कोटा फैक्ट्री में डॉक्टर-इंजीनियर के सपनों पर भारी 'तनाव', 2 लाख बच्चों के पेरेंट्स की बैचेनी बढ़ाने वाले हैं ये आंकड़े
राजस्थान के कोटा शहर में दो दर्जन से अधिक कोचिंग सेंटर में करीब 2 लाख छात्र अपने सपनों को पूरा करने में जुटे हैं। 8वीं से 12वीं क्लास तक पढ़ाई करने वाले इन बच्चों के लिए उनके परेंट्स सालाना ढाई लाख रुपए तक खर्च करते हैं।
मन में इंजीनियर और डॉक्टर बनने का सपना संजोए लाखों बच्चे अपने बचपन से समझौता करके कोटा पहुंचते हैं। कोटा की बड़ी-बड़ी मल्टीलेवल बिल्डिंग की कोचिंगों में लाखों रुपये फीस देकर आआईटी और नीट की तैयारी करते हैं। बच्चों के ये बड़े सपने कब उनपर बोझ बन जाते हैं पता नहीं लगता। इंजीनियर और डॉक्टर बनाने वाली 'कोटा फैक्ट्री' में बच्चे खुद को फंदे पर लटका रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी इस साल कोटा में 14 छात्रों ने सुसाइड कर लिया। ये बच्चे पढ़ने में अच्छे और अपने लक्ष्य के प्रति फोकस्ड थे। लेकिन न जाने कौन सी बात ने इन्हें भीतर से इतना कमजोर कर दिया कि इन्होंने अपनी जान दे दी।
बिहार के गया के रहने वाले 18 साल के उज्ज्वल, बिहार के त्रिवेणीगंज के 16 साल के अंकुश आनंद और मध्य प्रदेश के शिवपुरी के 17 साल के प्रणव वर्मा ने 11 से 12 दिसंबर को अपने हॉस्टल के कमरे में सुसाइड कर लिया। ये तीनों छात्र कोटा में आआईटी और नीट की तैयारी कर रहे थे। ये तीनों उन 14 छात्रों में शामिल हैं, जिन्होंने इस साल कोचिंग सेंटर हब में कड़े कॉम्पिटिशन वाली प्रवेश परीक्षा की तैयारी करते हुए सुसाइड कर लिया। कोटा शहर में उत्तर भारत के करीब पौने दो लाख बच्चे आईआईटी और नीट की तैयारी करने के प्रेशर को झेलते हैं। इनमें से ज्यादातर बच्चे मध्यमवर्गीय परिवारों से आते हैं।
वजह सिर्फ एक... परीक्षा का तनाव
कोटा के एसपी केसर सिंह शेखावत ने बच्चों के सुसाइड की केवल एक वजह बताई है और वो है परीक्षा का तनाव। लेकिन कोटा के जिला मजिस्ट्रेट ओपी बुनकर ने सुसाइड की इन घटनाओं के और भी कारण बताए हैं। उनका कहना है कि बच्चों के सुसाइड के पीछे तनाव के साथ साथ अफेयर जैसी समस्याएं भी शामिल हैं। लेकिन तीनों बच्चों के माता-पिता ने कहा कि उन्होंने अपने बच्चों को किसी तरह के तनाव में नहीं देखा। उनके ऊपर न ही परिवार का कोई दवाब था और न ही किसी तरह की आर्थिक तंगी थी।
पेरेंट्स की नजर में हॉस्टल भी दोषी
बच्चों के परिवार ने सुसाइड के लिए हॉस्टल को दोषी ठहराया। परिवारों का कहना है कि वहां कुछ भी भयावह हो सकता है इसलिए इसकी जांच सीबीआई से की जानी चाहिए। बता दें कि राजस्थान के कोटा शहर मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम की कोचिंग के लिए जाना जाता और देशभर के विभिन्न राज्यों से यहां पहुंचते हैं। इस साल करीब दो लाख से अधिक स्टूडेंट्स अभी कोचिंग संस्थानों में यहां पढ़ रहे हैं। कोचिंग संस्थान मालिकों पर पेरेंट्स को आरोप है कि मोटा पैसा कमाने के चक्कर में बिना काउंसलिंग के स्टूडेंट्स को एडमिशन दे दिया है। भेड़ बकरियों की तरह क्लास रूम में बच्चों को बैठाया जाता है। यही कारण है कि पढ़ाई के तनाव में बच्चे सुसाइड कर रहे हैं।