रायबरेली: SP को युवक द्वारा टैक्सी नहीं देने पर चोरी के फर्जी केस में फ़साने का आरोप, हाई कोर्ट ने मां की अपील के बाद SIT जांच के दिए आदेश
लखनऊ खंडपीठ में एक बुजुर्ग मां ने याचिका दाखिल कर न्यायालय को बताया कि एमबीए शिक्षित उसके बेटे को चोरी के फर्जी मामले में सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया है क्योंकि उसने रायबरेली के एसपी अभिषेक अग्रवाल को टैक्सी देने से मना कर दिया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में एक बुजुर्ग मां ने याचिका दाखिल किया । याचिका के माध्यम से याची ने न्यायालय को बताया कि एमबीए शिक्षित उसके बेटे को चोरी के फर्जी मामले में सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया है क्योंकि उसने रायबरेली के एसपी अभिषेक अग्रवाल को टैक्सी देने से इंकार कर दिया था।
न्यायालय ने मामले को बहुत गंभीर मानते हुए, पुलिस महानिदेशक को मामले में एसआईटी गठित कर जांच कराने का आदेश दिया है। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि एसआईटी में ऐसे अधिकारी रखे जाएं जो एसपी अभिषेक अग्रवाल व मामले में शामिल अन्य पुलिस अधिकारियों से वरिष्ठ हों। इसी के साथ न्यायालय ने दो माह में एसआईटी को अपनी रिपोर्ट पेश करने का भी आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी व न्यायमूर्ति एनके जौहरी की खंडपीठ ने गोमती मिश्रा की याचिका पर पारित किया। याचिका के माध्यम से याची ने न्यायालय को बताया कि उसके बेटे अलख मिश्रा को 30-31 मार्च की रात को पुलिस ने रायबरेली के मौरांवा पेट्रोल पम्प से गिरफ्तार किया व उसे थाना खीरो ले जाया गया, जहां उसे मारा पीटा गया तथा अगले दिन 31-1 की रात को उसकी हिंदूपुर गाँव में चोरी के दौरान गिरफ़्तारी दिखा दी। कहा गया कि 30-31 मार्च को पेट्रोल पम्प से की गई गिरफ़्तारी की सीसीटीवी फुटेज मौजूद है।
न्यायालय ने मामले में पुलिस अधिकारियों से जवाब मांगा लेकिन कोर्ट द्वारा कई बार समय दिए जाने के बावजूद रायबरेली पुलिस की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया जा सका व पुलिस अधिकारी सिर्फ यही दोहराते रहे कि अलख मिश्रा को 31 मार्च-1 अप्रैल की रात्रि में गिरफ्तार किया गया है।