Umesh Pal Murder में अतीक अहमद का पूरा परिवार नामजद, गुजरात से यूपी लाया जा सकता है माफिया!
प्रयागराज में उमेश पाल और उसके सुरक्षाकर्मी की हत्या के मामले में धूमनगंज थाने में शनिवार को पूर्व सांसद अतीक अहमद समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। मामले की जांच के लिए 8 से 10 टीमें बनाई गई हैं और ये टीम अलग-अलग जगहों पर छापेमारी कर रही है।
उत्तर प्रदेश की विधानसभा में शनिवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज में उमेश पाल की हत्या के मामले पर अपराधियों को सख्त चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि वह इस हत्या के साजिशकर्ताओं को मिट्टी में मिला देंगे। खासतौर पर अतीक अहमद का नाम लेते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वह यूपी से बाहर है लेकिन उनकी सरकार का संकल्प है कि प्रदेश में माफियाओं को मिट्टी में मिला दिया जाएगा। प्रदेश की पुलिस अब इस दिशा में काम करती हुई भी नजर आने लगी है। उमेश पाल के हत्यारों का पता लगाने के लिए प्रयागराज की पुलिस ने 10 टीमों का गठन किया है, जो हर संदिग्ध ठिकानों पर दबिश दे रही हैं। टीमें जगह-जगह छापेमारी भी कर रही हैं। सीसीटीवी वीडियो क्लिप के जरिए अपराधियों की शिनाख्त कर उनकी तलाश की जा रही है।
अतीक अहमद, उसकी पत्नी, बेटों और 9 अन्य साथियों के खिलाफ पुलिस ने केस भी दर्ज कर लिया है। ऐसी भी चर्चा चल रही है कि गुजरात के साबरमती जेल में बंद माफिया अतीक अहमद से भी इस मामले में पूछताछ की जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक, यह भी कहा जा रहा है कि अतीक को गुजरात से उत्तर प्रदेश भी लाया जा सकता है। इसके लिए यूपी एसटीएफ की एक टीम गुजरात जाएगी। हालांकि, पुलिस अधिकारियों की ओर से इसकी पुष्टि नहीं की गई है लेकिन हत्याकांड में बार-बार अतीक का नाम आने और मुकदमे में नामजद दर्ज होने के बाद केस की कार्रवाई को आगे बढ़ाने के लिए माफिया की यूपी वापसी कराई जा सकती है। अतीक के खिलाफ बुलडोजर ऐक्शन जैसा सख्त फैसला भी लिया जा सकता है।
इससे पहले एडीजी अमिताभ यश से मिले निर्देश के बाद यूपीएसटीएफ की कई टीमों ने बीती रात अतीक के गुर्गों की तलाश में कौशांबी, प्रयागराज, आजमगढ़ और मऊ में छापेमारी की है। इसके अलावा उमेश पाल के हत्यारों से जिस क्रेटा गाड़ी में आकर उमेश की हत्या की थी, उसको अतीक के घर से कुछ दूरी पर बरामद किया गया है। बता दें कि उमेश पाल की पत्नी जया पाल की शिकायत पर धूमनगंज थाने में अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ, उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन, उसके दो बेटों, उसके साथी गुड्डू मुस्लिम और गुलाम एवं 9 अन्य साथियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147, 148, 149, 302, 307, 506, 120-बी, 34, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 की धारा 3 और आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 1932 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया।
प्राथमिकी में जया पाल ने आरोप लगाया है कि उनके पति उमेश पाल, विधायक राजू पाल हत्याकांड के चश्मदीद गवाह थे और वर्ष 2006 में पूर्व सांसद अतीक अहमद और उनके साथियों ने उमेश पाल का अपहरण करके अदालत में ले जाकर जबरदस्ती अपने पक्ष में गवाही दिलाई थी। जया पाल ने कहा है कि उमेश पाल ने अपहरण की प्राथमिकी लिखवाई थी और इस मामले में मुकदमा चल रहा है। जया पाल ने शिकायत में कहा कि शुक्रवार को इसी मुकदमे में सुनवाई होनी थी जिसके लिए उमेश पाल अपने भतीजे की कार से अपने दो सुरक्षाकर्मियों- संदीप निषाद और राघवेंद्र सिंह के साथ जिला अदालत गए थे।
जया पाल ने शिकायत में कहा कि अदालत से घर वापस आने पर गली में जैसे ही उमेश पाल और उनके सुरक्षाकर्मी कार से उतरे, अतीक अहमद के बेटे, गुड्डू मुस्लिम, गुलाम और इनके नौ साथियों ने उमेश पाल और इनके सुरक्षाकर्मियों पर बम और गोली से जानलेवा हमला कर दिया जिससे उमेश पाल और उनके सुरक्षाकर्मी बुरी तरह घायल हो गए। शिकायत में जया पाल ने कहा, ‘‘घटना में कार में बैठा ड्राइवर प्रदीप शर्मा बाल-बाल बच गया। सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में घटना को देख मैं गली की ओर भागी और देखा कि ये लोग गोलियां चलाते हुए वहां से भाग गए। परिवार और आसपास के लोग उमेश पाल और उनके दो सुरक्षाकर्मियों को घायल अवस्था में अस्पताल ले गए जहां मेरे पति उमेश पाल और गनर संदीप निषाद की मृत्यु हो गई। वहीं, दूसरे गनर राघवेंद्र सिंह का इलाज हो रहा है।’’
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि उमेश पाल और संदीप निषाद की हत्या पूर्व सांसद अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ और उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन द्वारा साजिश करके अतीक के बेटों और सहयोगियों द्वारा कराई गई है। शुक्रवार की शाम हुई इस घटना के बाद उमेश पाल की स्वरूपरानी अस्पताल में मृत्यु हो गई, जबकि देर रात सुरक्षाकर्मी संदीप निषाद की मृत्यु हो गई। पुलिस आयुक्त रमित शर्मा ने शुक्रवार को संवाददाताओं को बताया था कि इस मामले की जांच के लिए आठ से दस टीम बनाई गई है और ये टीम अलग अलग जगह गई हुई हैं। उन्होंने कहा किसीसीटीवी फुटेज के आधार पर पता लगाया जा रहा है कि हमलावर कितनी संख्या में थे। गौरतलब है कि राजू पाल बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक थे और 2005 में उनकी हत्या कर दी गयी थी। उमेश पाल उस हत्याकांड के मुख्य गवाह थे।