UP: आज नैमिषारण्य का दौरा करेंगे CM योगी, तपोभूमि से अध्यात्म संग स्वच्छता की साधना का देंगे संदेश
88 हजार ऋषियों की तपो भूमि नैमिषारण्य से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को बड़ा संदेश देंगे जिसका प्रभाव आगामी लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिलेगा। वेद-पुराणों की आध्यात्मिक व पौराणिक थाती को अपने अंक में समेटे तीर्थ से वह वैदिक स्वरूप को संरक्षित करने में सरकार के प्रयासों का जिक्र कर समर्थन जुटाएंगे। मुख्यमंत्री का करीब पौने तीन घंटे तक तीर्थनगरी में प्रवास का कार्यक्रम है।
88 हजार ऋषियों की तपो भूमि नैमिषारण्य से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को बड़ा संदेश देंगे, जिसका प्रभाव आगामी लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिलेगा। वेद-पुराणों की आध्यात्मिक व पौराणिक थाती को अपने अंक में समेटे तीर्थ से वह वैदिक स्वरूप को संरक्षित करने में सरकार के प्रयासों का जिक्र कर समर्थन जुटाएंगे।
साथ ही महामारी व संक्रामक रोगों को रोकने में नैमिष के अरण्य स्वरूप और स्वच्छ वातावरण के महत्व को रेखांकित कर अध्यात्म संग स्वच्छता की साधना का संदेश देंगे।
वेद विज्ञान केंद्र, वेदारण्यम, कारीडोर, हेलीपोर्ट सहित विभिन्न विकास कार्यों की प्रगति की जहां वह अधिकारियों संग समीक्षा करेंगे वहीं तीर्थ के वैदिक स्वरूप के अनुरूप विकास पर संत-महंतों से भी चर्चा करेंगे। लोकसभा चुनाव की सरगर्मियों और विपक्षी दलों की सक्रियता के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नैमिषारण्य दौरा अहम माना जा रहा है।
गौरतलब है कि यहां सपा जून माह में प्रशिक्षण शिविर लगा चुकी है और कांग्रेस तीन अक्टूबर को सीतापुर में जोनल अधिवेशन करने जा रही है।मुख्यमंत्री के इस कार्यक्रम से विपक्षी दलों की धड़कनें बढ़ गई हैं।
विपक्षी दलों की तैयारियों की कुंद करेंगे धार
मुख्यमंत्री वैसे तो दर्शन-पूजन व स्वच्छता कार्यक्रम में हिस्सा लेने आ रहे हैं, लेकिन वह इस बीच विपक्षी दलों पर तंज कसकर उनकी चुनावी तैयारियों की धार को भी कुंद करेंगे। वह राम चरित मानस पर टिप्पणी करने वालों, सपा के नैमिषारण्य में हुए प्रशिक्षण शिविर और उनके नेताओं के बयानों का भी तीर्थनगरी से जवाब दे सकते हैं। वह भाजपा सरकार में तीर्थ के विकास और विपक्षी दलों की उपेक्षा का हवाला देकर उनको घेर सकते हैं।
दौरे में अध्यात्म को प्राथमिकता
मुख्यमंत्री का करीब पौने तीन घंटे तक तीर्थनगरी में प्रवास का कार्यक्रम है। इसमें वह सबसे अधिक समय तीर्थ के विकास कार्यों की समीक्षा व धार्मिक-आध्यात्मिक गतिविधियों पर देंगे। इसमें दर्शन-पूजन से लेकर संत-महंतों से मुलाकात पर करीब चालीस मिनट का समय रखा गया है, जो कि काशी, मथुरा, अयोध्या की तर्ज पर नैमिष के विकास को लेकर उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।