25 सितंबर 2022 के घटनाक्रम को कौन भूल सकता है। जब गहलोत समर्थक विधायकों ने आलाकमान के खिलाफ बगावत कर दी थी। आलाकमान के निर्देश पर बुलाई गई विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करते हुए शांति धारीवाल के आवास पर सामानान्तर बैठक की गई। तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने इस हरकत को पार्टी विरोधी बताया था और इसे अनुशासनहीनता बताते हुए सोनियां गांधी को लिखित में शिकायत की। बाद में शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेन्द्र राठौड़ को नोटिस जारी किए, लेकिन 5 महीने बीतने के बावजूद अनुशासन समिति ने इन तीनों नेताओं के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। सचिन पायलट बार बार यह बयान देते आए हैं कि कांग्रेस की अनुशासन समिति को अपना फैसला सुनाना चाहिए लेकिन कोई फैसला नहीं सुनाया गया।

आलाकमान के खिलाफ खुलकर बगावत की थी गहलोत गुट ने
सितंबर 2022 को होने वाली विधायक दल की बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पास होना था। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का यह प्रस्ताव लेकर प्रदेश प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खरगे जयपुर आए थे। यह प्रस्ताव राजस्थान के मुख्यमंत्री के बारे में अंतिम निर्णय करने का अधिकार कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व को दिए जाने का था। गहलोत गुट के विधायकों को इस प्रस्ताव की भनक लग गई तो उन्होंने मुख्यमंत्री निवास पर होने वाली बैठक का बहिष्कार किया और आलाकमान के खिलाफ बगावत करते हुए सामानान्तर बैठक की। इस बैठक में साफ साफ कहा गया था कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया जाने वाला है जो उन्हें कतई मंजूर नहीं है।

चाहकर भी कुछ नहीं कर पाया गांधी परिवार
गांधी परिवार के दो कर्णधार राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सचिन पायलट के पक्षधर हैं। वह हर बार सचिन पायलट का समर्थन करते हुए उन्हें आश्वासन देते रहे हैं कि उन्हें उचित समय पर उचित जिम्मेदारी दी जाएगी, लेकिन राहुल और प्रियंका के चाहने के बावजूद केन्द्रीय नेतृत्व ऐसा कोई निर्णय नहीं ले पाया जो सचिन पायलट के हित में हो। सितंबर 2022 में जब गहलोत गुट के अधिकतर विधायकों ने आलाकमान के खिलाफ बागावत की थी तो गहलोत गुट के राजेन्द्र सिंह गुढा और विधायक दिव्या मदेरणा ने अपनी ही पार्टी के विधायकों के खिलाफ खुलकर बयान दिए थे। उन्होंने साफ कहा कि अगर केन्द्रीय नेतृत्व किसी को राजस्थान की कामन सौंप रहे हैं तो किसी को हर्ज नहीं होना चाहिए। केन्द्रीय नेतृत्व का हर फैसला स्वागत योग्य है।

हर कदम पर साथ रखा सचिन पायलट को
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने सचिन पायलट को विशेष अहमियत दी थी। पायलट कई राज्यों के विभिन्न शहरों में राहुल गांधी के साथ पैदल चले थे। राहुल गांधी ने सचिन पायलट पर कई बार पूरा भरोसा जताया था। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी भी सचिन पायलट के साथ यूपी में कई आन्दोलन कर चुकी हैं। वे हर कदम पर पायलट को साथ रखना चाहती हैं। हिमाचल प्रदेश में हुए विधानसभा चनावों में गांधी परिवार ने सचिन पायलट को प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी सौंपी थी। पायलट ने 40 से ज्यादा स्थानों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों के साथ जनसभाएं की और पार्टी की रीति नीति के बारे बताते हुए जनता से समर्थन मांगा था। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सत्ता पर काबिज होने में कामयाब रही लेकिन राजस्थान में सचिन पायलट को विशेष जिम्मेदारी नहीं दी जा सकी। ऐसे में सियासी गलियारों में ऐसी चर्चाएं चल रही है कि अशोक गहलोत के कामकाम पर सवाल उठाए हुए सचिन पायलट का अनशन कहीं राहुल और प्रियंका गांधी के इशारे पर तो नहीं हो रहा है।

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