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प्राण-प्रतिष्ठा: सरयू की बाढ़ में भी सुरक्षित रहेगा राम मंदिर, ये विशेषताएं सदियों तक सुरक्षित रखेंगी रामलला

राम मंदिर की चमक सदियों तक मौसम की मार से सुरक्षित रहेगी। राममंदिर की चौखट की ऊंचाई सरयू तल से 107 मीटर है। मंदिर का निर्माण इस तरह हुआ है जिससे कि यह सदियों तक सुरक्षित रह सके।

प्राण-प्रतिष्ठा: सरयू की बाढ़ में भी सुरक्षित रहेगा राम मंदिर, ये विशेषताएं सदियों तक सुरक्षित रखेंगी रामलला

रामजन्मभूमि परिसर में निर्माणाधीन राममंदिर इंजीनियरिंग की अद्भुत संरचना है। राममंदिर की 14 मीटर गहरी नींव पत्थरों की चट्टान से निर्मित है। मौसम की मार यानी धूप, बरसात आदि से मंदिर की चमक सदियों तक धूमिल नहीं होगी। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का यह दावा है। वे बताते हैं कि राममंदिर के चौखट की ऊंचाई सरयू तल से 107 मीटर है।

चंपत राय के अनुसार, पीएम नरेंद्र मोदी ने राममंदिर के लिए जहां भूमिपूजन किया था, उसकी सरयू तल से ऊंचाई 105 मीटर है। रडार सर्वे के बाद यह तय हुआ था कि गर्भगृह स्थल पर गहराई तक मलबा जमा है, जिसके बाद मलबा हटाने का निर्णय लिया गया और 40 फीट तक खोदाई की गई। 30 फीट की खोदाई पूरी होने के बाद प्राकृतकि मिट्टी मिलने लगी थी। इसलिए 40 फीट से ज्यादा गहराई तक खोदाई करने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई। हालांकि मिट्टी का समतलीकरण 40 नहीं बल्कि 42 फीट तक किया गया है। ऐसे में सरयू तल से राममंदिर की चौखट की ऊंचाई 107 मीटर हो जाती है। ऐसे में सरयू की बाढ़ से भी यह मंदिर सुरिक्षत रहेगा।

चंपत राय बताते हैं कि मंदिर में पूर्व दिशा से भक्तों को प्रवेश मिलेगा। गर्भगृह मंदिर के सबसे आखिरी हिस्से में होगा। मंदिर के चारों दिशाओं में रिंगरोड की तर्ज पर सड़क का निर्माण हो रहा है। इन सड़कों का प्रयोग आपातकाल में किया जा सकेगा। रामजन्मभूमि परिसर में महर्षि वाल्मकि, महर्षि वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषादराज, शबरी, जटायु, अहिल्या का भी मंदिर बनाया जाएगा। परिसर स्थित कुबेर टीला पर प्राचीन शिवमंदिर का भी सुंदरीकरण कराया जा रहा है। कुबेर टीले पर ही पक्षीराज जटायु की मूर्ति स्थापित की गई है। युद्ध के लिए तैयार मुद्रा में जटायु की मूर्ति भक्तों को आकर्षित करेगी।

राममंदिर के 70 फीसदी भाग में होगी हरियाली
रामजन्मभूमि परिसर 70 एकड़ का है। परिसर के केवल 30 फीसदी भाग में निर्माण होगा, शेष 70 फीसदी में हरियाली होगी। परिसर स्थित 600 पेड़ों को सुरक्षित किया गया है। नगर निगम के सीवर, ड्रेनेज पर 70 एकड़ के परिसर का लोड नहीं होगा। परिसर में दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट व एक पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है। जनरेटर की भी व्यवस्था रहेगी। राममंदिर में दिव्यांग, वृद्ध श्रद्धालुओं के लिए भी विशेष सुविधा होगी। मंदिर में दो लिफ्ट लगाई जाएगी। प्रवेश द्वार पर दो रैंप भी बनाए गए हैं। तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए 200 टॉयलट ब्लॉक बनाए जा रहे हैं।

शिव पंचायतन की भी होगी स्थापना
श्रीरामजन्मभूमि परिसर में शिव पंचायतन के स्थापना की कल्पना की गई थी। शिव पंचायतन में भगवान सूर्य, शंकर, गणेश, भगवती व भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित की जाती है। मंदिर के चारों दिशाओं में 14 फीट चौड़े परकोटे का निर्माण हो रहा है, जिसकी लंबाई 800 मीटर होगी। परकोटे में छह मंदिर होंगे। सूर्य, शंकर, भगवती व गणपति की स्थापना होगी। मंदिर के बीचों बीच श्रीरामलला विराजमान होंगे, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। इस तरह शिव पंचायतन की परिकल्पना साकार हो जाती है। परकोटे के दक्षिण में हनुमान जी व उत्तर में माता अन्नपूर्णा का मंदिर बनेगा।

नए मंदिर में नंगे पैर दर्शन कर सकेंगे श्रद्धालु
नए मंदिर में श्रद्धालुओं की आस्था का भी ध्यान रखा जाएगा। श्रद्धालु नंगे पैर दर्शन कर पाएंगे। अभी अस्थायी मंदिर परिसर में जूता-चप्पल पहनकर श्रद्धालुओं के जाने की अनुमति है, इस पर कई बार सवाल भी खड़े हुए हैं, लेकिन पर्याप्त संसाधन न होने के कारण ट्रस्ट नंगे पैर दर्शन की व्यवस्था नहीं करा पा रहा था। नए मंदिर परिसर में तीर्थयात्री सुविधा केंद्र का निर्माण आठ एकड़ में किया जा रहा है। यहां 25 हजार श्रद्धालु अपने सामान, जूता, चप्पल रख सकेंगे। उनके बैठने के लिए बेंच, पंखे समेत अन्य सुविधाएं भी होंगी। यहां एक चिकित्सा केंद्र भी होगा, जिसमें अनुभवी चिकित्सकों की नियुक्ति की जाएगी।

इन विशेषताओं के चलते सदियों तक सुरक्षित रहेगा
- मंदिर में राजस्थान, तेलंगाना व कर्नाटक के पत्थरों का इस्तेमाल।
- मंदिर में कुल 21 लाख क्यूबिक पत्थरों का इस्तेमाल
- मंदिर को ऊंचा बनाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ढाली गई।
- मंदिर की नींव 14 मीटर गहरी।
- कंकरीट, स्टोन डस्ट व थर्मल पाॅवर के फ्लाई ऐश से नींव भरी गई।
- 1-1 फीट की 46 लेयर डालकर रोलर से कांपैक्ट किया गया।
- मिट्टी की कटान रोकने के लिए पश्चिम दिशा में रिटेनिंग वॉल का निर्माण।
- मंदिर में लगने वाले एक-एक पत्थरों की जांच इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रॉक मैकेनिक के इंजीनियरों ने की है।

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