Akhilesh Yadav क्यों बता रहे BJP ने खेती को घाटे का सौदा बनाया? जानिए योगी सरकार पर हमले की बड़ी वजह
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव किसानों की समस्याओं को लेकर भाजपा पर हमलावर हैं। वे खेती को घाटे का सौदा बनाए जाने के लिए सत्ताधारी पार्टी को घेर रहे हैं। दरअसल, आलू किसानों को हो रहे घाटे को लेकर उनका यह ताजा हमला सामने आया है। वे योगी सरकार को घेर रहे हैं।
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार ने कृषि को घाटे का सौदा बना दिया है। किसानों को उनकी कृषि उपज के लिए कम कीमत देने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए, अखिलेश ने एक बयान में कहा, क्या किसान नुकसान झेलने के बाद अगली फसल बोने के बारे में सोचेंगे? आलू इस बार सरकार को गिरा देगी। किसानों की आय दोगुनी करने का वादा करने वाली भाजपा को आलू की वजह से 2024 में हार का सामना करना पड़ेगा। अखिलेश यादव आलू किसानों को हो रही परेशानी के मसले पर योगी आदित्यनाथ सरकार को घेर रहे हैं।
अखिलेश यादव ने दावा किया कि भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण किसानों का शोषण हो रहा है। उन्होंने कहा कि होली के दिन परेशान आलू किसानों को कोल्ड स्टोरेज के बाहर कतारों में संघर्ष करते देखा गया, लेकिन मुख्यमंत्री इस स्थिति से बेखबर हैं। लागत बढ़ने के बावजूद आलू किसानों को उनकी उपज के कम दाम मिल रहे हैं। किसानों की स्थिति खराब हो रही है। पूरे मामले को लेकर राजनीति तेज हो गई है। अखिलेश इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से उठाने की कोशिश में हैं।
अखिलेश ने कहा कि सपा फसलों के लिए एमएसपी की मांग कर रही है, लेकिन भाजपा सरकार पंजीपतियों को संरक्षण दे रही है। उन्होंने कहा कि एमएसपी पर आलू खरीदने के बजाय, सरकार ने उन्हें 650 रुपये प्रति क्विंटल (बाजार हस्तक्षेप योजना-एमआईएस के तहत) खरीदने की पेशकश की है।आलू उत्पादन व अन्य पहलुओं को ध्यान में रखते हुए आलू कस खरीद मूल्य कम से कम 1500 रुपये प्रति क्विंटल तय किया जाना चाहिए।
अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार ने आलू किसानों पर कहर बरपाया है। आलू किसानों को उनकी फसल के कम दाम मिल रहे हैं जबकि लागत बढ़ रही है। किसान निराशा में जी रहे हैं। सपा प्रमुख ने कहा कि धान और गेहूं के क्रय केंद्रों पर अफरातफरी का माहौल है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां कम दामों पर फसल खरीद रही हैं। किसान मजबूरी में बेच रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाराबंकी में आलू की बंपर पैदावार हुई है, लेकिन किसान को न तो उचित दाम मिल रहा है और न ही आलू के भंडारण की उचित व्यवस्था है।